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Rajasthan: तबादलों का मुद्दा गरमाया, BJP नेताओं की टेंशन भी बढ़ी

जयपुर.

लोकसभा चुनावों से पहले जाट वर्ग की नाराजगी बीजेपी की चिंता बढ़ा सकती है। मुद्दा सरकार की तबादला नीति को लेकर गरमाया। इसमें आरोप लगाए गए कि तबादले एक वर्ग को टारगेट करके किए गए। इसके प्रमाण में कई सूचियां सोशल मीडिया पर वायरल की गई जिसमें कई जिले में जाट अफसरों और कर्मचारियों के जबरदस्त संख्या में तबादले किए गए। न सिर्फ तबादले बल्कि उन्हें जैसलमेर और बाड़मेर जैसी बॉर्डर इलाकों में भी भेजा रहा है जिस सरकारी भाषा में सजा के तौर पर तबादला माना जाता है।

कई कांग्रेस नेता इस मामले में एक-एक कर बयान देने के लिए आगे आ रहे हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि पूरे प्रदेश में हाल में हुए टांसफर्स में राजनीतिक दुर्भावना साफ देखी जा सकती है। कुछ नकारात्मक सोच के भाजपा नेताओं ने बदले की भावना से सरकारी कर्मचारियों का जाति के आधार पर तबादला कर दिया। समाज को बांटने की मंशा से यह काम उचित नहीं है। इससे पहले कांग्रेस के बायतू विधायक और एआईसीसी में दक्षिण भारत की स्क्रीनिंग कमेटी के चेयरमैन हरीश चौधरी व लाडनू विधायक मुकेश भाकर ने भी खुलकर इस मामले में सरकार पर सवाल खड़े किए।
हरीश चौधरी का कहना है कि अल्प वेतन भोगी सरकारी कर्मचारियों को सिर्फ इसलिए इधर-उधर किया जा रहा है कि वे एक जाति से संबंधित हैं। मेरे विचार में यह उचित तो कतई नहीं है। मेरी विधानसभा में भी ऐसे कई मामले हैं। सरकार को इसे देखना चाहिए।

बीजेपी के नेताओं का विरोध शुरू
तबादलों को लेकर नाराज कर्मचारी वर्ग अब बीजेपी के जाट नेताओं को खरी खोटी सुनाने लगा है। जाट जाति से आने वाले मालपुरा विधायक व सरकार के कैबिनेट मंत्री कन्हैया लाल चौधरी को एक सार्वजनिक कार्यक्रम में इस मुद्दे को लेकर लोगों का विरोध झेलना पड़ गया। हालांकि उन्होंने इन आरोपों को राजनीतिक करार दिया।

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