नकली दवाओं से बचने के लिए सरल तरीके
क्या आप जानते हैं कि आप जो दवाई खाते हैं, वो असली है और नकली? यह सुनकर आपको शायद चौंक गए होंगे! लेकिन यह सच है. बाजार में नकली दवाओं का बड़ा धंधा चल रहा है. नकली दवाओं का खतरा एक गंभीर समस्या है जो हमारी सेहत और जीवन के लिए खतरा बन सकती है. ये नकली दवाएं अक्सर सस्ते दामों पर बाजार में उपलब्ध होती हैं और असली दवाओं की तरह दिखने के लिए बनाई जाती हैं.
हाल ही में राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद में नकली दवाएं पकड़े जाने के बाद आम लोगों में यह डर बैठ गया है कि जो दवा वह खा रहे हैं, कहीं वह तो नकली नहीं है. चलिए इसे पहचानने का तरीका जानते हैं.
नकली दवाओं से क्या नुकसान?
अपोलो अस्पताल के इनफेक्शियस डिजीज एक्सपर्ट डॉ. जतिन अहूजा के मुताबिक नकली दवा का मतलब सब स्टैंडर्ड दवाओं से होता है. यानी ऐसी दवाएं जिसमें दवा की मात्रा जरूरत से कम होती है या फिर उसमें जो साल्ट होना चाहिए वह नहीं होता. ऐसी दवाई खाने पर आम तौर पर मरीज को कोई फायदा नहीं होता, लेकिन रेगुलर दवाई खाने की वजह से मरीज को यह गलतफहमी रहती है कि वह जल्दी ठीक हो जाएगा. उन्होंने बताया कि भारत में सबसे ज्यादा खाए जाने वाली दवाएं एसिडिटी बीपी और शुगर की दवाई होती हैं. आमतौर पर नकली दवाओं के बाजार में भी वही दवाई ज्यादा बिकती हैं जिनकी खपत सबसे ज्यादा होती है.
कैसे पहचानें नकली दवाएं?
ऐसे में डॉक्टर यह सलाह देते हैं कि समय-समय पर टेस्ट करते रहना चाहिए. मसलन अगर आपका ब्लड प्रेशर लगातार दवा खाने के बाद भी काम नहीं हुआ है या फिर कोई दवा खाने से आपके लक्षणों में कोई राहत नहीं आई है, तो आप डॉक्टर से बात कर सकते हैं. घर में ब्लड प्रेशर चेक करने की मशीन या डायबिटीज चेक करने के लिए ग्लूकोमीटर रखना चाहिए. कई डॉक्टरों का मानना है कि जन औषधि केंद्र से मिलने वाली जेनेरिक दवाएं आमतौर पर भरोसेमंद होती हैं, उन्हें खरीदना चाहिए. यह ब्रांडेड दावों के मुकाबले सस्ती भी होती है.
दवाओं पर होगा क्यूआर कोड, मिलेगी सही जानकारी
सरकार हाल ही में दवाओं के ऊपर क्यूआर कोड लगाने की व्यवस्था लेकर आई है जिसमें क्यूआर कोड को स्कैन करके कोई भी व्यक्ति यह जानकारी हासिल कर सकता है कि उस दवा में क्या साल्ट मिलाया गया है. इसके अलावा, दवा की मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट क्या है, दवा कंपनी और उसे बेचने वाली कंपनी कौन सी है और यह दवा किस शहर से बनकर आपके घर तक पहुंची है, यह सब क्यूआर कोड से पता चल जाएगा. हालांकि यह सिस्टम अभी केवल चुनिंदा दवाओं पर ही लागू हुआ है. इस सिस्टम के आने के बाद अगर दवा में मिली जानकारी क्यूआर कोड से मिल नहीं खाती है तो शिकायत करने का प्लेटफार्म भी सरकार उपलब्ध करा रही है. लेकिन तब तक नकली दवा को सिर्फ देखकर पहचान पाना थोड़ा मुश्किल.