रामउत्सव श्रीराम के आदर्शों से ही रामराज्य संभव
भोपाल
राम एक राष्ट्रपुरूष पर व्याख्यान एवं राम चरित्र का मंचन भोपाल, 10 मार्च. रामायण का कालखंड करीब 14 हजार वर्ष पुराना है. श्रीराम द्वारा स्थापित किए गये आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं. उनके आदर्शों को अपनाकर आज रामराज्य की स्थापना की जा सकती है. श्रीराम ने त्रेता युग में रावण का संहार करने लिये धरती पर अवतार लिया. उन्होंने कैकेयी की 14 वर्ष वनवास की इच्छा को सहर्ष स्वीकार करते हुये पिता के दिये वचन नस की में रघुकुल रीति सदा चली आई, जी के रामचरित्रमानस को निभाया. तुलसीदास जी प्राण जाय पर वचन न जाय चौपाई का चरितार्थ करते हुये राजा दशरथ एवं राम दोनों ने वचन के लिये प्राणों की परवान नहीं की, इसीलिये उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है कि उन्होंने कभी भी बड़ों का सम्मान और छोटे को स्नेह दिया, उन्होंने एक अच्छे पुत्र, शिष्य, भाई, पति, पिता और राजा के आदर्श को निभाया.
उन्होंने कभी भी जात-पात,ऊंच-नीच, नर-वानर, पशु-पक्षी, राजा-रंक, शत्रु-मित्र को यथोस्थान दिया.विक्रमादित्य ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशन के होनहार विद्यार्थियों द्वारा कुक्कुट भवन सभागार में रामोत्सव राम एक राष्ट्रपुरूष पर व्याख्यान एवं राम चरित्र का मंचन का आयोजन किया गया. बॉक्स विद्यार्थियों ने श्रीराम के चरित्र को किया पेश विद्यार्थियों ने कार्यक्रम में नाटक मंचन के द्वारा भगवान राम के जीवन चरित्र को पेश किया, जिसमें उनकी शिक्षा, श्रीराम सीता विवाह, वनगमन, रावण के संहार को मार्मिक रूप से पेश किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि विजय मनोहर तिवारी, पूर्व राज्य सूचना आयुक्त मध्यप्रदेश शासन, भोपाल, विशिष्ट अतिथि रोहित सिंह, प्रबंध संचालक मध्यप्रदेश लघु उद्योग निगम, विशिष्ट अतिथि डॉ. सुरेश कुमार जैन, कुलगुरू, बरकतउल्ला विश्वविद्यालय, विशिष्ट अतिथि डॉ. शशिरंजन अकेला, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान, अध्यक्ष आदित्य नारोलिया , चैयरमेन विक्रमादित्य इंस्टीट्यूशन भोपाल उपस्थित होंगे.
जिसमें विद्यार्थियों के अभिभावक, शालाओं के प्रतिनिधि, गणमान्य नागरिक एवं महाविद्यालय के समस्त स्टाफ के साथ विद्यार्थीगण उपस्थित हुए. वर्जन रामउत्सव राम एक राष्ट्र पुरूष कार्यक्रम के आयोजन का उद्देश्य विद्यार्थियों को श्रीराम के आदर्शों, उनके प्रबंधन से अवगतकराना था. इसके अलावा रामायण और श्रीराम चरित मानस में वर्णित भगवान राम के माता-पिता और भाइयों के प्रति प्रेम तथा राजा के रूप में प्रजा के प्रति कर्तव्यों का बोध कराना था. डॉ. दीपिका नारोलिया,डायरेक्टर विक्रमादित्य ग्रुप. ……………..