ग्वालियर में जिलाध्यक्ष और मुरैना में विधायक ने सरेआम किया कांग्रेस पार्टी के निर्णय का विरोध
ग्वालियर
टिकट वितरण को लेकर लंबे समय तक खींचतान में उलझी रही कांग्रेस में ग्वालियर और मुरैना से प्रत्याशियों की घोषणा के साथ ही पार्टी के इस निर्णय का सरेआम विरोध भी शुरु हो गया है। यह मामला कांग्रेस की अंदरुनी सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। बीते रोज टिकट वितरण के बाद भड़के आक्रोश के बाद इसको लेकर प्रदेश नेतृत्व तक शिकवे-शिकायतों पहुंचने का सिलसिला जारी है।
ऐसे में चुनाव से पहले ही कांग्रेस की मुश्कि लें बढ़ती नजर आ रही हैं। मामला इसलिए भी गंभीर है कि पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों का विरोध करने वालों में संगठन के जिलाध्यक्ष और विधायक तक शामिल हैं। इनके अलावा बड़ी संख्या में संगठन पदाधिकारियों से लेकर जमीनी कार्यकर्ताओं ने भी पार्टी के इस नर्णय पर आपत्तियां जताते हुए कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। ऐसे में अब कांग्रेस नेतृत्व के सामने पहले तो इन मुश्किल हालातों से पार पारे की बड़ी चुनौती पैदा हो गई है।
चुनाव से पहले अंचल की दो लोकसभा सीटों पर पैदा हुए इन चिंताजनक हालातों में कांग्रेस की लिए फिलहाल तो सबसे बड़ी चुनौती टिकिट वितरण को लेकर पैदा हुए आक्रोश को ठंडा करना है। इसके बाद ही पार्टी सही मायने में इलेक्शन मोड पर आ पाएगी। इस बीच ऐसे हलातों से सबसे बुरा असर कांग्रेस के जमीनी कार्यकर्ताओं और समर्थकों के मनोबल पर पड़ता दिखाई दे रहा है जो चुनावी समर के लिहाज से कतई अच्छा संकेत नहीं है। वहीं प्रत्याशियों के चुनाव अभियान पर भी इसका बुरा असर पड़ने का खतरा पैदा हो गया है।
ग्वालियर में जिलाध्यक्ष ने दी इस्तीफे की धमकी
लोकसभा के लिए पूर्व विधायक प्रवीण पाठक का टिकट तय होते ही इसका विरोध शुरु हो गया है। कांग्रेस जिलाध्यक्ष देवेन्द्र शर्मा ने उनका टिकट फाइनल होते ही अपने पद से इस्तीफा देने की धमकी दे दी है। अपने घर पर कुछ पार्टी पदाधिकारियों के साथ मंत्रणा के बाद उन्होंने कहा कि पार्टी ने ऐसे व्यक्ति को टिकट दे दिया है जो कभी कांग्रेस कार्यालय की सीढ़ी नहीं चढ़ता, पार्टी के कार्यक्रमों में शामिल नहीं होता। इस मामले में मैने पार्टी आलाकमान को अपनी भावनाओं से अवगत करा दिया है। साथ ही यह भी कहा कि मैं अपनी बात से पलटने वालों में से नहीं हूं। हालांकि यह उनकी पुरानी आदत भी रही है। वहीं इस मामले के तूल पकड़ते ही उन्होंने अब इससे किनारा करना भी शुरू कर दिया है।
मुरैना में विधायक ने किया जिम्मेदारी छोड़ने का ऐलान
उधर मुरैना-श्योपुर लोकसभा से सत्यपाल सिंह सिकरवार को प्रत्याशी घोषित किए जाने के साथ ही वहां भी कांग्रेस में बगावत के सुर सुनाई देने लगे हैं। विजयपुर से कांग्रेस विधायक रामनिवास रावत ने पार्टी पर तंज कसते हुए बाकायदा एक बयान जारी करते हुए कहा है कि प्रत्याशी चयन को लेकर वरिष्ठ नेताओं से कोई सलाह नहीं ली गई है। ऐसे बिना सोचे समझे कार्यकर्ताओं पर उम्मीदवार थोपना गलत है। ऐसे निर्णयों से कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरता है। टिकट को लेकर नाराजगी के चलते चुनाव प्रभारी की भूमिका छोड़ने का ऐलान करते हुए वह पीसीसी चीफ जीतू पटवारी से अपनी असहमति जता चुके हैं। बता दें कि श्री रावत छठवीं बार के विधायक हैं और कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष रह चुके हैं।