छत्तीसगड़

मोहनी रूप में श्रृंगार: भक्तों के साथ होली खेलने गर्भगृह से निकले भगवान राजीव लोचन

गरियाबंद.

छत्तीसगढ़ में राजिम की होली का विशेष महत्व है। क्योंकि यहां बरसाने और वृंदावन जैसी होली होती है यहां भगवान श्री राजीव लोचन अपने भक्तों के साथ होली खेलने गर्भगृह से बाहर निकलते हैं। होली के दिन भगवान के साथ होली खेलने आसपास के सैकड़ों गांव के अलावा प्रदेश के कई जिलों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हुए थे। रंग गुलाल के बौछार के माहौल में फाग गीत और नंगाड़े की धुन पर क्या महिला क्या पुरुष हर कोई थिरकता नजर आया।

छत्तीसगढ़ के प्रयाग राजिम में भगवान श्री राजीव लोचन के साथ होली खेलने सोमवार को राजनेता सहित स्थानीय जन प्रतिनिधियों के अलावा बड़ी संख्या में शहर के लोग एवं आसपास के सैकड़ों गांवों के श्रद्धालुगण पहुंचे थे। विशाल मंदिर परिसर भक्तों, होलियारों और श्रद्धालुओं की भीड़ से भरा था। भीड़ में हर किसी का चेहरा गुलाल के विभिन्न रंगों से रंगा हुआ था।

मंदिर में बेतहाशा भीड़
भगवान श्री राजीव लोचन का श्रृंगार साक्षात मोहनी के रूप में किया गया था, जो काफी आकर्षक लग रहा था। भक्तों की कतार दोपहर बाद से देर शाम तक लगी रही। सभी भक्त भगवान की ओर गुलाल उड़ाकर, दर्शन पाकर अपने आपको धन्य मान रहे थे। बड़ी संख्या में मंदिर पहुंची महिलाओं और युवतियों की टीम भी आपस में एक-दूसरे के गालों पर गुलाल लगाकर सेल्फी लेकर मजा ले रही थी।

भगवान और भक्तों के बीच होली खेलने की है परंपरा
श्री राजीव लोचन मंदिर प्रांगण में शाम को अनोखा दृष्य उस वक्त देखने को मिलता है, जब भगवान गर्भगृह से बाहर श्रद्धालुओं के साथ रंग-गुलाल खेलने के लिए बाहर निकलते है। यह क्षण मंदिर परिसर में मौजूद हजारों लोगों के लिये बड़ा ही सुखद अवसर होता है। लोगों की भीड़ अधिक होने के कारण अधिकांश लोगों को दूर रहकर ही दर्शन करना पड़ता है। भगवान श्री राजीव लोचन जी का होली के दिन विशेष श्रृंगार किया जाता है।

मोहनी रूप में श्रृंगार
मंदिर ट्रस्ट कमेटी से मिली जानकारी के मुताबिक प्राचीन काल से मंदिर में भगवान और भक्तों के बीच होली खेलने की परंपरा है, यह अवसर वर्ष में केवल एक बार आता है। इसलिए लोगों को इसका बेसब्री से इंतजार रहता है। इस बार भी जैसे ही भगवान की पालकी बाहर निकली, तो भक्तओं ने रंग-बिरंगी गुलाल उड़ाना शुरू कर दिया जिससे पूरा परिसर होलियाना रंग मे रंग गया ।

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