मालदा दक्षिण अल्पसंख्यक बहुल इस सीट पर इसबार त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है
कोलकाता
लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद पूरे देश में सियासी दंगल तेज है। पश्चिम बंगाल में भी लड़ाई कई मामले में दिलचस्प है। खासतौर पर मालदा दक्षिणी सीट पर। आजादी के बाद से ही यह पूरा क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ रहा है और इस क्षेत्र में पार्टी नेता दिवंगत गनी खान चौधरी के परिवार का वर्चस्व रहा है।
2019 के लोकसभा चुनाव में गनी खान चौधरी के बाद उनके भाई आबू हाशिम खान चौधरी यहां से सांसद चुने जाते रहे हैं। 2019 में भाजपा ने उन्हें कड़ी टक्कर दी थी लेकिन उन्हें हरा नहीं पाई। अल्पसंख्यक बहुल इस सीट पर इसबार त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है। इसकी वजह है कि कांग्रेस के इस गढ़ में तृणमूल ने भी अल्पसंख्यक उम्मीदवार उतारा है और भाजपा ने अपने पुराने कैंडिडेट को दोहराया है।
किस पार्टी से कौन उम्मीदवार
कांग्रेस की ओर से इस बार भी अबू हीसेम खान चौधरी को ही टिकट मिलने की उम्मीद है। भाजपा ने श्रीरूपा मित्रा चौधरी को उम्मीदवार बनाया है जो बंगाल में निर्भया दीदी के नाम से जानी जाती हैं। महिलाओं के अधिकार के लिए लंबे समय से काम करने वाली श्रीरूपा मित्रा चौधरी का महिलाओं के बीच अच्छा जनाधार है। तीन तलाक कानून लागू होने के बाद अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाएं भी भाजपा की ओर मुड़ी हैं और इस क्षेत्र में एक तरफ जहां कांग्रेस और तृणमूल उम्मीदवारों के बीच अल्पसंख्यक वोट बंटने की संभावना है वहीं, गैर मुस्लिम वोट एकतरफा जाने की उम्मीद है जिसका लाभ श्रीरूपा मित्रा चौधरी को मिल सकता है। तृणमूल कांग्रेस ने इस सीट पर शाहनवाज रेहान को उतारा है, जो पार्टी के पुराने नेता हैं।
क्या है भौगोलिक स्थिति
साल 2009 में हुए परिसीमन में पश्चिम बंगाल की मालदा लोकसभा सीट दो हिस्सों में बंट गई। इनमें एक मालदा उत्तर लोकसभा सीट और दूसरी मालदा दक्षिण लोकसभा सीट बनीं। मालदा को इंग्लिश बाजार के नाम से भी जाना जाता है। यह पश्चिम बंगाल राज्य का छठा सबसे बड़ा शहर है। यह मालदा जिले के साथ-साथ पश्चिम बंगाल के मालदा डिवीजन का मुख्यालय भी है। इसमें दो नगर पालिकाएं शामिल हैं। यह शहर महानंदा नदी के तट पर स्थित है। मालदा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में सात विधानसभा क्षेत्र शामिल है- हबीबपुर (एसटी), राईडांगा, मालदा (एससी), इंग्लिशबाज़ार, मानिकचक, सुजापुर, और कालियाचक।
क्या है राजनीतिक इतिहास
इस सीट पर ज्यादातर समय कांग्रेस का कब्जा रहा है। पहले लोकसभा चुनाव से लेकर 2014 तक दो बार ही ऐसे मौके आए जब इस सीट पर माकपा के उम्मीदवार जीतने में कामयाब रहे थे। आम, जूट और सिल्क उत्पादन के लिए मालदा मशहूर है। पश्चिम बंगाल का मालदा जिला बांग्लादेश की सीमा से सटा है, जहां आदिवासी और मुस्लिम मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है।
क्या है 2019 का जनादेश
कांग्रेस के अबू हासेम खान चौधरी चार लाख 44 हजार 270 वोटों के साथ जीते थे। भाजपा की श्रीरूपा मित्रा चौधरी को चार लाख 36 हजार 048 वोट मिले थे। तृणमूल कांग्रेस के एमडी मोअज़्ज़म हुसैन को तीन लाख 51 हजार 353 वोट मिले थे।