चांदी में रिकॉर्ड उछाल: 24 घंटे में ₹19,700 महंगी हुई सिल्वर, कीमतों ने तोड़ा स्तर

नई दिल्ली
पिछले कुछ दिनों में चांदी ने निवेशकों और बाजार विशेषज्ञों को चौंका दिया है। कीमतों में ऐसी ऐतिहासिक तेजी देखने को मिल रही है, जो अब तक दुर्लभ मानी जाती थी। शनिवार, 27 दिसंबर को इंदौर के सर्राफा बाजार में चांदी एक ही दिन में 19,700 रुपये उछलकर 2.53 लाख रुपये प्रति किलो के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। MCX के आंकड़ों के अनुसार, साल 2025 में अब तक चांदी 150 फीसदी से ज्यादा महंगी हो चुकी है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी इसका भाव 75 डॉलर प्रति औंस के पार निकल गया है। खास बात यह है कि यह तेजी किसी डर या सट्टेबाजी की वजह से नहीं, बल्कि मजबूत बुनियादी कारणों से आई है।
सप्लाई से ज्यादा मांग
चांदी लंबे समय से स्ट्रक्चरल डेफिसिट में है, यानी इसकी मांग सप्लाई से कहीं ज्यादा है। उद्योग रिपोर्ट्स के मुताबिक 2025 में वैश्विक बाजार में 100 मिलियन औंस से अधिक की कमी रह सकती है। चूंकि चांदी मुख्य रूप से कॉपर, जिंक और लेड की खदानों से बाय-प्रोडक्ट के तौर पर निकलती है, इसलिए इसकी सप्लाई तेजी से बढ़ाना आसान नहीं है।
गोदामों में घट रहा स्टॉक
COMEX, लंदन और शंघाई जैसे बड़े अंतरराष्ट्रीय वॉल्ट्स में चांदी का स्टॉक लगातार घटता जा रहा है। जैसे-जैसे इन्वेंट्री कम हो रही है, वैसे-वैसे फिजिकल चांदी की उपलब्धता और तंग होती जा रही है। इसका सीधा असर कीमतों पर दिख रहा है।
इंडस्ट्रियल डिमांड ने बढ़ाया दबाव
आज चांदी की 50-60 फीसदी मांग इंडस्ट्रियल सेक्टर से आती है। सोलर पैनल, इलेक्ट्रिक व्हीकल, इलेक्ट्रॉनिक्स और मेडिकल सेक्टर में चांदी की खपत तेजी से बढ़ी है। ग्रीन एनर्जी पर बढ़ता फोकस इस मांग को और मजबूत बना रहा है।
चीन फैक्टर से बाजार में हलचल
चर्चा है कि चीन 1 जनवरी 2026 से चांदी के निर्यात पर सख्ती कर सकता है। हालांकि अभी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन इस आशंका ने ही निवेशकों को फिजिकल चांदी खरीदने के लिए प्रेरित कर दिया है।
आगे क्या करें निवेशक?
विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा तेजी ठोस आधार पर टिकी है। हालांकि चांदी स्वभाव से उतार-चढ़ाव वाली धातु है, इसलिए शॉर्ट टर्म में हल्की गिरावट संभव है। लंबी अवधि में, खासकर 2026 तक, इसके दाम 80 डॉलर प्रति औंस के आसपास पहुंच सकते हैं।




