उत्तर प्रदेश

Dhananjay Singh को अपहरण केस में 7 साल की सजा, JDU के राष्ट्रीय महासचिव नहीं लड़ पाएंगे लोकसभा चुनाव

जौनपुर

पूर्व सांसद बाहुबली धनंजय सिंह को अपहरण और रंगदारी के मामले में जौनपुर की अदालत ने सात साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने दो लाख का जुर्माना भी लगाया है। धनंजय पर नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर का अपहरण कर धमकी देने और रंगदारी मांगने का आरोप साबित हुआ है। एक दिन पहले मंगलवार को विशेष न्यायाधीश एमपीएमलए कोर्ट शरद त्रिपाठी ने मामले पर सुनवाई करते हुए धनंजय सिंह को दोषी करार दिया था धनंजय के साथ ही उनके साथी को भी सात साल की सजा और दो लाख जुर्माना लगाया गया है। सजा सुनाने के बाद तुरंत बाद धनंजय सिंह को दोबारा जेल भेज दिया गया।

हिस्ट्रीशीटर रहे धनंजय सिंह पर पहले से कई आपराधिक केस चल रहे हैं लेकिन सजा पहली बार किसी मामले में सुनाई गई है। धनंजय सिंह कई बार विधायक और 2004 में बसपा के टिकट पर सांसद चुने गए थे। इस बार भी लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। अब सजा के कारण उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। दो साल या इससे ज्यादा की सजा पाने वाले को चुनाव लड़ने पर पाबंदी है। ऐसे में धनंजय सिंह को अब हाईकोर्ट से उम्मीद है। उनके वकील ने फैसले की कापी मिलते ही हाईकोर्ट में अपील की बात कही है। हाईकोर्ट से तत्काल कोई राहत नहीं मिलती तो कम से कम इस लोकसभा चुनाव में धनंजय का उतरना मुश्किल हो जाएगा।

धनंजय और उनके साथी संतोष विक्रम के खिलाफ 10 मई 2020 को नमामि गंगे प्रोजेक्ट के मैनेजर अभिनव सिंघल ने एफआईआर दर्ज कराई थी। इसमें प्रोजेक्ट मैनेजर ने आरोप लगाया था कि संतोष विक्रम समेत धनंजय के कई गुर्गों ने उनका अपहरण किया। उन्हें धनंजय के सामने लाया गया। यहां धनंजय सिंह ने पिस्टल से धमकाते हुए सड़क निर्माण में कम गुणवत्ता वाली सामग्री का इस्तेमाल करने का दबाव बनाया और रंगदारी मांगी। पुलिस ने उसी दिन धनंजय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।

इसी बीच मामले में नया मोड़ भी आ गया। प्रोजेक्ट मैनेजर ने कोर्ट में हलफनामा देते हुए धनंजय सिंह पर लगे आरोपों को वापस ले  लिया। उनकी तरफ से पेश गवाह भी पक्षद्रोही हो गया था। पुलिस ने भी विवेचना में दोनों को क्लीन चिट दे दी। बाद में क्षेत्राधिकारी ने पुनः विवेचना के आदेश दिये। दोबारा हुई विवेचना के बाद कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया गया था। विवेचना के दौरान पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज, सीडीआर, व्हाट्सएप मैसेज, गवाहों के बयान व अन्य परिस्थितिजन्य साक्ष्य को मजबूत आधार बनाया। इससे वादी औऱ गवाह के पक्षद्रोही होने के बाद भी कोर्ट ने धनंजय को दोषी करार देते हुए अब सजा सुनाई है।

यह था मामला
मुजफ्फरनगर निवासी अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी और अन्य धाराओं में पूर्व सांसद धनंजय सिंह व संतोष विक्रम सिंह और दो अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। अभिनव सिंघल का आरोप था कि संतोष विक्रम सिंह और अन्य दो लोग पचहटिया स्थित साइट पर आए थे। वहां से असलहे के बल पर चारपहिया वाहन से उनका अपहरण कर मोहल्ला कालीकुत्ती स्थित धनंजय सिंह के घर ले जाया गया। धनंजय सिंह पिस्टल लेकर आया और गालीगलौज करते हुए उनकी फर्म को कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति करने के लिए दबाव डालने लगा। उनके इन्कार करने पर धमकी देते हुए धनंजय ने रंगदारी मांगी। किसी प्रकार से उनके चंगुल से निकलकर लाइन बाजार थाने गए और आरोपियों के खिलाफ तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने धनंजय सिंह को उसके आवास से गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था, जहां से वह न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत पर धनंजय जेल से बाहर आया था।

वादी और गवाह मुकर गए थे अपने बयान से
रंगदारी और अपहरण के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह और संतोष विक्रम सिंह की ओर से अदालत में दलील दी गई कि उनके ऊपर लगे आरोप निराधार हैं। वादी और उसका गवाह अपने बयान से मुकर गए हैं। उन्हें रंजिश में गलत तरीके से फंसाया गया है। इस पर एमपी-एमएलए कोर्ट की अदालत ने कहा कि किसी सांसद या विधायक को यह हक या फिर अधिकार नहीं है कि वह किसी सरकारी कर्मचारी को फोन करके जबरन अपने घर बुलाए।
मामला पूर्ण रूप से अभियुक्तों के विरुद्ध साबित
अदालत ने कहा कि इस मामले में वादी को यदि अभियुक्तों से कोई डर, भय, परेशानी नहीं थी या फिर किसी तरह का कोई विवाद नहीं था तो क्यों उसके द्वारा घटना के तुरंत बाद अपने उच्चाधिकारियों को फोन किया गया। एसपी से मुलाकात की गई और थाने जाकर तहरीर दी गई। मामला पूर्ण रूप से अभियुक्तों के विरुद्ध साबित है।

रंजिश में फंसाने का कोई साक्ष्य नहीं प्रस्तुत कर सके
अदालत ने कहा कि अभियुक्तों का कहना है कि उन्हें रंजिश में फंसाया गया है। मगर, न्यायालय के समक्ष अभियुक्तों ने ऐसा कोई भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया, जो यह साबित करता हो कि उन्हें रंजिशन फंसाया गया है। मामले में वादी मुकदमा या अन्य साक्षीगण की निश्चित तौर पर अभियुक्तगण से पूर्व की कोई रंजिश नहीं है। अभियुक्त यह भी नहीं बता पाए कि किस व्यक्ति ने किस रंजिश के तहत वादी का प्रयोग कर उन्हें फंसाया है।

 

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button