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अतीक, मुनीर और मुख्तार अंसारी, जेल में खत्म हुए अपराधियों की कहानी…

वाराणसी

उत्तर प्रदेश के हिस्से में कभी माफिया मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी। गाजीपुर, मऊ, वाराणसी समेत कई जिलों में उसका असर होता था और राजनीति में जब उसने एंट्री की तो 5 बार विधायक चुना गया। यही नहीं मुख्तार अंसारी के परिवार का गाजीपुर में ऐसा दबदबा रहा है कि उनके भाई अफजाल अंसारी भी सांसद रहे। गुरुवार की रात को बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी का हार्ट अटैक से निधन हो गया। इसके साथ ही दशकों तक माफिया राज चलाने वाले मुख्तार अंसारी भी अतीत हो गए। इससे पहले बीते साल 15 अप्रैल को पूर्व सांसद और माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज में गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी।

यह हत्या सरेआम मीडिया के कैमरों के सामने हुई थी और दर्जनों पुलिसवालों की सुरक्षा में तब हुई, जब दोनों माफिया भाइयों को मेडिकल के लिए लाया गया था। अतीक अहमद की तो सरेआम हत्या हुई थी, लेकिन मुख्तार अंसारी की मौत को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। परिवार का कहना है कि उन्हें धीमा जहर दिया गया था। हालांकि 2017 से अब तक का आंकड़ा देखें तो लिस्ट काफी लंबी है। अतीक अहमद, मुख्तार अंसारी तो अपराध की दुनिया के बड़े नाम थे और राजनीति में आने के चलते ज्यादा चर्चित थे। लेकिन कई ऐसे गैंगस्टरों की भी एनकाउंटरों में मौत हो गई, जो कई जिलों की पुलिस के लिए सिरदर्द बने हुए थे।

– मुख्तार अंसारी की मौत के साथ ही गाजीपुर समेत कई जिलों में प्रभाव रखने वाले माफिया का अंत हो गया है। भाजपा विधायक कृष्णानंद राय पर 500 गोलियां मारकर कत्ल किया गया था। इस कांड में मुख्तार अंसारी का नाम सामने आया था और इस मामले में उन्हें दोषी भी ठहराया गया। ऐसे जघन्य अपराधों के मुख्तार पर कई दर्जन मामले दर्ज थे।

– अतीक अहमद: इलाहाबाद से सांसद रहे अतीक अहमद का कद एक दौर में राजनीति में आने के चलते इतना बढ़ गया था कि प्रयागराज से लेकर कानपुर तक उसका असर था। विधायक राजू पाल की हत्या के बाद अतीक अहमद के सितारे गर्दिश में आ गए थे। फिर बीते साल ही जब राजू पाल हत्याकांड के गवाह रहे उमेश पाल का मर्डर हुआ तो चर्चा फिर से तेज हो गई। अंत में 15 अप्रैल, 2023 को अतीक अहमद को पुलिस सुरक्षा में ही तीन बदमाशों ने उसकी हत्या कर दी।

– मुन्ना बजरंगी की भी बागपत की जेल में जुलाई 2018 में हत्या हो गई थी। उसकी हत्या में गैंगस्टर सुनील राठी का नाम सामने आया था। बड़ी बात यह है कि मुन्ना बजरंगी भी मुख्तार अंसारी गैंग का ही सदस्य था। जौनपुर में जन्मे मुन्ना का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह था। शुरुआती दिनों में कालीन बुनने का काम करने वाले मुन्ना बजरंगी ने वापाणसी में सर्राफा व्‍यापारी की दिन दहाड़े गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद बाहुबली और नेता मुख्तार अंसारी के गैंग में एंट्री कर ली।

– संजीव जीवा: मुख्तार अंसारी गैंग से ही जुड़े रहे और पश्चिम यूपी में अपराध का बड़ा नाम रहे संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की बीते साल जून में हत्या कर दी गई थी। उसकी यह हत्या कोई सुनसान इलाके में नहीं बल्कि भरी अदालत में हुई थी। उसे लखनऊ सिविल कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया था। इसी दौरान उस पर हमला हुआ था।

– विकास दुबे: अपराध की दुनिया में विकास दुबे भले ही कानपुर और उसके आसपास में बड़ा नाम हो गया था, लेकिन उसकी चर्चा पूरे यूपी और देश में तब हुई, जब उसने अपने गांव में सीओ समेत 8 पुलिस वालों की हत्या करा दी थी। यह कांड तीन जुलाई 2020 को हुआ था। इसके बाद विकास दुबे फरार हो गया और पूरे सूबे में लोगों में उबाल था। 9 जुलाई को उसे उज्जैन से पुलिस ने अरेस्ट किया था। फिर 10 तारीख को कानपुर पहुंचने से ठीक पहले वह पुलिस की हिरासत से भागने की कोशिश करने लगा। पुलिस के मुताबिक ऐसा तब हुआ, जब उसे लेकर आ रही गाड़ी पलट गई थी। वह जब भागने की कोशिश करने लगा तो पुलिसकर्मियों से मुठभेड़ में मारा गया।

– अतीक अहमद की हत्या से ठीक पहले 13 अप्रैल को ही उसके बेटे असद को भी यूपी पुलिस ने झांसी में एनकाउंटर में मार गिराया था। उमेश पाल हत्याकांड में वह वांछित और उस पर 5 लाख रुपये का इनाम घोषित था। अतीक अहमद के पूरे परिवार दर्ज मामलों को जोड़ा जाए तो उनकी संख्या 160 के करीब है।

– अनिल दुजाना का खौफ बुलंदशहर, नोएडा जैसे यूपी के पश्चिमी इलाकों में था। उस पर 75 हजार रुपये का इनाम घोषित था, जिसे बीते साल मई में यूपी एसटीएफ ने मार गिराया था। 36 साल की उम्र के अनिल दुजाना पर 62 केस चल रहे थे। गैंगस्टर दुजाना पर दर्ज 62 मामलों में 18 मर्डर समेत रंगदारी, लूटपाट, जमीन पर कब्जा, कब्जा छुड़वाना और आर्म्स एक्ट जैसे गंभीर मामले शामिल हैं। उस पर रासुका और गैंगस्टर ऐक्ट भी लगे थे।

– उदयभान यादव उर्फ गौरी यादव का नाम भले ही ज्यादा चर्चित नहीं था, लेकिन यूपी और एमपी के बुंदेलखंड इलाके में उसका खौफ था। 5 लाख रुपये के इनामी बदमाश को बीते साल चित्रकूट में मार गिराया गया था। चित्रकूट, मानिकपुर, सतना जैसे इलाकों में वह ऐक्टिव था। यही नहीं एक दौर में कुख्यात रहे डकैत ददुआ के साथ भी वह काम कर चुका था।

 

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