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टिकटों में मिलने वाली रियायतों को खत्म कर रेलवे ने कमाए ₹5800 करोड़

नई दिल्ली

भारतीय रेलवे ने चार साल पहले ट्रेन किराए में वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली रियायतें वापस लेने के बाद 5800 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त राजस्व अर्जित किया है. एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक यह जानकारी इस संबंध में दायर की गई एक आरटीआई (सूचना का अधिकार अधिनियम) के जवाब में सामने आई है. बता दें कि रेल मंत्रालय ने कोरोना के कारण देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के बाद ट्रेन किराए में वरिष्ठ नागरिकों को दी जाने वाली रियायतें वापस ले ली थीं.

इससे पहले, रेलवे महिला यात्रियों को ट्रेन किराए में 50 प्रतिशत और पुरुष व ट्रांसजेंडर वरिष्ठ नागरिक यात्रियों को 40 प्रतिशत की छूट देता था. रेलवे के मानदंडों के अनुसार, 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के पुरुष और ट्रांसजेंडर व 58 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाएं वरिष्ठ नागरिक मानी जाती हैं. रेलवे के द्वारा कंसेशन की सुविधा वापस लेने के बाद से वरिष्ठ नागरिकों को ट्रेन यात्रा के लिए अन्य यात्रियों के बराबर पूरा किराया देना होता है.

मध्य प्रदेश के शख्स ने दायर की थी आरटीआई

मध्य प्रदेश स्थित चंद्र शेखर गौड़ ने अलग-अलग समय पर आरटीआई अधिनियम के तहत कई आवेदन दायर कर रेलवे से यह जानकारी मांगी थी कि उसे सीनियर सिटीजन का कंसेशन समाप्त करके कितना फायदा हुआ. उनके आरटीआई आवेदनों का जवाब देते हुए भारतीय रेलवे ने बताया कि वरिष्ठ नागरिकों के लिए रियायतें वापस लेने के बाद 20 मार्च, 2020 से 31 जनवरी, 2024 तक उसने 5,875 करोड़ रुपए से अधिक का अतिरिक्त राजस्व कमाया है.

चंद्र शेखर गौड़ ने कहा, 'मैंने आरटीआई अधिनियम के तहत तीन आवेदन दायर किए थे. पहले आवेदन के जवाब में, रेलवे ने मुझे 20 मार्च, 2020 से 31 मार्च, 2022 तक का अतिरिक्त राजस्व डेटा प्रदान किया. दूसरे आवेदन के जवाब में, उसने मुझे 1 अप्रैल, 2022 से 31 मार्च, 2023 तक का डेटा दिया. मैंने तीसरा आवेदन फरवरी 2024 में डाला था, जिसके जवाब में रेलवे ने मुझे 1 अप्रैल, 2023 से 31 जनवरी, 2024 तक का डेटा दिया.'

कंसेशन खत्म करके रेलवे ने जुटाए ₹5875 करोड़

चंद्र शेखर गौड़ के आरटीआई आवेदनों के जवाब में रेलवे की ओर से मुहैया कराए गए डेटा से पता चलता है कि लगभग 4 वर्षों में 13 करोड़ पुरुषों, नौ करोड़ महिलाओं और 33,700 ट्रांसजेंडर वरिष्ठ नागरिकों ने ट्रेन यात्रा की और उनके द्वारा सामान्य यात्रियों के बराबर पैसे देकर खरीदे गए टिकटों से रेलवे को लगभग 13,287 करोड़ रुपये का कुल राजस्व प्राप्त हुआ. चंद्र शेखर गौड़ के मुताबिक, 'महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत और पुरुष और ट्रांसजेंडर वरिष्ठ नागरिक यात्रियों के लिए 40 प्रतिशत कंसेशन को लेते हुए अगर कैलकुलेशन करें तो रेलवे को 5875 करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ'.

रेलवे पहले ही टिकटों पर रियायत देता है: वैष्णव

बता दें कि रेलवे टिकटों में मिलने वाली रियायतों की बहाली से जुड़े सवाल संसद के दोनों सदनों समेत विभिन्न मंचों पर उठाए गए हैं. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद में इस बारे में कोई सीधा जवाब दिए बिना कहा था कि भारतीय रेलवे प्रत्येक रेल यात्री को ट्रेन किराए पर 55 प्रतिशत छूट प्रदान करता है. वैष्णव ने जनवरी 2024 में एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा था, 'अगर किसी गंतव्य के लिए ट्रेन टिकट की कीमत 100 रुपये है, तो रेलवे केवल 45 रुपये चार्ज कर रहा है. याली रेलवे नागरिकों को 55 रुपये की रियायत दे रहा है.'

 

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