सार्वजनिक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभागों का विलय
भोपाल
डॉ. मोहन यादव कैबिनेट के फैसले के बाद राज्य शासन ने लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग के विलय का आदेश जारी कर दिया है। आदेश में अब दोनों विभागों का संयुक्त नाम लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग रखा गया है। सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार यह विलय 12 फरवरी से प्रभावी होगा। सरकार ने इसके लिए दोनों विभागों की नियमावली के आधार पर संयुक्त नियम भी तय कर दिए हैं।
लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग तथा चिकित्सा शिक्षा विभाग का विलय कर 'लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग' के रूप में पुनर्गठित किया जायेगा। राज्य सरकार के इस फैसले से मेडिकल कॉलेज रूटीन चिकित्सा सेवाएं देने के बजाय अति गंभीर व विशिष्ट उपचार, चिकित्सा शिक्षा पर ध्यान केन्द्रित कर सकेंगे। शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर की प्रभावी निगरानी हो सकेगी। मेडिकल कॉलेजों से जिला चिकित्सालयों को संबद्ध करना आसान हो जाएगा। स्वास्थ्य नीति और विभागीय योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन एवं नियंत्रण में सुविधा मिलेगी। आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के रोडमैप में दोनों विभागों के विलय की अनुशंसा की गई थी। मंत्रि-परिषद द्वारा मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम, 2011 के प्रावधानों में संशोधन की स्वीकृति दी गई है। वर्तमान में आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय चिकित्सा, दंत चिकित्सा, नर्सिंग, आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, नेचुरोपैथी आदि में पाठ्यक्रम संचालित करता है। नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थाओं और छात्र-छात्राओं की संख्या में वृद्धि को देखते हुए आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय को नर्सिंग एवं पैरामेडिकल को छोड़कर अन्य विषयों के पाठ्यक्रम संचालित करने का दायित्व दिया जायेगा। नर्सिंग एवं पैरामेडिकल विषयों से संबंधित पाठ्यक्रम का संचालन उच्च शिक्षा विभाग द्वारा स्थापित अन्य विश्व विद्यालयों के माध्यम से किया जायेगा। मंत्रि-परिषद ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अतंर्गत प्रदेश के सभी जिलों में 1-1 प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेन्स स्थापित करने की स्वीकृति दी है। प्रदेश के 55 जिलों में प्रधानमंत्री कॉलेज ऑफ एक्सीलेन्स स्थापित किया जायेगा। चयनित महाविद्यालयों में अतिरिक्त 1,845 शैक्षणिक पदों व 387 अशैक्षणिक पदों की स्वीकृति दी गयी है। इसके लिए कुल 485 करोड़ रूपये के व्यय की स्वीकृति दी गयी।