व्यासजी तहखाने में पूजा पर रोक लगाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मुस्लिम पक्ष, लगा झटका
वाराणसी
ज्ञानवापी मस्जिद के व्यासजी तहखाने में पूजा-पाठ करने के मामले में मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है। सोमवार को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ज्ञानवापी तहखाने का प्रवेश दक्षिण से है जबकि मस्जिद का उत्तर से। दोनों एक-दूसरे को प्रभावित नहीं करते हैं। फिलहाल पूजा और नमाज दोनों अपनी-अपनी जगहों पर जारी रहे। अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सीजेआई ने ये फैसला दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है। इसमें हाई कोर्ट ने वाराणसी कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा था, जिसमें हिंदू पक्ष को ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में पूजा करने की इजाजत दी गई थी।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई की। बेंच ने पूछा कि क्या तहखाने और मस्जिद में जाने का एक ही रास्ता है? इस पर मुस्लिम पक्ष के वकील अहमदी ने कहा कि तहखाना दक्षिण में है और मस्जिद जाने का रास्ता उत्तर में है। इस पर बेंच ने कहा कि नमाज पढ़ने जाने के लिए और पूजा पर जाने के लिए रास्ता अलग-अलग है तो ऐसे में हमारा मानना है कि दोनों पूजा पद्धति में कोई बाधा नहीं होगी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका
इससे पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 26 फरवरी को ज्ञानवापी मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में पूजा-पाठ की अनुमति देने वाले जिला अदालत के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया था। ज्ञानवापी परिसर के धार्मिक चरित्र पर परस्पर विरोधी दावों से जुड़े सिविल कोर्ट में चल रहे एक मामले के बीच हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने यह फैसला दिया था।
हिंदू पक्ष का दावा जानिए
हिंदू पक्ष ने कहा है कि 1993 तक सोमनाथ व्यास का परिवार मस्जिद के तहखाने में पूजा-पाठ करता था, मगर मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार ने कथित तौर पर इस पर रोक लगा दी थी। मुस्लिम पक्ष ने इस दावे का विरोध किया है और कहा है कि मस्जिद की इमारत पर हमेशा से मुसलमानों का कब्जा रहा है। ज्ञानवापी परिसर पर मुख्य विवाद में हिंदू पक्ष का यह दावा शामिल है कि उस जमीन पर एक प्राचीन मंदिर था, जिसका एक हिस्सा 17वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब के शासन के दौरान नष्ट कर दिया गया था।
31 जनवरी को आया था पूजा करने का आदेश
मुस्लिम पक्ष का कहना है कि मस्जिद औरंगजेब के शासनकाल से पहले की है और समय के साथ इसमें कई बदलाव हुए हैं। वाराणसी जिला अदालत ने 31 जनवरी के अपने आदेश में पुजारियों को ज्ञानवापी के दक्षिणी तहखाने में मूर्तियों की पूजा करने की अनुमति दी थी। इसके बाद 1 फरवरी की आधी रात को मस्जिद परिसर में धार्मिक समारोह का आयोजन किया गया था। बाद में दक्षिणी तहखाना भक्तों के लिए खोल दिया गया।
13 फरवरी को सीएम योगी ने की थी पूजा
वाराणसी जिला न्यायाधीश ने जिला प्रशासन को मौजूदा ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर सीलबंद तहखानों ('व्यास जी का तहखाना') में से एक के अंदर पूजा अनुष्ठान के लिए 7 दिनों के भीतर उचित व्यवस्था करने का निर्देश दिया था। 13 फरवरी को उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी ज्ञानवापी परिसर का दौरा किया था और व्यास जी के तहखाने में पूजा की थी।