खंगार महाराव मूर्ति अनावरण: क्षत्रिय को 36 कौमों के साथ संगठित दिखना होगा
शाहपुरा/जयपुर.
भगवान श्रीराम की 284वीं पीढ़ी के वंशज नरेश महाराव खंगार की 441वीं पुण्यतिथि के मौके पर बुधवार को शाहपुरा के निकटवर्ती मेवदा ग्राम में उनकी प्रतिमा का अनावरण समारोह पूर्वक किया गया। इस मौके पर स्नेह मिलन समारोह का आयोजन भी किया गया, जिसमें प्रदेश भर से उनके वंशज खंगारोत वर्ग के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। मूर्ति अनावरण एवं स्नेह मिलन समारेाह में मुख्य वक्ता रामस्नेही संप्रदाय से राजऋषि संत समताराम महाराज ने कहा कि एक समय था।
जब राजपूत को अपना क्षत्रिय धर्म निभाने के लिए तलवार को चलाना पड़ता था। आज का युग शिक्षा का युग है, इस युग में तलवार की जगह कलम उठाने की जरूरत है। जो काम तलवार नहीं कर सकती, वो कलम कर सकती है। हमारे आसपास के समाज के लोगों को जागरुक होकर तलवार की जगह कलम को अपनी ताकत बनानी चाहिए। क्षत्रिय शुरुआत से ही 36 कौमों को साथ लेकर चलने वाला समाज रहा है। इसलिए राजनैतिक उलझनों के चक्कर में नहीं पड़ते हुए लोकतंत्र के इस दौरा में छुआछुत, जातिवाद जैसे मुद्दों से ऊपर उठकर सभी को गले लगाना चाहिए। सभी को सम्मान की दृष्टि से देखें। एकता बनाए रखने में एक दूसरे को साथ लेकर चलने की जरूरत है। राजऋषि संत समताराम महाराज ने कहा कि नरेश महाराव खंगार के आदर्श आत्मसात करने का आव्हान करते हुए कहा कि आज क्षत्रिय समाज को सामाजिक समरसता का संदेश देते हुए राजनीतिक स्तर पर अपने प्रदर्शन के लिए आगे आना होगा। युवाओं को संगठित होकर सामाजिक एकता के लिए काम करते रहने और सतत गतिशील रहने को प्रेरित किया। उन्होंने क्षत्रिय समाज को देश धर्म की रक्षा के लिए हमेशा आगे रहने के लिए आव्हान किया। प्रत्येक क्षत्रिय के दिल में त्याग बलिदान शौर्य, स्नेह अपनापन की भावना भी हमेशा होनी चाहिए। इस मौके पर विश्वनाथ प्रताप सिंह ग्रेटर रावल, संग्राम सिंह जोबनेर, योगेंद्र सिंह कटार, करणी सेना उपाध्यक्ष राजस्थान तथा गजराज सिंह संगरिया सहित आसपास के संतों ने भी राष्ट्रीय धर्म और राजपूतों के द्वारा सभी समाजों के लिए किए गए कार्यों की प्रशंसा की। मूर्ति लगाने के लिए स्थान की भूमि ठाकुर देबी राह सिंह खंगारोत ने भेंट की। कार्यक्रम के संयोजक विश्वनाथ प्रताप सिंह ने सभी का स्वागत करते हुए नरेश महाराव खंगार के जीवन परिचय को प्रस्तुत किया। शुरुआत में बैरवा समाज और अन्य समाजों ने मिलकर रामस्नेही संप्रदाय के संत सताराम जी महाराज का स्वागत किया।
मांडल में वीरगति को प्राप्त हुए थे खंगार महाराव
वक्ताओं ने कहा कि महाराव खंगार ने हल्दी घाटी के युद्ध में जब महाराणा प्रताप प्रतिकूल स्थिति में थे। तब मान सिंह जी के कहने पर उनकी सहायता की थी। परिणाम स्वरूप अकबर द्वारा अपने पुत्र सलीम को एक सेना की टुकड़ी भेज मांडल में रात के समय हमला करवाया, जिसमें महाराव खंगार वीरगति प्राप्त को प्राप्त हुए, जिनकी स्मृति की 12 खभों की छतरी मांडल में स्थित है।