26 विकास योजनाओं का भी सीएम नीतीश ने किया उद्घाटन और शिलान्यास
पटना.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार जलवायु सम्मेलन एवं प्रदर्शनी का उद्घाटन कर दिया है। इस सम्मेलन का उद्देश्य विशेषज्ञों, हितधारकों एवं नीति निर्माताओं को एक साथ लाना एवं बिहार राज्य के लिए जलवायु रणनीतियों पर विचार-विमर्श करना है। साथ ही जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों एवं इससे बचने के उपायों के बारे में विचार-विमर्श करना है। आने वाले वर्षों में राज्य को जलवायु अनुकूल एवं कार्बन न्यूट्रल बनाने की पहल की गई है, इस दृष्टिकोण को साकार करने के लिये बिहार जलवायु सम्मेलन आयोजित किया गया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने बिहार जलवायु प्रदर्शनी में लगाए गए विभिन्न स्टॉलों का निरीक्षण किया और विस्तृत जानकारी ली। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय डॉल्फिन रिसर्च सेंटर, पटना का रिमोट के जरिए शिलापट्ट अनावरण कर उद्घाटन किया। साथ ही मुंगेर वानिकी महाविद्यालय का 'बिहार वानिकी महाविद्यालय एवं शोध संस्थान' के रूप में उन्नयन एवं नामकरण किया। सीएम नीतीश कुमार ने 108 करोड़ 33 लाख रुपये लागत की पार्क, ईको टूरिज्म, भू-जल संरक्षण एवं आधारभूत संरचना विकास की 26 योजनाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास भी किया। कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा पूर्णिया और भागलपुर में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालयों का उद्घाटन तथा 'बिहार की जलवायु अनुकूल एवं न्यून कार्बन प्रारूप' रणनीति का लोकार्पण किया गया। मुख्यमंत्री द्वारा लोगों को वायु की गुणवत्ता की जानकारी देने के लिए डैशबोर्ड का भी शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम के दौरान जलवायु कार्य हेतु बिहार घोषणा पत्र जारी किया गया।
कई महत्वपूर्ण कदम उठाए
बता दें कि बिहार एक आपदा प्रवण राज्य है और जलवायु परिवर्तन के कारण विगत कुछ दशकों से बाढ़, सुखाड़, आकाशीय विद्युत जैसी आपदाओं की तीव्रता और आवृत्ति में बढ़ोतरी हुई है। इस पृष्ठभूमि में राज्य सरकार द्वारा जलवायु परिवर्तन शमन एवं अनुकूलन की दिशा में अनेक कदम उठाये गये हैं जिनमें 'जल-जीवन-हरियाली अभियान' एवं जलवायु अनुकूल कृषि कार्य प्रमुख हैं। बिहार, देश का पहला राज्य है जहां जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए जल-जीवन-हरियाली अभियान चलाया जा रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में पर्यावरण संरक्षण के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं।