मध्यप्रदेश

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी का आदेश जो कर्मंचारी 6 महीने मे रिटायर होने वाले है, उन्हें तत्काल ड्यूटी से हटाया जाए

भोपाल

देशभर में लोकसभा चुनाव के कारण आचार संहिता लागू हैं, 19 अप्रैल को पहले चरण की वोटिंग होगी।इसको लेकर कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने के साथ प्रशिक्षण व अन्य प्रक्रिया जारी है। एक तरफ चुनाव ड्यूटी कटवाने के लिए कर्मचारी तरह तरह के बहाने बना रहे है वही दूसरी तरफ मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय मप्र ने सभी कलेक्टरों को पत्र जारी कर कहा है कि जो कर्मंचारी 6 महीने मे रिटायर होने वाले है, उन्हें तत्काल ड्यूटी से हटाया जाए।

दरअसल,  मप्र कर्मचारी संघ के सदस्यों ने ज्ञापन देकर 6 महीने में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों की ड्यूटी नहीं लगाने की मांग की थी, जिसे मप्र निर्वाचन आयोग ने स्वीकार कर निर्देश दिए हैं कि जिन कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति अवधि 6 माह है, उनकी चुनाव कार्य में ड्यूटी न लगाई जाए। 6 माह में सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को चुनाव कार्य से मुक्त रखने के आदेश दिए हैं।चुनाव कार्य में ड्यूटी लगाते वक्त भारत निर्वाचन आयोग के स्टैंडिंग आर्डर को ध्यान में रखकर ही कार्रवाई करें।

सेवानिवृत्ति में बचे है 6 माह, ऐसे कर्मचारियों की नहीं लगेगी चुनाव में ड्यूटी

    भोपाल के उप मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी संजय कुमार श्रीवास्तव ने पत्र जारी करते हुए सभी जिला कलेक्टर को कहा है कि ऐसे अधिकारी व कर्मचारी जो छह महीने बाद सेवानिवृत्त हो रहे हैं, उनकी नियुक्तियां लोकसभा चुनाव कार्य में की गई हैं, ऐसे अधिकारी और कर्मचारियों के लिए भारत निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए आवश्यक कार्रवाई की जाए और उनके नाम चुनावी ड्यूटी से हटाए जाएं।

    इसी के साथ अब मध्य प्रदेश में अब नए सिरे से कर्मचारियों और अधिकारियों की चुनावी ड्यूटी लगाई जाएगी, इसे लेकर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय से आदेश जारी कर दिया गया है। वही सभी लोकसभा सीटों पर निर्विघ्न और निष्पक्ष चुनाव हो इसके भी निर्देश दिए गए हैं।

वन विभाग के कर्मचारी-अधिकारी की भी नहीं लगेगी चुनाव ड्यूटी

एमपी वन विभाग के क्षेत्रीय कर्मचारी और अधिकारियों की भी लोकसभा चुनाव में ड्यूटी नहीं लगाई जाएगी, क्योंकि हाल ही में चुनाव आयोग ने जबलपुर हाईकोर्ट में स्टेट फॉरेस्ट रेंजर्स ऑफिसर एसोसिएशन की लगी एक याचिका पर अंडरटेकिंग दी है कि मध्य प्रदेश के वन विभाग के क्षेत्रीय अधिकारियों और कर्मचारियों की ड्यूटी लोकसभा चुनाव में नहीं लगाई जाएगी। चीफ जस्टिस रवि मलिमथ और जस्टिस विशाल मिश्रा ने चुनाव आयोग द्वारा दी गई अंडरटेकिंग के बाद याचिका का निराकरण कर दिया। बता के कि चुनाव आयोग के नियमों में ही इसका उल्लेख है कि वन विभाग के क्षेत्रीय अमले की ड्यूटी चुनाव कार्य में नहीं लगाई जा सकती है।

इन कर्मचारियों की भी नहीं लगेगी चुनाव में ड्यूटी

    मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नर्मदापुरम जिले के वन विभाग के साथ टाइगर रिजर्व और पचमढ़ी के वन अमले के अधिकारी-कर्मचारियों की भी ड्यूटी अब चुनाव में नहीं लगाई जाएगी। अब तक अधिकारी वर्ग में 2 एसडीओ, 6 रेंजर स्तर के अधिकारियों के लिए चुनाव ड्यूटी के आदेश जारी हुए थे, जिन्हें निरस्त किया गया है।

    उप जिला निर्वाचन अधिकारी देवेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि सतपुड़ा टाइगर रिजर्व सहित पचमढ़ी में पर्यटन संबंधी गतिविधियां को देखते हुए कर्मचारियों की सुरक्षा जरूरी है, ऐसे में हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब वन विभाग के कर्मचारियों की जगह दूसरे विभाग के कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाएगी। हालांकि, रिजर्व में भी स्टाफ रहता है, जिसका उपयोग निर्वाचन ड्यूटी में किया जाता है।

अतिथि शिक्षकों की भी नहीं लगेगी चुनाव में ड्यूटी

    मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पदस्थ करीब 72 हजार अतिथि शिक्षकों की सेवाएं 30 अप्रैल 2024 समाप्त होने के चलते लोकसभा चुनाव में ड्यूटी नहीं लगाई जाएगी। इस संबंध में लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआइ) ने सभी जिला कलेक्टरों को पत्र लिखकर निर्देश दिए है कि अतिथि शिक्षकों की सेवाएं स्कूल शिक्षा विभाग में शैक्षणिक सत्र 2023-24 में 30 अप्रैल तक मान्य की गई हैं।

    उक्त तिथि के बाद अतिथि शिक्षकों को मानदेय भुगतान करने का प्रविधान नहीं है। ऐसे में निर्वाचन कार्य में अतिथि शिक्षकों को यथासंभव न लगाया जाए। यदि अपरिहार्य कारणों से ऐसे किया जाना आवश्यक हो तो उनकी ड्यूटी 30 अप्रैल तक ही निर्वाचन कार्य में लगाई जाए।

 

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