हार मिलने के बाद ब भी मुकाबले में बनी हुई हैं और ”कहानी अभी खत्म नहीं हुई है : निक्की हेली
साउथ कैरोलाइना में ट्रंप से हार ''कहानी का अंत नहीं'': निक्की हेली
हार मिलने के बाद ब भी मुकाबले में बनी हुई हैं और ''कहानी अभी खत्म नहीं हुई है : निक्की हेली
भारतवंशी प्रोफेसर अशोक वीरराघवन को टेक्सास में सर्वोच्च शैक्षणिक सम्मान
ट्रॉय
अमेरिका के राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन उम्मीदवार बनने की दावेदार निक्की हेली ने अपने गृह राज्य साउथ कैरोलाइना के प्राइमरी चुनाव में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हाथों हार मिलने के बाद कहा कि वह अब भी मुकाबले में बनी हुई हैं और ''कहानी अभी खत्म नहीं हुई है।''
साउथ कैरोलाइना में रिपब्लिकन पार्टी के सदस्यों ने हेली को हार के बाद मुकाबला से अपना नाम वापस लेने की सलाह दी लेकिन हेली इसे अनसुना कर रविवार को मिशिगन रवाना हो गईं, जहां आज मंगलवार को प्राइमरी चुनाव होने हैं।
ट्रंप से हार मिलने के बाद 24 घंटे से भी कम समय में हेली के प्रचार अभियान दल ने कहा कि साउथ कैरोलाइना की पूर्व गवर्नर ने केवल जमीनी स्तर के समर्थकों से 10 लाख अमेरिकी डॉलर जुटा लिए हैं लेकिन शक्तिशाली कोच नेटवर्क की राजनीतिक शाखा 'अमेरिकन फॉर प्रॉस्पेरिटी' (एएफपी) ने हेली के प्रचार अभियान के लिए अपना समर्थन रविवार को वापस ले लिया।
हेली (52) ने प्राइमरी में हार मिलने के बाद पांच मार्च को 'सुपर ट्यूजडे' (महामंगलवार) को होने वाले चुनाव में ट्रंप का मजबूती से मुकाबला करने का संकल्प लिया है। पांच मार्च को देशभर के 21 राज्यों में रिपब्लिकन प्राइमरी चुनाव होंगे।
'सुपर ट्यूजडे' अमेरिका के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के चयन के लिए प्राइमरी चुनाव प्रक्रिया का वह दिन होता है, जब सबसे अधिक राज्यों में प्राइमरी और कॉकस चुनाव होते हैं।
ट्रंप आयोवा, न्यू हैम्पशायर और नेवादा के प्राइमरी चुनाव भी जीत चुके हैं लेकिन साउथ कैरोलाइना की जीत ट्रंप के लिए विशेष महत्व रखती है, क्योंकि हेली दो बार यहां की गवर्नर रह चुकी हैं।
किसी भी दावेदार को पार्टी का उम्मीदवार बनने के लिए 1,215 'डेलिगेट' के समर्थन की आवश्यकता होती है। अब तक हेली ने 17 और ट्रंप ने 92 'डेलिगेट' का समर्थन हासिल कर लिया है।
हेली ने कहा, ''मैंने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि दक्षिण कैरोलाइना में चाहे कुछ भी हो जाए, मैं राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए लड़ना जारी रखूंगी। मैं अपनी बात पर कायम रहने वाली महिला हूं। मैं यह लड़ाई नहीं छोड़ रही हूं। अधिकतर अमेरिकी डोनाल्ड ट्रंप और राष्ट्रपति जो बाइडन दोनों को अस्वीकार करते हैं।''
भारतवंशी प्रोफेसर अशोक वीरराघवन को टेक्सास में सर्वोच्च शैक्षणिक सम्मान
टेक्सास
टेक्सास एकेडमी ऑफ मेडिसिन, इंजीनियरिंग, साइंस एंड टेक्नोलॉजी ने भारतवंशी कंप्यूटर इंजीनियर प्रो. अशोक वीरराघवन को इंजीनियरिंग के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए 'एडिथ और पीटर ओ'डॉनेल' पुरस्कार से सम्मानित किया है।
यह टेक्सास में शोधकर्ताओं के लिए सर्वोच्च शैक्षणिक पुरस्कारों में से एक है। प्रो. वीरराघवन राइस यूनिवर्सिटी के जॉर्ज आर. ब्राउन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग हैं।
राइस यूनिवर्सिटी के मुखपत्र 'द राइस थ्रेसर' ने यह जानकार दी। 'द राइस थ्रेसर' ने कहा कि प्रो. वीरराघवन को 'क्रांतिकारी इमेजिंग तकनीक' के लिए 2024 एडिथ और पीटर ओ'डॉनेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। भारतीय-अमेरिकी डॉ. वीरराघवन बी-टेक हैं। 2002 में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर और 2008 में मैरीलैंड विश्वविद्यालय, कॉलेज पार्क में इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग से पीएचडी की है। अशोक 2010 में ईसीई विभाग में शामिल हुए। उन्हें 2017 में एसोसिएट प्रोफेसर और 2020 में प्रोफेसर के रूप में पदोन्नत किया गया।
राइस विश्वविद्यालय के मुखपत्र 'द राइस थ्रेसर' के अनुसार, वीरराघवन फ्लैटकैम के सह-डेवलपर हैं। येल विश्वविद्यालय के सहयोग से राइस ईसीई टीम को ऑप्टिकल हार्डवेयर और उसके सॉफ्टवेयर इंटरफेस को विकसित करने के लिए चार वर्षों में $4 मिलियन प्राप्त होंगे।