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दो यादवों के मुकाबले में किसके हिस्से आएगी अलवर सीट के कुर्सी

अलवर.

प्रदेश में होने वाले चुनावों में हमेशा से ही जातिगत समीकरणों का बोलबाला रहा है। आने वाले लोकसभा चुनाव में भी जातियों के मुकाबले होंगे। जीतने वाले का कद जाति में बढ़ेगा। ऐसे समीकरणों के बीच भाजपा ने इस बार अलवर से भूपेंद्र यादव को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं मंगलवार को कांग्रेस ने सूची जारी कर मुंडावर विधायक ललित यादव को यहां से अपना प्रत्याशी घोषित किया है। चुनावी नतीजे तो भविष्य के गर्भ में छुपे हैं लेकिन अलवर लोकसभा का राजनीतिक इतिहास हमेशा सत्ता की लहर के साथ रहा है।

अलवर के चुनावी इतिहास में यादव युग की शुरुआत 1971 में हुई, जब हरियाणा के राव वीरेंद्र सिंह की बहन सुमित्रा बाई ने विशाल हरियाणा पार्टी के चुनाव चिन्ह ‘उगता सूरज’ के निशान पर अलवर में चुनाव लड़ा। हालांकि वे चुनाव हार गईं लेकिन इसके बावजूद वे 73 हजार से ज्यादा वोट ले गईं। इसके बाद 1977 में पहली बार भारतीय लोकदल के प्रत्याशी रामजीलाल यादव ने अलवर संसदीय सीट से चुनाव जीता। 1980 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने रामसिंह यादव और जनता पार्टी ने रामजीलाल यादव को टिकट दिया। इनमें रामसिंह यादव चुनाव जीते। 1984 में कांग्रेस के रामसिंह यादव और जनता पार्टी के हरिसिंह यादव के बीच मुकाबला हुआ जिसमें फिर से रामसिंह जीते।

ऐसे चली सत्ता के साथ यादव लहर
1989 में जनता दल के रामजीलाल यादव और कांग्रेस के रामसिंह यादव के बीच मुकाबला हुआ, जिसमें रामजीलाल यादव जीते और केंद्र में कांग्रेस की हार के बाद जनता दल और क्षेत्रीय दलों ने मिलकर राष्ट्रीय मोर्चे की सरकार बनाई। 1996 में केंद्र में राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार बनी, तब भी अलवर से जनता दल के रामजीलाल यादव जीते थे। 1996 में कांग्रेस ने पंडित नवलकिशोर शर्मा को टिकट दिया और भाजपा ने कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रहे जसवंत यादव को तोड़कर भाजपा से टिकट थमा दिया। इसमें नवलकिशोर चुनाव जीते। उस समय केंद्र में कांग्रेस समर्थित संयुक्त मोर्चा की सरकार बनी थी, जिसके प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा थे। 1998 में कांग्रेस ने घासीराम यादव को टिकट दिया और बीजेपी ने सामने जसवंत यादव को उतारा। इसमें घासीराम यादव जीते। इस दौरान केंद्र में कांग्रेस समर्थित संयुक्त मोर्चा की सरकार बनी, जिसके प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल थे। 1999 में बीजेपी के जसवंत यादव और कांग्रेस की महेंद्र कुमारी के बीच मुकाबला हुआ जिसमें जसवंत यादव चुनाव जीते और केंद्र में एनडीए के पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी,  जिसके प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी थे। 2004 में बीजेपी ने जसवंत यादव और कांग्रेस ने डॉ. करणसिंह यादव को मैदान में उतारा। मुकाबला करणसिंह यादव जीते। केंद्र में एनडीए के पूर्ण बहुमत वाली की सरकार बनी  जिसके प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी थे। 2009  में बीजेपी ने जसवंत यादव और कांग्रेस ने अलवर राजघराने के भंवर जितेंद्र सिंह को टिकट दिया। मुकाबला भंवर जितेंद्र जीते। केंद्र में यूपीए के पूर्ण बहुमत वाली की सरकार बनी, जिसके प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे। 2014 में भाजपा ने बाबा बालकनाथ (यादव) को और कांग्रेस ने भंवर जितेंद्र सिंह को टिकट दिया। मुकाबला बाबा बालकनाथ जीते। केंद्र में  पूर्ण बहुमत वाली भाजपा की सरकार बनी, जिसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी थे।

2019 में बीजेपी ने बाबा बाबा बालकनाथ (यादव) को फिर से टिकट दिया और कांग्रेस ने सामने डॉ. करण सिंह यादव को उतारा। मुकाबला बालकनाथ ने जीता। केंद्र में पूर्ण बहुमत वाली भाजपा सरकार बनी, जिसके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बने।

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