छत्तीसगड़

जटगा रेंज में विलुप्त प्रजाति के 40 से अधिक गिद्धों का बसेरा

कोरबा/बिलासपुर.

कटघोरा वन मंडल अपने जैव विविधता के लिए जाना जाता है। जहां इस जंगल में विभिन्न वन्य प्राणियों का बसेरा है। वहीं कटघोरा वन मंडल के जटगा रेंज में गिद्ध पक्षी की गणना की गई है। जिसमें एक ही रेंज में लगभग 40 से अधिक गिद्धों का बसेरा पाया गया है जो वन विभाग व वन प्रेमियों के लिए एक अच्छी खबर है। देश में लगातार गिद्धों की संख्या कम होती जा रही है। ऐसे में कोरबा और कटघोरा के जंगल में गिद्धों की मौजूदगी से यह साफ हो गया है कि कोरबा जिले का जंगल आज भी इन प्राणियों के लिए बेहतर बसेरा बना हुआ है।

उल्लेखनीय है कि कटघोरा वन मंडल के विभिन्न वन परिक्षेत्र में साल, साजा, सागौन सहित विभिन्न प्रजाति के पेड़ पौधों की भरमार है। यही वजह है कि घने वन होने की वजह से जंगल में विलुप्त प्रजाति सहित अन्य वन्य प्राणियों का घरौंदा बना हुआ है और लगातार इनका कुनबा भी बढ़ते ही जा रहा है।
कटघोरा बलासपुर मंडल के जटगा रेंज में बिलासपुर अचानकमार टाइगर रिजर्व से कंजर्वेशन एसोसिएट टीम जटगा रेंज पहुंची। जहां कटघोरा वनमंडलाधिकारी कुमार निशांत के निर्देश पर जटगा रेंज में गिद्धों के कुनबे की तलाश की गई। टीम के द्वारा जटगा रेंज में 40 से अधिक गिद्धों की मौजूदगी पाई है जो वन विभाग के लिए अच्छी खबर है। टीम इलाके के आसपास काफी मशक्कत कर उसे कमरे में देखा गया और गणना की गई। सर्वे टीम की मानें तो एक गीत ऊंचाई पहाड़ वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं जो अक्सर पत्थर और चट्टान के ऊपर बैठना पसंद करते हैं। इस गिद्ध की तलाश आसपास गांव में और की जाएगी।

आशंका व्यक्त की जा रही है कि और भी जीत हो सकते हैं। कई बार गांव के आसपास गिद्ध भी नजर आ चुके हैं। लेकिन अक्सर और हमेशा मौजूद नहीं होते। लगातार देश में गिद्धों की संख्या कम होती जा रही है, जो चिंता का विषय बना हुआ है। ऐसे में कटघोरा वन मंडल के जटगा रेंज में गिद्धों की मौजूदगी से साफ नजर आता है कि यह जंगल गिद्धों के रहने के लिए बेहतर साबित हो रहा है।

यहां गिद्धों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। यहां जिस स्थान पर गिद्ध हैं। वह चारों ओर पहाड़ों और घने जंगलों से घिरा हुआ है। इसी स्थान पर गिद्धों ने अपना कुनबा बना रखा है, जो कई वर्षों से गिद्ध यहां अपना बसेरा बना हुआ है। वन विभाग के अधिकारी अब इस इलाके को और बेहतर करने की दिशा पर प्रयास कर रहे हैं। ताकि गिद्ध सहित अन्य वन्य प्राणियों को बेहतर रहवास मिल सके।

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