10 सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2014 से 12 पूर्व मुख्यमंत्रियों ने छोड़ी कांग्रेस
नईदिल्ली
लोकसभा चुनाव के दौरान एक के बाद एक बड़े नेता कांग्रेस का साथ छोड़ रहे हैं। यह सिलसिला चुनावी साल में ही नहीं चल रहा बल्कि पिछले 10 साल से कांग्रेस छोड़ने वालों की होड़ लगी हुई है। 10 सालों के आंकड़ों पर नजर डालें तो 2014 से 12 पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत 50 से ज्यादा बड़े नेता कांग्रेस को अलविदा कह चुके हैं। इन सभी नेताओं के कांग्रेस छोड़ने की वजह नेतृत्व और पार्टी की कार्यप्रणाली में कमियां बताई जा रही हैं।
सबसे पुरानी पार्टी के पक्ष में चुनाव लड़ने वाले अधिकांश नेता अब भाजपा का गुणगान कर रहे हैं। नेताओं का छिटकने का असर चुनाव परिणाम पर भी साफ दिखाई दे रहा है। 10 सालों में पार्टी लोकसभा और विधानसभा समेत कुल 51 चुनाव हार चुकी है। मिलिंद देवड़ा, गीता कोड़ा, बाबा सिद्दीकी, राजेश मिश्रा, अंबरीश डेर, जगत बहादुर अन्नू चांदमल जैन, बसवराज पाटिल, नारण राठवा, विजेंदर सिंह, संजय निरूपम और गौरव वल्लभ।
आम चुनाव से ठीक पहले इन नेताओं ने छोड़ा साथ
पार्टी छोड़ने वाले नेताओं में हिमंत बिस्व सरमा, चौधरी बीरेंदर सिंह, रंजीत देशमुख, जी.के. वासन, जयंती नटराजन, रीता बहुगुणा जोशी, एन. बीरेन सिंह, शंकर सिंह वाघेला, टी. वडक्कन, ज्योतिरादित्य सिंधिया, के.पी. यादव, प्रियंका चतुर्वेदी, पी.सी. चाको, जितिन प्रसाद, सुष्मिता देव, ललितेश त्रिपाठी, पंकज मलिक, हरेन्द्र मलिक, इमरान मसूद, अदिति सिंह, सुप्रिया एरन, आर.पी.एन. सिंह, अश्विनी कुमार, रिपुन बोरा, हार्दिक पटेल, सुनील जाखड़, कपिल सिब्बल, कुलदीप बिश्नोई, जयवीर शेरगिल, अनिल एंटनी और सी.आर. केसवन शामिल हैं।
दल-बदलुओं के फेर में भाजपा, 416 में से 117 उम्मीदवार दूसरे दलों से
देश के सबसे बड़े लोकतांत्रिक पर्व में अपनी जीत दर्ज करने के लिए लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां दलबदलू नेताओं का सहारा लेती हैं। इसी कड़ी में भाजपा दलबदलू नेताओं को शरण देने में सबसे आग दिखाई दे रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा द्वारा अब तक घोषित किए गए 416 उम्मीदवारों में 117 दलबदलु हैं। भाजपा का टिकट हासिल करने वाले ये नेता हाल ही में पार्टी में शामिल हुए हैं।
उत्तर प्रदेश के घोषित 64 उम्मीदवारों में 20 दूसरे दलों से आए हैं, जबकि महाराष्ट्र में दूसरे दलों से आए 7 लोगों को अब तक टिकट दिए गए हैं।
भाजपा ने 18 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों में दूसरी पार्टियों से आए नेताओं को टिकट दिए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 27.82 फीसदी उम्मीदवार मूल रूप से भाजपा के नहीं हैं। पुड्डुचेरी में पार्टी का एकमात्र उम्मीदवार दूसरी पार्टी से है। इसी तरह आंध्र प्रदेश में पार्टी के 6 में से 5 कैंडिडेट्स ने पार्टियां बदल ली हैं। भाजपा ने तेलंगाना में 17 उम्मीदवार उतारे हैं, जिनमें से 12 दूसरे दलों से भाजपा में शामिल हुए हैं। इसके अलावा भाजपा ने तमिलनाडु में 11, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में 8-8 और महाराष्ट्र में दूसरे दल से आए 7 उम्मीदवारों को टिकट दिया है।