आरएलडीए का रेलवे भूमि को व्यावसायिक उपयोग के लिए विकसित करने के अपने उद्देश्य में विफल रहा
नई दिल्ली
लोकसभा की लोक लेखा समिति ने पाया है कि रेलवे भूमि विकास प्राधिकरण विभिन्न कारणों से रेलवे की भूमि को व्यावसायिक उपयोग के लिए विकसित करने के अपने उद्देश्य में विफल रहा।
लोकसभा में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में, समिति ने कहा कि उसने 2007 में भारतीय रेलवे द्वारा रेलवे भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए) को सौंपी गई 49 स्थलों में से 17 की समीक्षा की और पाया कि इनमें से किसी को भी 2017 तक विकसित नहीं किया गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 49 में से केवल 40 स्थल व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य हैं।
अधीर रंजन चौधरी की अध्यक्षता वाली समिति ने "रेल भूमि विकास प्राधिकरण द्वारा वाणिज्यिक उपयोग के लिए रेलवे भूमि का विकास" रिपोर्ट पेश की है, जो 20 जुलाई 2018 को लोकसभा में पेश की गई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट पर आधारित है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रेलवे के पास 43,000 हेक्टेयर खाली जमीन है, जिसमें से 2007 से 2017 तक 49 स्थलों को उसने राजस्व अर्जित करने के लिए वाणिज्यिक विकास के सिलसिले में आरएलडीए को सौंपा था।
रिपोर्ट में कहा गया है, "समिति ने पाया कि ऑडिट में 17 स्थलों के विकास की समीक्षा की गई, जिन्हें 2007 में आरएलडीए के गठन के समय सौंपा गया था और पाया गया कि इनमें से किसी भी स्थल का विकास नहीं हुआ।"