विदेश

ओेएचसीएचआर चीन का पक्ष ले रहा है जो कि खतरनाक है- व्हिसलब्लोअर

लंदन,
 संयुक्त राष्ट्र ने गंभीर आरोप लगाते हुए मानवाधिकार उच्चायुक्त और चीनियों के बीच के संबंधों पर सवाल खड़ा कर दिया है। यूके संसद की विदेश समिति ने अंतरराष्ट्रीय संबंधों की अपनी जांच लिखित रूप में प्रस्तुत की है। ओएचसीएचआर की पूर्व कर्मचारी एम्मा रीली ने आरोप लगाते हुए कहा कि ओेएचसीएचआर चीन का पक्ष ले रहा है जो कि खतरनाक है।

ब्रिटेन की संसद की विदेश समिति से मिली जानकारी के अनुसार आरोप लगाया गया है कि संयुक्त राष्ट्र चीन की तरफदारी कर रहा है। और इसको छिपाया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि विकास लक्ष्यों के लिए दो साल की बातचीत के दौरान बीजिंग ने सदन के दो अध्यक्षों को रिश्वत दी। उन्होंने साक्ष्य के अनुसार आरोप लगाते हुए कहा कि चीन संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों पर शर्त भी लगाता है। ताइवान के साथ राजनयिक संबंधों वाले राज्यों में धनराशि खर्च नहीं की जाएगी। रीली ने आरोप लगाया कि ओएचसीएचआर का शाखा प्रमुख एक फ्रांसीसी नागरिक हैं, जो कि चीन को खूफिया जानकारी दे रहे थे। उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सभी अधिकारियों ने जानबूझकर यूके सहित सभी प्रतिनिधिमंडल के सदस्य देशों से झूठ बोला है। जिन्होंने ब्रिटेन के नागरिकों और निवासियों सहित- पीआरसी को उनकी जानकारी या सहमति के बिना नाम सौंपने की संयुक्त राष्ट्र नीति के बारे में पूछताछ की थी।

हिरासत में हुई कईयों की मौत
रीली ने आरोप लगाया कि ऐसे मामलों में जहां चीन को संयुक्त राष्ट्र सचिवालय द्वारा एनजीओ प्रतिनिधियों के नाम अग्रिम रूप से प्रदान किए गए थे। उन प्रतिनिधियों ने बताया है कि चीन की पुलिस उनके परिवार के सदस्यों से मिली। उन्हें फोन करने के लिए मजबूर किया। उनकी मनमाने ढंग से गिरफ्तारी और बैठक की अवधि के लिए घर में नजरबंद रखा गया। बिना किसी कारण के लंबी जेल की सजा सुनाई, यातना दी या एकाग्रता शिविरों में डाल दिया गया। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ मामलों में उनके परिवार के सदस्यों की हिरासत में ही मौत हो गई। एक मामले में चीन सरकार ने एक एनजीओ प्रतिनिधि के खिलाफ इंटरपोल रेड नोटिस जारी किया।

पहले सत्र में गवाहों की हुई सुनवाई
विदेश मामलों की समिति ने 16 अप्रैल को जांच में अपना पहला साक्ष्य सत्र आयोजित किया। इसमें व्हिसलब्लोअर रीली और लॉर्ड मैलोच-ब्राउन सहित अन्य गवाहों की सुनवाई हुई। बहुपक्षीय प्रणाली में अंतरराष्ट्रीय संबंधों की समिति की जांच में पता चला कि किस तरह देशों की एक विस्तृत श्रृंखला बहुपक्षीय संगठनों का उपयोग कर रही है।

 

 

 

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