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दौसा में बीजेपी और कांग्रेस प्रत्याशियों की गोत्र की लड़ाई से नाराज किरोड़ी मीणा बिना भाषण के लौटे

दौसा.

लोकसभा चुनाव देश और फेस का चुनाव माने जाते हैं लेकिन राजस्थान में हो रहे इन चुनावों पर शुरू से ही जाति का रंग चढ़ चुका है। कई सीटों पर तो बात जाति से आगे निकलकर गौत्र और क्षेत्र तक जा पहुंची है। दौसा लोकसभा क्षेत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो के बाद भी बीजेपी प्रत्याशी और इनके स्टार प्रचारकों की सभा में भीड़ नहीं जुटना बीजेपी नेताओं के लिए चिंता का सबब बन चुका है।

यहां तक कि जिन किरोड़ीलाल मीणा के एक इशारे पर लाखों की भीड़ इकट्ठी हो जाती थी, उनकी सभा कल खाली पड़ी रही और भीड़ नहीं आने से नाराज किरोड़ी मंच छोड़कर चले गए। दौसा में बीजेपी ने मौजूदा सांसद जसकौर मीणा का टिकट काटकर उनकी जगह कन्हैयालाल मीणा को मैदान में उतारा, जबकि कांग्रेस ने मौजूदा विधायक मुरारीलाल मीणा को टिकट दिया है। दोनों प्रत्याशी एक ही जाति से आते हैं लेकिन यहां लड़ाई जाति के अंदर गोत्र और क्षेत्र तक जा पहुंची है। मुरारीलाल मीणा जौरवाल गौत्र से हैं और दौसा के मीणा समुदाय में यह गौत्र बहुसंख्यक है। वहीं कन्हैयालाल मीणा का गौत्र अलग है। उनके गौत्र की ज्यादा संख्या बस्सी विधानसभा में है। दोनों के अलग-अलग गौत्र ने यह लड़ाई क्षेत्र तक बढ़ा दी है। हालांकि राजस्थान की दूसरी लोकसभा सीटों में से कइयों पर एक ही जाति के प्रत्याशी आमने-सामने हैं लेकिन गौत्र और क्षेत्र की लड़ाई जितनी इस सीट पर है, उतनी कहीं पर भी नहीं।

कन्हैयालाल मीणा और मुरारी के बीच गौत्र के साथ-साथ क्षेत्र की भी लड़ाई है। कन्हैयालाल मीणा दौसा लोकसभा क्षेत्र में आने वाली बस्सी विधानसभा से आते हैं, वहीं मुरारी मीणा इसी लोकसभा की दौसा विधानसभा सीट से विधायक हैं। दौसा में बस्सी सबसे आउटर एरिया माना जाता है। भौगोलिक रूप से भी दौसा जयपुर से ज्यादा कनेक्टेड है। इसलिए दौसा के लोग बस्सी को दौसा से कम ही कनेक्ट मानते हैं और यही कारण है कि कन्हैयालाल मीणा पर आउट साइडर होने का ठप्पा भी लगाया जा रहा है।

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