टेक्नोलॉजी

चोरी हुए फोन का पता लगाना: IMEI नंबर का महत्व

पहले, चोरी हुए मोबाइल फोन को पकड़ने के लिए IMEI नंबर का इस्तेमाल होता था, जो मोबाइल का एक खास पहचान नंबर है. लेकिन अब चोर इस नंबर को बदलकर, चोरी के फोन को पुराने फोन के तौर पर बेच रहे हैं. दिल्ली पुलिस ने तिलक नगर में ऐसे ही एक गिरोह को पकड़ा है और 3 लोगों को गिरफ्तार किया है. 79 मोबाइल बरामद हुए हैं, लेकिन उनके IMEI नंबर बदल दिए गए हैं, जिससे उन्हें दर्ज की गई शिकायतों (FIRs) से जोड़ना मुश्किल हो रहा है. अभी तक पुलिस केवल चार फोन को ही जोड़ पाई है. सूत्रों का कहना है कि शहर में 'IMEI बदलने वालों' की संख्या बढ़ रही है, जिससे चोरी हुए मोबाइल फोन को वापस लेना मुश्किल हो गया है.

पुलिस ने किया भंडाफोड़

पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो चोरी के मोबाइल फोन के IMEI नंबर बदलते थे। IMEI एक खास कोड होता है जो हर फोन को पहचानता है. पुलिस ने गिरोह के 3 सदस्यों को भी गिरफ्तार किया है. ये लोग पश्चिम दिल्ली में सक्रिय थे और मोबाइल छीनने वालों की मदद करते थे. पकड़े गए लोगों के नाम नरबजीत सिंह (26), मनीष सिंह (23) और गुरमीत सिंह (32) हैं, ये तीनों तिलक नगर के रहने वाले हैं. पुलिस ने उनके पास से 79 चोरी के फोन और एक लैपटॉप बरामद किया है जिसमें IMEI बदलने वाला सॉफ्टवेयर और अन्य सबूत मौजूद थे.

पुलिस नहीं ढूंढ पा रही मोबाइल का असली मालिक

चोरों ने चोरी के फोन के IMEI बदल दिए, जिससे पुलिस को उन्हें असली मालिकों से जोड़ना मुश्किल हो रहा है. अभी तक पुलिस सिर्फ चार मामलों से ही फोन जोड़ पाई है. बाकी फोन असली मालिकों तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है.

बढ़ रही IMEI बदलने वालों की संख्या

सूत्रों के मुताबिक, शहर में "IMEI बदलने वालों" की बढ़ती संख्या के कारण पुलिस कई चोरी के मोबाइल फोन नहीं ढूंढ पा रही है. यह चलन पुलिस के लिए चिंता का विषय बन गया है. आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, छीने या चोरी हुए ज्यादातर मोबाइल फोन नहीं मिल पाते. ज्यादातर मामलों में, चोरी के बाद लोग नया सिम ले लेते हैं, इसलिए पुलिस चोरी के फोन को ट्रैक करने के लिए IMEI (international mobile equipment identity) का इस्तेमाल करती है.

करते थे खास सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल

पुलिस का कहना है कि ये गिरोह एक खास सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करता था जो चोरी के मोबाइल का असली IMEI नंबर बदल देता था, जिससे ये पता नहीं चल पाता था कि फोन चोरी का है. फिर वो इन्हें बाजार में इस्तेमाल किए हुए फोन की तरह बेच देते थे. ये गिरोह तब पकड़ा गया जब सब-इंस्पेक्टर अमित की टीम को एक मुखबिर से सूचना मिली कि कोई शख्स ऐसा काम कर रहा है. पुलिस ने जाल बिछाकर नरबजीत नाम के एक आदमी को चोरी के मोबाइल के साथ पकड़ लिया. वो मोबाइल हरि नगर से चोरी हुआ था और उसका IMEI नंबर बदल दिया गया था.

फोन का किया जाता था ऑपरेशन

पूछताछ में, शख्स ने पुलिस को बताया कि उसने और उसके साथियों ने मिलकर एक मुश्किल प्रक्रिया से फोन के IMEI नंबर बदल दिए थे, जिससे उन्हें ट्रैक करना लगभग नामुमकिन हो गया था. नरबजीत ने बताया कि गिरोह का एक और सदस्य, गुरमीत, छीनने वालों और चोरों से फोन इकट्ठा करता था और उन्हें उनकी दुकान पर लाता था, जहां उनका "ऑपरेशन" किया जाता था.

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