छत्तीसगड़

कोरोना काल ने बता दिया कि डबिंग फिल्मों, कार्टून व विज्ञापनों में जो हम आवाज सुनते हैं वह किसी और की होती है: नेश्मा

रायपुर

4 साल की उम्र से वाइस आर्टिस्ट काम कर रही नेश्मा चेंबरकर रविवार को छत्तीसगढ़ के लोगों को वर्कशॉप के माध्यम से यह बताएंंगे कि इस क्षेत्र में भी वे अपनी आवाज के माध्यम से लोगों के बीच अपनी आवाज को पहुंचा सकता है, उन्हें मायानगरी मुंबई जाने की जरुरत नहीं है। पहले लोग यह नहीं जानते थे कि डबिंग आर्टिस्ट कौन है लेकिन कोरोना काल ने सबको यह बता दिया कि फिल्मों में डबिंग, कार्टून व विज्ञापनों में जो आवाज हम सुनते हैं वह किसी और की होती है और वह आवाज किसकी है। छत्तीसगढ़ आने का उनका मकसद पैसा कमाना नहीं है बल्कि के लोगों को यह बताना है कि वाइस एक्टिंग के माध्यम से वे रोजगार प्राप्त है। छत्तीसगढ़ में यहां वाइस एक्टिंग करने वाले कलाकारों को 500 रुपये मिलता हैं लेकिन मायानगरी मुंबई में एक-एक शब्दों के लिए पैसे मिलता है। इस दौरान उन्होंने लिटिल सिंघम की इंस्पेक्टर काव्या, पॉकेमान, ड्रैगन बॉल जी के आवाज सुनाकर पत्रकारों को गुदगुदाया।

पत्रकारों से चार्चा करते हुए उन्होंने बताया कि उनके स्वर्गीय माता-पिता ने बॉलीवुड की कई नामचीन फिल्मों की डबिंग में अपनी आवाज का जादू बिखेरा है और उन्हीं की बदौलत वे चार की उम्र से वाइस एक्टिंग कर रही है। अभी वे 47 साल की हो चुकी है और लोगों को वाइस एक्टिंग के गुरु सिखा रही है उनके इस इंस्ट्रीट्यूट में 64 साल का बुजुर्ग भी ट्रेनिंग ले रहा है और इसके माध्यम से वह लोगों के बीच अपनी आवाज पहुंचाकर पैसे कमा रहा है। छत्तीसगढ़ के लोगों को यह लगता है कि वाइस एक्टिंग का मतलब सिर्फ मिमिक्री करना या लोगों को हसाना होता है लेकिन ऐसा नहीं वाइस एक्टिंग  करने के लिए यह बहुत जरुरी होता है कि सामने वाला क्या बोलने वाला है और किस सीन के लिए उन्हें अपनी आवाज देनी है। इन सब के बारे में वे और उनके भाई त्रियुग मूर्ति जो कि फिल्मों और टीवी सीरियलों में काम कर चुके है रविवार न्यू राजेंद्र नगर के नुक्कड़ टी कैफे में लोगों को जानकारी देंगे।

कार्यशाला का आयोजन कर रही रायपुर की वाइस आर्टिस्ट पायल विशाल का इस संबंध में कहना है कि उन्होंने छालीवुड की गई फिल्मों में काम और कई गुमनाम कलाकारों के लिए आवाज दिया है जो शूटिंग के समय नहीं आ पाते हैं। छालीवुड में वाइस कलाकारों को एक दिन के हिसाब से 500 रुपये दिया जाता है लेकिन अगर हम मायानगरी मुंबई में यही काम करेंगे तो उन्हें एक-एक शब्द के पैसे मिलेंगे। छत्तीसगढ़ में कलाकारों की कमी नहीं है लेकिन उन्हें सही मार्गदर्शन की जरुरत है इसलिए एक दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन किया गया है ताकि इसमें शामिल होकर वे घर बैठे रोजगार पा सकें और बिना मुंबई जाए पैसा कमा सकें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button