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श्रीलंका ने चीनी अनुसंधान जहाजों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया, श्रीलंका के इस फैसले पर चीन ने असंतोष जाहिर किया

श्रीलंका
चीन के जासूसी जहाज हमेशा से भारत के लिए खतरा रहे हैं. भारत हमेशा से श्रीलंका के समुद्री क्षेत्र में चीन के जासूसी जहाजों को लेकर श्रीलंका पर दबाव बनाता है. इस बार भारत के कहने पर श्रीलंका ने हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी रिसर्चर जहाजों के आने पर रोक लगा दी है, जिसके बाद चीन बौखला गया है. डेली मिरर में छपी रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका ने 3 जनवरी, 2024 से एक साल के लिए हिंद महासागर के विशेष आर्थिक क्षेत्र में चीनी अनुसंधान जहाजों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया है. श्रीलंका के इस फैसले पर चीन ने असंतोष जाहिर किया है. रिपोर्ट के मुताबिक श्रीलंका ने इस तरह की सभी जहाजों पर रोक लगाई है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर चीन पर पड़ा है. श्रीलंका ने यह फैसला तब लिया है, जब चीन का रिसर्च जहाज जियांग यांग होंग-3 दक्षिण हिंद महासागर शोध के लिए आ रहा था.

चीन ने श्रीलंका पर लगाया आरोप
चीन का जियांग जहाज आधिकारिक तौर पर चीन के प्राकृति संसाधन मंत्रालय का बताया गया है. भारत का हमेशा से आरोप रहा है कि चीन अनुसंधान के नाम पर श्रीलंका के समुद्री क्षेत्र में आकर जासूसी करता है. श्रीलंका के बैन लगाने पर चीनी अधिकारी नाराज दिखे. उन्होंने कहा कि भारत के कहने पर श्रीलंका ने गलत कदम उठाया है. इस फैसले पर चीनी मीडिया ने भी श्रीलंका के खिलाफ जमकर जहर उगला. हालांकि, जगह नहीं मिलने पर चीनी जहाज मालदीव के बंदरगाह पर जाकर रुका था. बताया जाता है कि अब मालदीव से चीनी जहाज रवाना हो चुका है. चीन ने बताया है कि उनका जियांग यांग होंग-3  जहाज मालदीव में समुद्री कर्मियों की पूर्ति के लिए गया था. यह जहाज 4500 टन वजन वाला बताया जाता है.

माले से रवाना हुआ चीनी जहाज
मालदीव की रिपोर्ट के मुताबिक चीन का जहाज जियांग यांग होंग-3  मालदीव के माले बंदरगाह पर रुका था. अब वह मालदीव के विशेष आर्थिक समुद्री गलियारे की तरफ रवाना हो चुका है. इस जहाज के बंदरगाह से निकलने के दो दिन बाद भी मालदीव के क्षेत्र में रहने की बात कही जा रही है. जहाजों को ट्रैक करने वाली वेबसाइटों के मुताबिक दो दिन बाद भी यह जहाज मालदीव की राजधानी माले से मात्र 10 किलोमीटर दूर हुलहुमाले के करीब होने की उम्मीद है.

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