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विपक्षी गठबंधन का नेतृत्व कांग्रेस के पास, लेकिन बिहार में बड़े भाई की भूमिका में आरजेडी

पटना

लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर महागठबंधन में फंसा हुआ पेच सुलझाने की बजाय और उलझता जा रहा है. बिहार में लोकसभा की 40 लोकसभा सीटों पर महागठबंधन में शामिल घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग को लेकर जब बातचीत शुरू हुई थी, तब कांग्रेस ने एक दर्जन सीटों पर अपना दावा ठोका था. धीरे-धीरे संख्या घटकर 7 से 9 के बीच पहुंच गई, लेकिन अब आरजेडी की रणनीति की वजह से कांग्रेस लगभग 6 सीटों पर सिमटी दिख रही है

महागठबंधन में सीट बंटवारे के साझा ऐलान का इंतजार एक-एक दिन कर आगे बढ़ रहा है. शनिवार का दिन भी इसी इंतजार में निकल गया और आज रविवार को साझा ऐलान की उम्मीद एक बार फिर से जताई जा रही है.  तेजस्वी यादव आज शाम दिल्ली रवाना हो रहे हैं. वे कांग्रेस के सीनियर नेताओं से सीट शेयरिंग पर अंतिम बातचीत करेंगे. सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस को आरजेडी की तरफ से केवल 6 लोकसभा सीट ऑफर की जा रही है. पूर्णिया, औरंगाबाद, कटिहार और पूर्वी चंपारण पर आरजेडी के दावे के बाद कांग्रेस फ्रेंडली फाइट के मूड में है.

आरजेडी ने कांग्रेस के दावे वाले सीटों पर उतारे कैंडिडेट

सबसे बड़ी वजह है आरजेडी की तरफ से कांग्रेस के दावे वाली सीटों पर अपना उम्मीदवार दिया जाना या फिर लेफ्ट के उम्मीदवारों को हरी झंडी देना. सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस को जो सीट इस वक्त आरजेडी ऑफर कर रही है, उनमें ज्यादातर सुरक्षित सीटें हैं. कांग्रेस को आरजेडी की तरफ से इसकी सिटिंग सीट किशनगंज दे दी गई है. इसके अलावा कांग्रेस को समस्तीपुर, सासाराम, पटना साहिब, गोपालगंज जैसी सीट दी जा रही है.

कांग्रेस पूर्णिया सीट मांग रही है, लेकिन उसे पूर्णिया की बजाय नालंदा या हाजीपुर सीट ऑफर की जा रही है. कटिहार सीट पर भी पेच फंसा हुआ है. कुल मिलाकर मामला 6 सीट से आगे नहीं बढ़ रहा है. पूर्णिया सीट पर आरजेडी ने नया पेच जेडीयू की विधायक रहीं बीमा भारती को अपनी पार्टी में शामिल कर कर फंसा दिया है. पप्पू यादव ने इसी कमिटमेंट के साथ कांग्रेस में अपनी पार्टी का विलय किया था कि उन्हें पूर्णिया सीट मिलेगी, लेकिन आरजेडी की रणनीति में पप्पू के भी तोते उड़ा दिए हैं.

लालू यादव ने कैंडिडेट्स को बांटे पार्टी के सिंबल

सबसे दिलचस्प बात यह है कि लालू यादव और तेजस्वी यादव ने कांग्रेस को दबाव में लाने के लिए अपने उम्मीदवारों को साझा घोषणा के बगैर ही सिंबल देना जारी रखा हुआ है. बात पहले चरण के उम्मीदवारों से आगे निकल चुकी है और लगभग सभी चरण के उम्मीदवारों को सिंबल दिया जा रहा है. उम्मीदवारों की एक पूरी लिस्ट तैयार है जिन्हें लालू की तरफ से हरी झंडी मिल चुकी है.

इतना ही नहीं, लेफ्ट की तरफ से भी अपने दावे वाली सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की जा चुकी है. माले और सीपीआई दोनों ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. महागठबंधन में कांग्रेस ही अकेले बची है, जिसे अब तक बिहार में अपने किसी उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है. शनिवार को कांग्रेस में उम्मीदवारों की चौथी लिस्ट जारी हुई, लेकिन इसमें भी बिहार से किसी कैंडिडेट का नाम नहीं था.

कांग्रेस आलाकमान के हस्तक्षेप की जरूरत!

बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह बार-बार लालू–राबड़ी आवास का चक्कर लगा रहे हैं लेकिन बात नहीं बन पा रही है. ऐसे में यह भी माना जा रहा है कि अब कांग्रेस को अगर सम्मानजनक सीटें चाहिए तो सोनिया गांधी या फिर राहुल गांधी को हस्तक्षेप करना होगा. अगर ऐसा नहीं हुआ तो कई सीटों पर कांग्रेस को आरजेडी या दूसरे सहयोगी दलों के साथ फ्रेंडली फाइट करनी पड़ सकती है.

बता दें कि कांग्रेस की तरफ से अपने दावे वाली सीटों की लिस्ट में कई ऐसी सीटों को शामिल किया गया था, जिसपर आरजेडी ने अपना उम्मीदवार दे दिया है. औरंगाबाद और नवादा ऐसी ही सीटें हैं. कांग्रेस काराकाट सीट भी मांग रही थी, लेकिन इस सीट को आरजेडी ने माले के कोटे में दे दिया. माना जा रहा है कि इस सीट पर मीरा कुमार अपने बेटे के लिए टिकट चाहती थी लेकिन यह सीट माले के पाले में जाने के बाद मीरा कुमार ने सासाराम सीट से लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का सार्वजनिक ऐलान कर दिया.

अब इस सीट पर कांग्रेस की तरफ से कई दावेदार हैं. पूर्वी चंपारण सीट पर भी कांग्रेस की नजर थी, लेकिन आरजेडी यहां भी अपना उम्मीदवार लगभग तय कर चुकी है. ऐसे में 6 सीट से ज्यादा अगर सातवें सीट तक बात पहुंचती है तो आरजेडी के सिंबल पर ही बेतिया सीट से कांग्रेस का कोई चेहरा मैदान में उतर सकता है. कुल मिलाकर कहें तो महागठबंधन में सीट शेयरिंग के ऐलान के लिहाज से आज का दिन बेहद खास है. इंतजार इस बात का है कि लालू की रणनीति के आगे कांग्रेस कितना झुकती है या फिर वह फ्रेंडली फाइट के लिए तैयार है.

 

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