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विदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई पाकिस्तान को 1971 की तरह बांटने की धमकी, बौखलाया पाक

इस्लामाबाद:
पाकिस्तान और तालिबान की सत्ता वाले अफगानिस्तान के बीच लगातार तनाव देखने को मिल रहा है। अमेरिकी सेना जब से अफगानिस्तान से गई है, तब से तालिबान पाकिस्तान पर भड़का हुआ है। पाकिस्तान मुस्लिम ब्रदरहुड का चाहे जितना राग अलाप ले, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में सिर्फ फायदे देखे जाते हैं। अफगानिस्तान अब पाकिस्तान को 1971 की तरह टुकड़े में बांटने की धमकी दे रहा है। जिस पर पाकिस्तानी भड़क गए हैं। उनका कहना है कि भारत में अफगानिस्तान में काफी डेवलपमेंट किया है, जिस कारण तालिबान का रुझान अब भारत की ओर है।

सोशल मीडिया पर इस समय एक वीडियो शेयर किया जा रहा है। इसमें तालिबान प्रशासन के उप विदेश मंत्री शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई पाकिस्तान को 1971 की तरह बांटने की धमकी दे रहे हैं। दरअसल 1971 में पाकिस्तान का पूर्वी हिस्सा अलग होकर बांग्लादेश बन गया था। तालिबान की ओर से यह धमकी तब आई है, जब कुछ महीनों पहले पाकिस्तान ने लाखों अफगान शरणार्थियों को देश से बाहर करना शुरू कर दिया। इस पर पाकिस्तान की यूट्यूबर सना अमजद ने लोगों से बात की। इस तरह के बयानों के लिए उन्होंने भारत को जिम्मेदार ठहराने की कोशिश की।

'पाकिस्तान पहले से बंटा हुआ'

बातचीत में एक पाकिस्तानी ने कहा कि पाकिस्तान ने ही अमेरिका का युद्ध में साथ देकर गलत किया, जिस कारण से तालिबान हमसे नाराज रहता है। उन्होंने कहा कि तालिबान के साथ ही अमेरिका का साथ देना पाकिस्तान के लिए भी बुरा साबित हुआ है। वहीं एक अन्य लड़की ने बातचीत के दौरान कहा कि हम फिरकों और सूबों में बंटे हुए हैं। ऐसे में हमें और कौन बांट पाएगा? वहीं उसने आगे कहा कि एक समय हम अफगानियों को शरण देते हैं, और फिर निकाल देते हैं। ऐसे में पाकिस्तान की विदेश नीति के निर्णय समझ नहीं आते।

किसी के साथ भी नहीं अच्छे संबंध

बातचीत में इस पाकिस्तानी लड़की ने कहा कि पाकिस्तान ने सभी से रिश्ते खराब किए। अफगानिस्तान, ईरान और इंडिया से से रिश्ते खराब हैं। उसने कहा कि अगर भारत से संबंध अच्छे होते तो हमारे हालात खराब न होते। यह पूछे जाने पर कि क्या भारत के सपोर्ट से तालिबान ऐसा कह रहा है। इस पर उस लड़की ने कहा कि हमें दूसरों के कंधों पर बंदूक रख कर नहीं चलाना चाहिए। वहीं एक अन्य शख्स ने बातचीत में कहा कि तालिबान से अगर लड़ाई करनी होगी तो उसके कई कारण हो सकते हैं। लेकिन पाकिस्तान कभी भी ऐसा नहीं चाहता।

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