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चीन के इन्वेस्टमेंट फेसिलेटेशन फॉर डेवलपमेंट प्रस्ताव को भारत ने रोका

नई दिल्ली
 विश्व व्यापार संगठन (WTO) में भारने ने चीन की चाल को साउथ अफ्रीका के साथ मिलकर मात दे दी है। दरअसल विश्व व्यापार संगठन (WTO) में भारत और दक्षिण अफ्रीका ने चीन के नेतृत्व वाले एक अहम प्रस्ताव को रोक लिया है। चीन ने इन्वेस्टमेंट फेसिलेटेशन फॉर डेवलपमेंट (IFD) के नाम से एक समझौता प्रस्ताव तैयार किया था, जिसमें दुनिया के 123 देश शामिल हैं। लेकिन अब यह संभावना कम है कि इसे सम्मेलन के अंतिम दस्तावेज में शामिल किया जाएगा। भारत ने चीन के फेसिलेटेशन फॉर डेवलपमेंट समझौता प्रस्ताव पर चिंताएं जताई थीं। यह पहली बार नहीं है जब भारत ने आईएफडी के विरोध में आवाज उठाई है। इससे पहले भारत ने दिसंबर 2023 में भी विश्व व्यापार संगठन की बैठक में इस प्रस्ताव को रोक दिया था। भारत का लगातार रुख समझौते के संभावित प्रभाव को लेकर उसकी चिंताओं को उजागर करता है।

इस वजह से भारत कर रहा विरोध

भारत चीन के प्रस्ताव पर लगातार विरोध जताता रहा है। भारत ने आईएफडी के बारे में कई चिंताएं जताई हैं। भारत का तर्क है कि इन्वेस्टमेंट फेसिलेटेशन फॉर डेवलपमेंट व्यापार संगठन के दायरे से बाहर है। यह सीधे तौर पर व्यापार से जुड़ा मुद्दा नहीं है। दूसरा, भारत ने बताया कि आईएफडी औपचारिक समझौते के मानदंडों को पूरा नहीं करता। इसे सभी WTO सदस्यों का सर्वसम्मति से समर्थन नहीं मिला है, इस प्रकार अनिवार्य सर्वसम्मति की कमी है।

लगातार कोशिश कर रहा चीन

आईएफडी को पहली बार साल 2017 में प्रस्तावित किया गया था। इसका उद्देश्य निवेश प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना और सीमा पार निवेश को सुविधाजनक बनाना है। हालांकि, यह उन देशों के पक्ष में होने की आलोचनाओं को आकर्षित करता है जो भारी मात्रा में चीनी निवेश वाले देशों पर निर्भर हैं। अब भारत और दक्षिण अफ्रीका की आपत्ति के साथ, आईएफडी को डब्ल्यूटीओ द्वारा अपने वर्तमान स्वरूप में अपनाए जाने की संभावना नहीं है।

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