बीच में पढ़ाई छोडने वाले विद्यार्थियों के सर्टिफिकेट तथा डिप्लोमा प्रदान किये जाएंगे
रायपुर
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आगामी शैक्षणिक सत्र से नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन हेतु रणनीति तैयार करने के लिए एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला के मुख्य अतिथि कृषि विश्वविद्यालय बेंगलुरु के पूर्व कुलपति डॉ राजेंद्र प्रसाद थे और अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ गिरीश चंदेल ने की।
कार्यशाला के दौरान कृषि विश्वविद्यालय में नवीन शिक्षा नीति 2020 के प्रावधानों को लागू करने के संबंध में व्यापक विचार-विमर्श किया गया तथा इसके क्रियान्वयन हेतु रणनीति का मसौदा तैयार किया गया। कार्यशाला में विशेषज्ञों के रूप में डॉ. एस. सुधाकर, प्राध्यापक तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, डॉ. के. गायकवाड़ प्राध्यापक, एन.आई.पी.बी., नई दिल्ली, डॉ. एस.के. दास, अधिष्ठाता कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय, भुवनेश्वर, डॉ. एम. यासीन, अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय सीहोर तथा डॉ. प्रमोद के. पाण्डेय, प्राध्यापक, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (संयुक्त राज्य अमेरिका) शामिल हुए। कार्यशाला में कुलपति डॉ. चंदेल ने कहा कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में आगामी शैक्षणि वर्ष से नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने हेतु हर संभव प्रयास किये जाएंगे।
कार्यशाला में नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति में निहित प्रावधानों को कृषि विश्वविद्यालय में लागू करने के संबंध में सुझाव दिये गये। इसके तहत कृषि महाविद्यालयों में मल्टिपल एन्ट्री एवं मल्टिपल एक्जिट के प्रावधान लागू करने का सुझाव दिया गया। इसके तहत कृषि महाविद्यालय में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को बीच में पढ़ाई छोडने पर सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा दिये जाने का प्रावधान रखा गया है। स्नातक पाठ्यक्रम में केवल एक वर्ष पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को कृषि में सर्टिफिकेट, दो वर्ष बाद पढ़ाई छोडने वाले विद्यार्थियों को डिप्लोमा तथा चार वर्ष अध्ययन करने वाले विद्यार्थी को स्नातक उपाधि (डिग्री) प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही कृषि शिक्षा को रोजगारोन्मुखी बनाने के लिए कौशल तथा उद्यमिता विकास एवं बाजार मांग के अनुरूप पाठ्यक्रम शामिल करने पर जोर दिया गया। इसके अलावा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार तथा सक्षम मानव संसाधन विकास हेतु विद्यार्थियों में सृजनात्मक सोच तथा समस्या समाधान प्रवृत्ति विकसित करने पर भी बल दिया गया।