मध्यप्रदेश

कंपनियां नहीं ले रही रुचि, तीसरी बार जारी होंगे टेंडर

भोपाल

राजधानी के 50 हजार से अधिक परिवारों को नलों के जरिए घरों में पानी मिलने के लिए अभी और इंतजार करना होगा। वजह यह है कि 379 करोड़ रुपए की लागत से वॉटर सप्लाई नेटवर्क तैयार का प्रोजेक्ट करने के लिए कंपनी या निर्माण एजेंसी तैयार नहीं हो रही हैं। यह राशि कम लग रही है। कुछ कंपनियां लागत में 20 फीसदी तक बढ़ोतरी करने की बात अफसरों से कह चुकी हैं।

दरअसल, अमृत 2 के तहत जलप्रदाय सिस्टम तैयार करने और इसे बेहतर बनाने के लिए करीब 379 करोड़ रुपए के प्रोजेट को केंद्र व राज्य सरकार ने मंजूरी दी है।  इसके लिए नगर निगम ने पिछले साल विधानसभा चुनाव के पहले टेंडर जारी किए थे। इसमें कोई एजेंसी नहीं आई। ऐसे में इस साल आचार संहिता हटने के बाद फिर टेंडर किए गए। इसकी आखिरी तारीख पिछले हते ही समाप्त हुई। अधिकारियों ने बताया कि केवल एक ही कंपनी ने आॅफर दिया है। नियमानुसार इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। अब तीसरी बार टेंडर जारी करना होंगे। यानि एक-दो महीने बाद ही प्रोजेट का कार्य शुरू होने की स्थिति में पहुंचने की संभावना है।

2021 के एसओआर से लागत का अनुमान
 सड़क, पुल, लाय ओवर निर्माण के साथ बिजली, जलप्रदाय व सीवेज आदि के कार्यों के लिए शासन की ओर से शेड्यूल आॅफ रेट (एसओआर) तय किया जाता है। स्पेसिकिशेन के मुताबिक प्रत्येक सामग्री की दरें निर्धारित होती हैं। सप्लाय आइटम भी इसमें शामिल हैं। इसके आधार पर ही किसी भी कार्य की अनुमानित लागत तय की जाती है। राजधानी के लिए अमृत 2 की डीपीआर बनाने वाले कंसलटेंट ने भी इसका पालन करते हुए वर्ष 2021 के एसओआर से जलप्रदाय की योजना बनाई और इस पर होने वाले खर्च का अनुमान लगाया।

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