मध्यप्रदेश

सजा से बचा नहीं पाएगा रिटायरमेंट

भोपाल

अब सरकारी महकमों के कर्मचारी सेवानिवृत्ति से पहले विभागीय जांच के मामलों में दोषी पाए जाने पर सजा पाने से नहीं बच सकेंगे। ऐसे सभी शासकीय कर्मचारी-अधिकारी जिनके सेवानिवृत्ति का एक साल से कम समय शेष है उनके विभागीय जांच के प्रकरण दिन-प्रतिदिन सुनवाई कर सेवानिवृत्ति के पूर्व अथवा तीस जून 2924 के पूर्व जो भी पहले हो समाप्त किए जाएंगे।

सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव और सभी विभागों के विभागध्यक्षों, राजस्व मंडल अध्यक्ष तथा सभी कलेक्टरों को विभागीय जांच प्रकरणों का समयावधि में निराकरण के लिए नई गाइडलाइन का पालन करने को कहा है। सामान्य प्रशासन विभाग ने विभागीय जांच के प्रकरणों को प्राथमिकता के आधार पर मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियमों के अधीन मुख्य शास्ति अधिरोपित किये जाने वाली प्रक्रिया एक वर्ष की समयावधि में तथा लघु शास्ति के मामले में अधिकतम 150 दिन अर्थात पांच माह में आवश्यक रुप से पूर्ण किए जाने के निर्देश दिए है। लेकिन सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशों का पालन सरकारी महकमों में नहीं हो रहा है जिसके कारण समयसीमा में इन प्रकरणों का निराकरण नहीं हो रहा है।

इन मामलों की एक सप्ताह में मांगी जानकारी
जीएडी पीएस रस्तोगी ने विभागों को कहा है कि वर्ग तीन एवं वर्ग चार के शासकीय सेवकों के विभागीय जांच प्रकरणों के निराकरण की समीक्षा विभागाध्यक्ष द्वारा तथा वर्ग एक एवं वर्ग दो के अधिकारियों के विभागीय जांच प्रकरणों की समीक्षा संबंधित अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव द्वारा की जाएगी। सेवानिवृत्त, दिसंबर 2024 तक सेवानिवृत्त होंने वाले शासकीय सेवकों के लंबित विभागीय जांच प्रकरणों की जानकारी एक सप्ताह में सभी को भेजने को कहा गया है।

इसलिए पड़ी जरूरत
जांच प्रकरण में त्वरित कार्यवाही नहीं होंने से शासकीय सेवकों के सेवानिवृत्त होंने पर उसे स्वत्वों को प्राप्त करने में कठिनाई होती है। न्यायालय प्रकरण बनते है और शासन को अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसलिए सेवानिवृत्त होने के पूर्व ही प्रचलित कार्यवाही का निराकरण कर लिया जाए। पेंशन नियमों के तहत चाार वर्ष की समयसीमा का उल्लंघन होने से जांच संस्थित नहीं हो पाती। यह स्थिति ठीक नहीं है।

एक सप्ताह में होगा विभागीय जांच का निर्णय
सक्षम अधिाकारी द्वारा नस्ती में विभागीय जांच का निर्णय एक सप्ताह में लेना होगा। आरोप पत्र एक माह के भीतर जारी करना होगा। अपचारी से आरोप पत्र का  उत्तर सात दिन से एक माह में लेना होगा। प्राप्त उत्तर का परीक्षण कर जांच कर्ता , प्रस्तुतकर्ता अधिकारी की नियुक्ति सात दिन से एक माह में करना होगा। जांच अधिकारी द्वारा मुख्य दंड की प्रक्रिया के लिए छह माह में और लघु दंड की प्रक्रिया के लिए तीन माह में प्रतिवेदन देना होगा। जांच प्रतिवेदन का परीक्षण एवं सजा सुनाने का निर्णय मुख्य दंड हेतु तीन सप्ताह और लघु दंड हेतु दो सप्ताह का समय तय है। आयोक की मंत्रणा जहां आवश्यक हो वहां प्राप्त होंने के बाद अंतरिम आदेश दो सप्ताह में पारित करना होगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button