मध्यप्रदेश

जबलपुर के चार प्रोफेसर प्रदेश में पहली बार बन रहे डीन कैडर

भोपाल

चिकित्सा शिक्षा विभाग ने मंगलवार को भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज सहित राज्य के 18 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में नए डीन की पोस्टिंग कर दी। डॉ. कविता एन. सिंह को भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज का डीन बनाया गया है। वे जल्द ही डीन पद का पदभार ग्रहण करेंगी। इंदौर के एमजीएम मेडिकल कॉलेज में डॉ. संजय दीक्षित को डीन बनाया गया है।

 डीन पद पर स्थाई नियुक्ति के लिए इस माह के प्रारंभ में भोपाल में साक्षात्कार आयोजित किए गए थे। साक्षात्कार के बाद चयनित प्राेफेसरों की सूची सोमवार को लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने जारी कर दी है। इसमें जबलपुर के एक प्रोफेसर का नाम अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित पदों की प्रतीक्षा में पहले स्थान पर हैं। विभाग की ओर से प्रदेश के 18 सरकारी मेडिकल कालेज में डीन की नियुक्ति के लिए यह प्रक्रिया अपनाई गई थी। डीन कैडर में शामिल होने के लिए 70 से ज्यादा प्रोफेसरों ने साक्षात्कार दिया था।

प्रभारी डीन सूची में पीछे, प्रतीक्षा में सबसे वरिष्ठ

मेडिकल कालेज में कई वरिष्ठ प्रोफेसरों को पछाड़कर डीन बनने वाली डा. गीता गुइन डीन कैडर की प्रावीण्यता सूची में दूसरे प्रोफेसरों से पीछे हो गई है। यहीं स्थिति पूर्व डीन डा. नवनीत सक्सेना की है। डीन की कैडर की प्रवीण्यता सूची में गुईन सातवें और सक्सेना आठवें स्थान पर है। डीन कैडर में प्रवीण्यता सूची के आधार पर प्रसूता एवं स्त्री रोग विभाग की प्रमुख डा. कविता एन सिंह प्रवीण्यता और नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. परवेज अहमद सिद्दीकी आगे निकल गए है। डा. सिंह प्रावीण्य सूची में चौथे और डा. सिद्दीकी छठें क्रम पर है। पैथोलाजी विभाग के डा. संजय तोताड़े अनुसूचित जाति की प्रतीक्षा सूची में क्रमांक एक पर है। डा. तोताड़े डीन के लिए साक्षात्कार देने वाले कालेज के सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर बताए जा रहे है।

अब पदस्थापना पर नजर

डीन कैडर के लिए चयनित उम्मीदवारों की सूची जारी होने के बाद अब सभी की नजरें प्रोफेसरों की पदस्थापना पर है। चयनित उम्मीदवारों को प्रवीण्यता सूची के आधार पर सरकारी मेडिकल कालेज का दायित्व संभालने का अवसर दिया जा सकता है। इस आधार पर डा. कविता एन सिंह का नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कालेज का डीन बनने का दावा मजबूत रहेगा। सूत्रों के अनुसार डीन कैडर में चयनित उम्मीदवार पसंद के मेडिकल कालेज में जमे रहने के लिए राजनीतिक गुणा-भाग में भी जुट गए है। ऐसे प्रोफेसर अपनी प्राइवेट प्रेक्टिस को साधते हुए प्रमुख मेडिकल कालेज में ही डीन की कुर्सी पर बैठने का जुगाड़ भिड़ा रहे है।

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