2024 Election : बिहार की 40 सीटों पर विपक्षी एकता नहीं; इंडी एलायंस के घटक देखते रहेंगे
पटना.
बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रयास से मई-जून में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ शुरू हुई विपक्षी एकजुटता का प्रयास राज्य में ही ध्वस्त हो गया दिख रहा है। लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारी से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी पार्टी जनता दल यूनाईटेड को लेकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में चले गए। तृणमूल कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल बिहार की सभी सीटों पर प्रत्याशी दे दिए।
अब बिहार में भी एनडीए के खिलाफ विपक्षी एकता (इंडी गठबंधन) के ज्यादातर दलों को लोकसभा चुनाव में सीट नहीं मिलने जा रही है। महागठबंधन के तहत जितने दल थे या हैं, वही सीटों का बंटवारा कर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप), शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ( राकांपा), उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना के साथ शिबू सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को भी इंडी एलायंस के तहत बिहार में लोकसभा सीट की उम्मीद थी। आम आदमी पार्टी ने पिछले हफ्ते भी सभी 40 सीटों पर तैयारी की बात कही थी, लेकिन अब वह भी बैकफुट पर नजर आ रही है। सीएम नीतीश के गृह जिला नालंदा में पिछले हफ्ते आप के कार्यकर्ता सम्मेलन में पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष सह जोनल प्रभारी मनोज कुमार ने विधानसभा चुनाव पर फोकस करते हुए अपनी बातें रखीं। उन्होंने बिहार की सभी विधानसभा सीटों पर मतदाताओं के आप को लेकर उत्साहित होने की बात कही, लेकिन लोकसभा सीटों का जिक्र नहीं किया। यह हालत भी तब है, जब जून में जब विपक्षी एकता की पहली बैठक पटना में हुई थी तो केजरीवाल को प्रधानमंत्री मानने वाला पोस्टर तक लगाया गया था।
शिवसेना, राकांपा, झामुमो को भी चाहिए थी सीट
विपक्षी एकता की पटना में हुई पहली बैठक में केजरीवाल तो बीच से ही निकल गए थे, लेकिन शरद पवार, उद्धव ठाकरे, हेमंत सोरेन आदि ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा था कि लोकसभा चुनाव में पूरे दमखम से पार्टी मेहनत करेगी। लेकिन, मौजूदा हालत देखें तो इंडी एलायंस में बिहार की सबसे बड़ी पार्टी लालू यादव के राष्ट्रीय जनता दल के अलावा सिर्फ कांग्रेस सक्रिय है। कांग्रेस के अंदर भी विधान परिषद् की एक सीट छीने जाने से गुस्सा है। वामदलों को उचित सीट बंटवारे की उम्मीद है, लेकिन वह अपनी मांग भी खुलकर नहीं रख रहे हैं। राज्यसभा के लिए दीपांकर भट्टाचार्य के नाम पर राजद-कांग्रेस की ओर से दरियादिली की उम्मीद थी, जो बेकार गई। जहां तक 2019 के चुनाव परिणाम का सवाल है तो राजद के पास एक भी सांसद नहीं हैं। कांग्रेस के पास एक। वामदलों का भी खाता बंद ही है। मतलब, बहुत से बहुत कांग्रेस के पास ही 2019 के हिसाब से दावे का अधिकार है। दूसरी तरफ इस स्थिति में आम आदमी पार्टी के पास सीट मांगने का मौका था। राकांपा पहले भी यहां उपस्थिति दर्ज करा चुकी है, इसलिए उसकी भी दावेदारी हो सकती थी। लेकिन, मौजूदा स्थिति बता रही है कि राज्य में एनडीए के खिलाफ इंडी एलायंस नहीं बल्कि महागठबंधन के अंदर ही सीटों का बंटवारा होगा।