बेड बढ़े, बजट नहीं… मरीजों को न दवा मिल पा रही, न सर्जिकल सामान
भोपाल
प्रदेश के सबसे बड़े हमीदिया अस्पताल में मरीजों के लिए दवाएं नहीं मिल रही हैं। यहां नए भवन के बनने के बाद बेड की संख्या 750 से बढ़कर 1450 हो गई है। लेकिन, इसके अनुपात में बजट नहीं बढ़ा। अस्पताल का हर महीने का खर्च कम से कम 3 करोड़ है, लेकिन, महज 60 लाख रुपए ही शासन से मिलते हैं इसलिए मरीजों को न तो दवाएं मिल पाती हैं, न ही आपरेशन के लिए सर्जिकल सामान।
कैथलैब की शिफ्टिंग के लिए टेक्नीकल एक्सपर्ट की मदद लेगा हमीदिया प्रबंधन
इधर, हमीदिया में कैथलैब को नई बिल्डिंग में शिफ्ट करने में कई समस्याएं आ रही हैं। मशीन का साइज बड़ा है, वहीं अस्पताल में कोई ऐेसा विशेषज्ञ नहीं जो इसे शिफ्ट कर सके। अब अस्पताल प्रबंधन बाहर से टेक्नीकल विशेषज्ञों को बुला रहा है जो इस मशीन को शिफ्ट करवा सकें। कैथलैब और ओपीडी पुराने भवन में संचालित हो रही है। डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने निर्देश दिए थे कि नई बिल्डिंग में कैथलैब को शिफ्ट किया जाए।
प्रतिदिन की जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रहीं
अस्पताल का हर माह का खर्च कम से कम 3 करोड़ है। इससे दवाएं, ग्लव्स, सिरिंज, बेंडेज, सर्जिकल सामानों के अलावा वेतन और अन्य दैनिक खर्च शामिल हैं। लेकिन, शासन से महज 50 से 60 लाख रुपए हर माह मिलते हैं। चार माह के हिसाब से 12 करोड़ के खर्च की जरूरत के अनुपात में महज एक करोड़ देर-सबेर आता है।
यह है खर्च का गणित
750 से बढ़कर हो गई 1450 बेड संख्या
ओपीडी में 2000 मरीज आते हैं प्रतिदिन
7 लाख मरीज सालभर में आते हैं
10.50 करोड़ दवा का 1 साल में खर्च
12 करोड़ सालाना खर्च है आइपीडी में
30-35 ऑपरेशन रोजाना होते हैं
प्रति ऑपरेशन पर कम से कम 10000 खर्च
10 करोड़ सालाना आपरेशन पर खर्च
36 करोड़ का बजट चाहिए मरीजों के लिए
6 से 7 करोड़ सालाना देती है सरकार
11 हजार ऑपरेशन होते हैं सालभर में