मध्यप्रदेश

आचार संहिता में फंसे वाइनशॉप टेंडर चुनाव आयोग की शरण में आबकारी

भोपाल

मध्यप्रदेश में 38 जिलों में शराब की दुकानों के ठेके लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श चुनाव आचार संहिता के कारण नहीं हो पा रहे हैं। इसके चलते 3200 करोड़ रुपए के शराब ठेकों को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। अप्रैल से प्रदेश में नई शराब दुकानों के आवंटन के लिए टेंडर जारी करने की प्रकिया जारी है। इस बीच लोकसभा चुनावों के लिए तारीखों के एलान के साथ ही आदर्श चुनाव आचार संहिता प्रभावी हो गई। अब आबकारी विभाग 19 मार्च से चुनाव आयोग की अनुमति के इंतजार में हो चुके टेंडर खोल नहीं रहा है और नये टेंडर जारी नहीं कर रहा है।

प्रदेश के आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल ने बताया कि आदर्श चुनाव आचार संहिता के दौरान किसी भी टेंडर को खोलने और ठेके आवंटन करने या नये टेंडर जारी कर प्रस्ताव बुलाने के लिए चुनाव आयोग की अनुमति जरुरी होती है। अभी मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी साधिकार समिति के जरिए चुनाव आयोग को प्रस्ताव भेजे जा रहे है। आबकारी विभाग ने भी अनुमति लेने के लिए साधिकार समिति को प्रस्ताव भेजा था। साधिकार समिति ने पिछले 19 मार्च को ही चुनाव आयोग को शराब ठेको के लिए अनुमति लेने प्रस्ताव भेज दिया है। हम इंतजार कर रहे है कि आयोग की अनुमति मिले तो हम अब तक टेंडर में जो प्रस्ताव आ चुके है और हमने उन्हें होल्ड कर रखा है उन्हें खोले और जो शराब दुकान समूहों के ठेके नहीं हो पाए है उनके लिए नये टेंडर जारी कर प्रस्ताव बुलवाएं। अभी भी 38 जिलों की 160 दुकानों के ठेके नहीं उठ पाए है। अनुमति मिल जाए तो सारे ठेके आवंटन का काम पूरा हो जाएगा। अभी तक प्रदेश की 36 सौ दुकानों में से  75 फीसदी दुकानो के टेंडर पूरे हो चुुके है।

38 जिलों में शराब दुकानों के बचे हुए टेंडर फाइनल किए जाने है। इसमें पुराने आ चुके होल्ड चल रहे टेंडर खोले जाने है और नये टेंडर किए जाने है। राज्य सरकार ने 19 मार्च को ही चुनाव आयोग के पास अनुमति के लिए प्रस्ताव भेज दिया है। जैसे ही चुनाव आयोग की अनुमति मिलेगी हम यह प्रकिया पूरी करेंगे।
अभिजीत अग्रवाल, आबकारी आयुक्त मध्यप्रदेश

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