दुमका में BJP ने सीता सोरेन टिकट देकर खेला दांव, देवर-भाभी के बीच हो सकता है महामुकाबला
दुमका
झारखंड के दुमका लोकसभा सीट से बीजेपी ने अब सुनील सोरेन की जगह सीता सोरेन को प्रत्याशी बनाने का फैसला लिया है। बीजेपी के इस दांव से महागठबंधन के नेताओं की बेचैनी बढ़ गई है। हालांकि ‘इंडिया’ अलायंस में शामिल झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, आरजेडी और भाकपा-माले के बीच अब तक सीट शेयरिंग का मसला सुलझ नहीं सका है। लेकिन ये तय माना जा रहा है कि जेएमएम की ओर से अपने परंपरागत दुमका सीट से उम्मीदवार दिया जाएगा। दुमका संसदीय क्षेत्र से जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन कई बार चुनाव जीत चुके हैं। लेकिन इस बार शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन ही उन्हें या जेएमएम परिवार को चुनौती देते नजर आएंगी।
हेमंत सोरेन के चुनाव मैदान में उतरने की संभावना
दुमका के जामा विधानसभा क्षेत्र से तीन बार जेएमएम टिकट पर चुनाव जीत चुकी सीता सोरेन का मुकाबला इस बार अपनी पुरानी पार्टी से होगा। 19 मार्च को जेएमएम छोड़ कर बीजेपी में शामिल होने वाली सीता सोरेन के सामने दुमका में सोरेन परिवार कोई सदस्य या पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुनाव मैदान में हो सकते हैं। हेमंत सोरेन फिलहाल जेल में बंद हैं। लेकिन कार्यकर्ताओं में उनके प्रति संवेदनाएं दिख रही हैं, उसे देखते हुए हेमंत सोरेन को लोकसभा चुनाव में उतारने की तैयारी चल रही है। ऐसा होने पर पहली बार झारखंड में शिबू सोरेन परिवार के दो सदस्य एक सीट पर आमने-सामने होंगे।
आठ बार दुमका लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व चुके हैं शिबू सोरेन
जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन के लिए दुमका कर्मभूमि रही है। शिबू सोरेन ने अपना पहला चुनाव 1977 में टुंडी विधानसभा से लड़ा था, लेकिन उनकी हार हो गई थी। इसके बाद 1980 में शिबू सोरेन ने दुमका लोकसभा सीट से पहली बार जीत हासिल की। लेकिन 1984 के आम चुनाव में उन्हें कांग्रेस के पृत्वीचंद किस्कू के हाथों हार का सामना पड़ा। लेकिन फिर 1989, 1991, 1996, 1998, 2004, इसके अलावा 2002 में वो राज्यसभा के लिए भी चुने गए। लेकिन 2002 में दुमका लोकसभा उपचुनाव में जीत के बाद उन्होंने राज्यसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। शिबू सोरेन के नेतृत्व में 2005 में झारखंड में यूपीए गठबंधन की सरकार भी बनी। लेकिन दो सप्ताह से कम समय में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। शिबू सोरेन 2008 में भी एक बार फिर सीएम बने, लेकिन उपचुनाव जीतने में असफल रहने पर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। बाद में वर्ष 2009 में वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बने। 2014 में भी शिबू सोरेन दुमका से लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
सीता सोरेन की उम्मीदवार से अब कांटे का होगा मुकाबला
बीजेपी ने जेएमएम छोड़ कर पार्टी में शामिल हुई शिबू सोरेन परिवार की बड़ी बहू को दुमका से चुनावी मैदान में उतारा है। इससे सोरेन की दुविधा बढ़ गई है। एक ओर जहां हेमंत सोरेन के सामने अपने पिता की परंपरागत सीट को बचाए रखने की चुनौती होगी, वहीं सीता सोरेन के सामने दुमका सीट को बीजेपी के खाते में वापस लेने का दबाव होगा। जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन का स्वास्थ्य इन दिनों काफी खराब चल रहा है, ऐसे में इस बात की कम संभावना है कि वे चुनाव मैदान में उतरेंगे। वहीं शिबू सोरेन की जगह पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नाम की चर्चा है। लेकिन वे जेल में बंद है। ऐसे में पार्टी उन्हें चुनाव मैदान में उतारेगी, इसे लेकर भी ऊहापोह की स्थिति है। जबकि शिबू सोरेन के छोटे पुत्र बसंत सोरेन को भी चुनाव मैदान में उतारने पर विचार चल रहा है। बसंत सोरेन दुमका के अभी विधायक है। जेएमएम के अंदर पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन को भी दुमका सीट से उम्मीदवार बनाए जाने पर मंथन किया जा रहा है। हालांकि हेमंत सोरेन की रणनीति है कि कल्पना सोरेन को गांडेय विधानसभा उपचुनाव में उम्मीदवार बनाया जाए, ताकि जरूरत पड़ने पर कल्पना सोरेन को अगले चुनाव में सीएम फेस के रूप में आगे किया जा सके।