उत्तर प्रदेश

कांग्रेस में बढ़ा असमंजस, अमेठी-रायबरेली में कौन होगा कांग्रेस का उम्‍मीदवार?

अमेठी
उत्‍तर प्रदेश की अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीट पर अपने जबरदस्त ‘स्ट्राइक रेट’ के बावजूद इस बार के चुनाव में कांग्रेस खेमे में असमंजस सा नज़र आ रहा है। पिछले चुनाव में अमेठी सीट पर अपने तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी की हार से पार्टी इस बार फूंक-फूंक कर कदम बढ़ा रही है। भाजपा की किलेबंदी देखकर कोई फैसला ले पाना उसके लिए बेहद कठिन हो गया है।

  दोनों ही सीटों पर कांग्रेस के प्रदर्शन का इतिहास उसका हौसला बढ़ाने के लिए पर्याप्त आधार है लेकिन पार्टी इस बार जोखिम लेने से बचती दिख रही है। लोकसभा चुनाव में अभी तक सिर्फ तीन बार ही किसी गैर कांग्रेसी उम्मीदवार को सफलता मिली है। रायबरेली सीट की बात करें तो वहां पहला चुनाव 1952 में हुआ और कांग्रेस के फिरोज गांधी सांसद चुने गए। वह दो बार सांसद रहे। इसके बाद तीन बार इंदिरा गांधी, दो बार अरुण नेहरू, दो बार शीला कौल, एक बार कैप्टन सतीश शर्मा और पांच बार सोनिया गांधी कांग्रेस से सांसद चुनीं गईं।

केवल वर्ष 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के राज नारायण तथा 1996 व 1998 के चुनाव में भाजपा के अशोक सिंह सांसद चुने गए। इस बार सोनिया गांधी के चुनाव न लड़ने से कांग्रेस को नए उम्मीदवार की तलाश भारी पड़ रही है। कार्यकर्ताओं की मांग मानी गई तो पार्टी प्रियंका गांधी को चुनाव मैदान में उतारेगी। इसी तरह अमेठी में अब तक हुए कुल 16 लोकसभा चुनावों में से 13 में कांग्रेस को विजय मिली है। सिर्फ एक बार जनता पार्टी और दो बार भाजपा के प्रत्याशी चुनाव जीते हैं। कांग्रेस के आखिरी सांसद राहुल गांधी रहे, जो दो चुनाव जीतने के बाद अपने तीसरे में भाजपा की स्मृति ईरानी से पराजित हो गए थे।

दरअसल, रायबरेली सीट पर कांग्रेस की हिचक के पीछे ठोस वजहें भी हैं। क्षेत्र में आने वाली पांच विधानसभा सीटों में से एक पर भाजपा व चार पर सपा का कब्जा है, लेकिन इनमें से एक पाला बदल कर भाजपा के साथ जा चुके हैं। इस तरह विधानसभाओं में भाजपा व सपा का पलड़ा बराबरी पर है, जबकि कांग्रेस के पास कोई विधायक नहीं है। जिले के एक एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह प्रदेश की भाजपा सरकार में मंत्री भी हैं। हालांकि इस बार सपा के साथ गठबंधन होने से कांग्रेस में आत्मविश्वास जरूर झलक रहा है।

अमेठी में तो स्थिति और भी भिन्न है। अमेठी की पांच में से तीन सीटों पर भाजपा व दो पर सपा के विधायक हैं। इसमें से एक सपा के विधायक राकेश प्रताप सिंह राज्यसभा चुनाव के दौरान पाला बदल कर भाजपा के साथ जा चुके हैं। अमेठी की मौजूदा सांसद स्मृति ईरानी केंद्र सरकार में मंत्री हैं तो तिलोई के विधायक मयंकेश्वर शरण सिंह प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री हैं। दोनों ही लोकसभा क्षेत्रों में कांग्रेस अपने स्थानीय नेताओं का विकल्प नहीं खड़ा कर पाई। रायबरेली में अदिति सिंह और दिनेश प्रताप सिंह के भाजपा में चले जाने के बाद हालात और भी मुश्किल नज़र आ रहे हैं।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button