किसान आंदोलन हुआ फुस्स हरियाणा बॉर्डर पड़ा सुनसान फ्लॉप आंदोलन, सरकार के एक्शन के बाद भागे खुला हाईवे
नई दिल्ली
किसान संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर रविवार को रेल रोको आंदोलन का आह्वान किया था। कई जगहों पर किसानों ने पटरी पर बैठकर कुछ घंटों के लिए ट्रेनों की आवाजाही रोक दी। हालांकि इसका ज्यादा असर दिखाई नहीं दिया। रेल रोको अभियान में सभी संगठन साथ नहीं आए। बता दें कि रेल रोककर कुछ किसान संगठन एक बार फिर आंदोलन को तेज करने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि यह सफल होता नहीं दिखाई दे रहा है। एक महीने से ज्यादा वक्त से किसान संगठन पंजाब और हरियाणा के बॉर्डर पर जमे हैं। वे दिल्ली कूच के लिए निकले थे लेकिन रास्ते में ही उन्हें रोक दिया गया।
रविवार को दोपहर 12 बजे से शाम के चार बजे तक कई जगहों पर एसकेएम और एसकेएम (गैरराजनीतिक) ने आंदोलन किया और रेलवे ट्रैक पर बैठ गए। हालांकि किसान संगठनों में कई मामलों को लेकर मतभेद सामने आ रहा है और वे एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने लगे हैं। ऐसे में किसानों कि एकता खंडित हो रही है। रविवार को किसान संगठनों ने रेल रोककर प्रदर्शन किया लेकिन SKM और SKM (गैरराजनीतिक) के बीच में मतभेद भी सामने आ गया।
शंभू और खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन की अगुआई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि एसकेएम (गैरराजनीतिक) के साथ हाथ मिलाने का कोई फायदा नहीं है। वहीं भारती किसान यूनियन (एकता उगराहां) की तरफ से कहा गया कि उन्हें एसकेएम (गैरराजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल औऱ किसान मजदूर मोर्चा के हेड सरवन सिंह पंधेर की तरफ से कोई प्रतिक्रिया ही नहीं मिल रही है। बीकेयू उगरहां के महासचिव सुखदेव सिंह कोकरीकलां ने कहा कि उन्होंने रेल रोको अभइयान का पूरा समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा बॉर्डर पर वे एक साथ नहीं आ सकते।
वहीं डल्लेवाल ने बठिंडा में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा एमएसपी पर गारंटी का मुद्दा ही नहीं उठा रही है। उन्होंने कहा, 2020-21 के आंदोलन के दौरान किसान कृषि कानूनों के खिलाफ लड़े। उनकी मांग थी कि एमएसपी प कानून बनाया जाए। बड़े आश्चर्य की बात है कि वे उन मांगों को भूल गए हैं। उन्होंने कहा, एसकेएम (गैरराजनीतिक) आंदोलनो को रीलॉन्च करने को मजबूर हो गई। हमें कई राज्यों से समर्थन मिल रहा है और यह लड़ाई जारी रहेगी।
वहीं एसकेएम का कहना है कि वे सभी किसान संगठनों को साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन डल्लेवाल और पंधेर की तरफ से कोई प्रतिक्रिया ही नहीं मिल रही है। वहीं बीकेयू एकता उगरहां के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह ने कहा कि वे रेल रोको में पंधेर और डल्लेवाल की वजह से ही नहीं शामिल हुए। उन्होंने कहा, हम पंजाब के किसानों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। लेकिन डल्लेवाल और पंधेर हमसे बात ही नहीं करना चाहते।