इंदौर में घटे गिद्ध, मंदसौर में बढ़े, सर्वाधिक गांधीसागर अभयारण्य में पाए गए
भोपाल
रीवा में रविवार को जटायु संरक्षण अभियान और गिद्धों की गणना का काम पूरा हुआ। जहां गिद्ध गणना में गिद्धों की संख्या पिछले वर्षों की अपेक्षा दोगुनी पाई गई। बता दें कि गिद्धों की गणना का ये पूरा अभियान तीन दिवसीय था।वन विभाग ने प्रदेशभर में एक साथ गिद्धों की गिनती का काम शुरू किया है। इसके तहत मालवा-निमाड़ अंचल में भी सर्वे हुआ है। इसमें मंदसौर जिले में गिद्धों का बड़ा कुनबा पाया गया है।
इंदौर वनमंडल में 86 गिद्ध दिखे, जबकि 2021 में गणना के दौरान 117 गिद्ध नजर आए थे। मंदसौर जिले में तीन दिन तक चली गणना में कुल 850 गिद्ध मिले हैं। 803 गिद्ध तो गांधीसागर अभयारण्य और आसपास के क्षेत्र में ही मिले हैं। यहां गिद्धों की चार प्रजातियां मिली हैं। वहीं तीन प्रजातियां शीत ऋतु में आती हैं। 2021 की गिद्ध गणना में जिले में 676 गिद्ध मिले थे।
देवास वन विभाग द्वारा उदय नगर वन परिक्षेत्र की पताड़ी पाला बीट में गिद्धों की गणना की गई। इनमें 10 गिद्ध दिखे। इनमें पांच वयस्क और पांच अवयस्क हैं। अनुमान है कि जिले में गिद्धों की संख्या और अधिक भी हो सकती है। धार जिले में मांडू में गिद्द खोह क्षेत्र में केवल दो पक्षी ही पाए गए हैं।
शाजापुर-आगर जिले में अब तक 14 गिद्ध दिखे। बुरहानपुर में दो गिद्ध मिले हैं, इससे पहले तक जिले का आंकड़ा शून्य था। वहीं खंडवा, खरगोन, बड़वानी, उज्जैन, झाबुआ, आलीराजपुर में हुई गणना में एक भी गिद्ध नहीं मिला। हालांकि फाइनल आंकड़ा आना बाकी है।
कान्हा टाइगर रिजर्व में दिखे 169 गिद्ध
मंडला जिले के कान्हा टाइगर रिजर्व में भी चल रहे पक्षी सर्वेक्षण और प्रदेशव्यापी गिद्ध गणना का रविवार को समापन हुआ. कान्हा में हुए इस चार दिवसीय छठवें पक्षी सर्वेक्षण में पिछले बार हुए सर्वेक्षणों के मुकाबले 4 नई प्रजाति के पक्षी देखे गए. वहीं पार्क गिद्ध गणना में पार्क क्षेत्र में गिद्धों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. तीन दिवसीय गिद्ध गणना में पार्क क्षेत्र में 169 गिद्ध देखे गए हैं.
कैसे होती है गिद्ध गणना?
गिद्धों की सही गणना करने के लिए अधिकारियों और कर्मचारियों को सुबह-सुबह सूर्य उदय के समय जंगलों में जाना पड़ता है और गिद्धों के घोंसले को मॉनिटर किया जाता है. इन घोसलों की मॉनिटरिंग करने के बाद ही पता चलता है कि उस घोंसले में कितने वयस्क और कितने बच्चे हैं. यह पूरा काम वन विभाग के हर एक बीट गार्ड और उनके कर्मचारियों के द्वारा किया जाता है जिससे हर एक घोंसले को अलग-अलग काउंट किया जाता है. इससे पूरे जंगल का डेटा और गिद्धों की गणना अच्छी तरह से हो जाती है.