मध्यप्रदेश

दुनिया के बड़े-बड़े देश, आपस में युद्ध कर रहे देश भारत से अपने मुद्दे पर बात करने के लिए आते हैं : पीएम मोदी

बालाघाट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मध्य प्रदेश के दौरे पर हैं। उन्होंने बालाघाट में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि कभी कांग्रेस कांग्रेस सरकार अपनी शिकायतें लेकर दूसरे देशों के पास जाती रहती थी लेकिन अब वक्त बदल चुका है। दुनिया के बड़े-बड़े देश, आपस में युद्ध कर रहे देश भारत से अपने मुद्दे पर बात करने के लिए आते हैं। यह देखकर हर हिंदुस्तानी का हौसला बुलंद हो जाता है।
 
दशकों तक कांग्रेस बहुत ही पुरानी सोच पर चली
मोदी ने बालाघाट में कहा, "आजादी के बाद दशकों तक कांग्रेस बहुत ही पुरानी सोच पर चली। उनके मन में आजादी के आंदोलन का अहंकार भरा पड़ा था। सामान्य मानवीय ने आजादी के आंदोलन में जो त्याग, तपस्या, बलिदान किया उसे उन्होंने सत्ता में आते ही नकार दिया और एक छोटा सा परिवार का कुनबा हावी हो गया और उसी की सोच देश को पिछड़ेपन की तरफ धकेलती गई।" पीएम मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, "कांग्रेस ने हमारे आदिवासी भाई-बहनों को जल, जंगल, जमीन के अधिकारों से वंचित रखा था। आज 1 करोड़ से ज्यादा जनजातीय समाज के लोग पेसा कानून का लाभ ले रहे हैं। मध्य प्रदेश में मोहन यादव की सरकार दिन-रात आदिवासियों के कल्याण के लिए काम कर रही है। दूसरी ओर कांग्रेस अभी भी अपनी पुरानी मानसिकता में जकड़ी हुई है।"

देश का विकास रोकना चाहता है INDI गठबंधन
पीएम मोदी ने कहा, ''इतनी बड़ी तादाद में माताओं-बहनों का प्यार साफ दिखा रहा है कि 4 जून को मध्य प्रदेश में क्या परिणाम आने वाले हैं। विधानसभा चुनाव में ही आपने कांग्रेस को पूरी तरह साफ कर दिया है, अब लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लोग भाजपा से नहीं एक-दूसरे से लड़ रहे हैं। मोदी ने बालाघाट में कहा, "कांग्रेस ने अब INDI गठबंधन बनाकर देश के खिलाफ बिगुल फूंक दिया है। ये आपस में लड़ते हैं लेकिन कहते हैं कि मोदी को रोकने के लिए साथ आए हैं लेकिन असल में उन्हें मोदी को नहीं रोकना है बल्कि उन्हें देश के विकास को रोकना है।"

मोदी जनता जनार्दन के सामने झुकता है
बालाघाट में पीएम मोदी ने कहा, "जो लोग अपनी तिजोरियां भरने राजनीति में आए हैं वे मोदी को धमकी न दें, मोदी तो अपनी कमाई भी देश सेवा में लगा देने की आदत रखता है। मोदी महाकाल का भक्त है, मोदी झुकता है तो या तो जनता जनार्दन के सामने या महाकाल के सामने।"

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