राजनीति

लोकसभा चुनाव से पहले तीन राज्य-तीन नए सहयोगियों पर BJP की नजर

नईदिल्ली

2024 के चुनावी मैदान में राजनीतिक दलों की सेनाएं सज रही हैं. योद्धाओं यानी क्षेत्रीय दलों को गठबंधन में जोड़ने का सिलसिला भी आगे बढ़ रहा है. बीजेपी पूरी तैयारी में दिख रही है तो विपक्षी खेमा INDIA ब्लॉक लगातार बिखरता दिख रहा है. पहले बिहार में नीतीश कुमार ने साथ छोड़ा. फिर पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने किनारा किया. उसके बाद अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी भी पंजाब में सीट शेयरिंग पर आंखें दिखा रहे हैं. अब यूपी में आरएलडी और आंध्र प्रदेश में टीडीपी, महाराष्ट्र में एमएनएस भी बीजेपी में जाने की तैयारी में दिख रही है. पंजाब में AAP, कांग्रेस को सीटें देने के लिए तैयार नहीं है. 

विपक्ष में यह बिखराव थमता नहीं दिख रहा है. अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि बीजेपी की तैयारी बढ़ी है. ज्यादा से ज्यादा क्षेत्रीय दलों को एनडीए में लाने की मुहिम को धार दी जा रही है. यही वजह है कि पार्टी ने विपक्षी दलों और उनके दिग्गज नेताओं को बीजेपी में लाने के लिए अलग से जॉइनिंग कमेटी तक गठित कर रखी है. ये कमेटी उन विपक्षी नेताओं को अपने पाले में लाएगी, जो अपने दल या नेताओं से नाराज चल रहे हैं. बीजेपी खुद के नफा-नुकसान से ज्यादा विपक्षी खेमे में सेंधमारी पर फोकस कर रही है. यही वजह है कि दो दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार यह दावा किया कि आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी 370 सीटें जीतकर आएगी और एनडीए को 400 से ज्यादा सीटें मिलेंगी. पीएम मोदी ने यह कहा है तो जरूर इसके सियासी मायने निकाले जाएंगे और बीजेपी के गुणा-गणित और फुल प्लान की चर्चाएं भी होंगी.

'पीएम ने बना दिया बीजेपी का नारा'

जानकार कहते हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले के आखिरी सत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने माहौल बना दिया है. अब तक जो दावे इधर-उधर से होते थे. पहली बार मोदी ने उसे बीजेपी का चुनावी नारा बना दिया. 400 से ज्यादा सीटें जीतने की मुनादी कर दी. पीएम मोदी इतने कॉन्फिडेंट दिख रहे हैं तो इसकी वजहें हैं. 

'बिखरता जा रहा है विपक्षी गठबंधन'

दिसंबर 2023 में बीजेपी ने मध्य प्रदेश में फिर से सत्ता हासिल की. राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीत हासिल की और कांग्रेस को सत्ता से बाहर किया. हिंदी पट्टी में बीजेपी की धमक ने उसके कार्यकर्ताओं का ना सिर्फ मनोबल बढ़ाया, बल्कि विपक्षी दलों की एकता को भी छिन्न-भिन्न कर दिया. दो राज्यों की हार से कांग्रेस को सबसे ज्यादा किरकरी का सामना करना पड़ रहा है. उसकी तेलंगाना में जीत की चर्चा दबकर रह गई है. विपक्ष के INDIA ब्लॉक ने कांग्रेस पर सीट शेयरिंग से लेकर पदों के बंटवारे तक पर उदासीन रवैये का आरोप लगाया. अलायंस के सहयोगी दलों को भी विधानसभा चुनाव में दरकिनार करने का आरोप लगाया.

'सबसे पहले ममता ने किया किनारा'

विपक्ष में बगावत और विद्रोह की शुरुआत बयानों से हुई. ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया. ममता ने कांग्रेस को राज्य में दो सीटें ऑफर की. लेकिन स्थानीय कांग्रेस नेताओं को यह प्रस्ताव रास नहीं आया और ममता के खिलाफ बयानबाजी कर दी. नाराज ममता ने भी अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी. ममता का कहना है कि कांग्रेस सीट शेयरिंग पर ध्यान नहीं दे रही है. उसके नेता लगातार गलत बयानबाजी कर रहे हैं.

 

'नीतीश कुमार ने छोड़ा INDIA ब्लॉक का साथ'

ममता के किनारा करने के बाद दूसरा बड़ा झटका नीतीश कुमार ने दिया. जयदू प्रमुख नीतीश ने इंडिया ब्लॉक छोड़ा और एनडीए के साथ आ गए. उन्होंने बिहार में बीजेपी की मदद से 9वीं बार सीएम पद की शपथ ले ली. बीजेपी भी यही चाहती थी. उसे बिहार में नीतीश के बिना चुनावी मैदान में जाने से नुकसान का खतरा था. यही बात नीतीश के उम्मीदवारों को भी टेंशन दे रही थी. जदयू नेताओं का कहना था कि बीजेपी के बिना चुनावी मैदान में जाने से जीत के चांस कम हो सकते थे. फिलहाल, बिहार में एनडीए अब मजबूत स्थिति में आ गई है. उसे उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLSP, चिराग पासवान की पार्टी लोजपा (रामविलास) और जीतनराम मांझी के दल HAM का साथ है. वहीं, बिहार में राजद और कांग्रेस का गठबंधन रह गया है. 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने सिर्फ एक सीट पर जीत हासिल की थी. जबकि आरजेडी का खाता तक नहीं खुल सका था. बिहार में कुल 40 सीटें हैं. बीजेपी ने 17, जदयू ने 16 और एलजेपी ने 6 सीटों पर जीत हासिल की थी.

 

'महाराष्ट्र में एनडीए में आने की कवायद में जुटी MNS'

अब महाराष्ट्र को देखा जाए तो वहां भी बीजेपी अपनी मजबूत जीत की दिशा में कदम आगे बढ़ा रही है. पहले शिवसेना मे टूट गई और एकनाथ शिंदे खेमे को एनडीए में शामिल किया. राज्य में सरकार बनाई. उसके बाद एनसीपी खेमे से अजित पवार भी 30 से ज्यादा विधायकों के साथ एनडीए में आ गए. महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी में टूट होने से बीजेपी को सीधा फायदा मिला है और उद्धव ठाकरे और शरद पवार अलग-थलग पड़ गए हैं. अब एक और बड़ी खबर यह है कि राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) भी एनडीए के साथ आ सकती है. मंगलवार को MNS के नेताओं ने बीजेपी नेता और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस से उनके सरकारी आवास पर जाकर मुलाकात की है. सूत्र बताते हैं कि एमएनएस नेताओं ने आगामी आम चुनाव को लेकर फडणवीस से चर्चा की है. सूत्र यह भी बताते हैं कि राज ठाकरे ने सीट शेयरिंग की जिम्मेदारी अपने तीन विश्वस्त नेताओं को सौंपी है. उनकी बीजेपी से बात चल रही है. अगर बीजेपी और एमएनएस के बीच अलायंस होता है तो सबसे ज्यादा फायदा MNS को होगा. क्योंकि महाराष्ट्र में MNS कुछ सीटों तक ही सीमित है और संगठन भी कमजोर है.

 

'उद्धव खेमे को लेकर भी चर्चा'

महाराष्ट्र में एक और बड़ी हलचल है. कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे को लगातार झटके लगने के बाद वो भी एनडीए के साथ आने का मन बना रहे हैं. उद्धव खेमा भी नहीं चाहता है कि INDIA ब्लॉक के साथ लोकसभा चुनाव लड़ा जाए. 2019 में उसे बीजेपी के साथ चुनाव लड़ने से खासा फायदा हुआ था और 18 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं, INDIA ब्लॉक के नेता उद्धव खेमे को इतनी सीटें देने के लिए तैयार नहीं हैं. इंडिया ब्लॉक का कहना है कि उद्धव खेमे के बड़े नेता साथ छोड़ चुके हैं. ऐसे में उनके पास एनडीए के सामने खड़ा करने के लिए मजबूत उम्मीदवार नहीं होंगे. फिलहाल, शिवसेना लंबे समय से एनडीए का हिस्सा रहा है. 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद उद्धव ने एनडीए का साथ छोड़ दिया था और महाविकास अघाड़ी के साथ मिलकर राज्य में सरकार बना ली थी. महाराष्ट्र में कुल 48 सीटें हैं और 2019 के चुनाव में एनडीए ने 41 सीटों पर कब्जा किया था. यूपीए को 5 सीटें मिली थीं. बीजेपी ने 23, शिवसेना ने 18, एनसीपी ने चार सीटें जीती थीं. 

'आरएलडी भी इंडिया ब्लॉक छोड़ने की तैयारी में'

यूपी में RLD को लेकर भी खबरें आ रही हैं कि बीजेपी से अलायंस करने पर चर्चा चल रही है. आरएलडी का पश्चिमी यूपी में प्रभाव है. यहां जाट और मुस्लिम बहुल्य वोटर्स हैं. पिछले दो चुनाव में आरएलडी को सिर्फ हार मिली है. 2014 में 8 सीटों पर चुनाव लड़ी. कांग्रेस का सहयोग मिला. लेकिन जीत नहीं मिली. उसके बाद 2019 के चुनाव में सपा-बसपा अलायंस ने आरएलडी को तीन सीटें दीं और उसे तीनों सीटों पर हार मिली और दूसरे नंबर पर आई. चौधरी अजित सिंह और जयंत चौधरी की सीट पर कांग्रेस ने भी समर्थन दिया था. पश्चिमी यूपी में लोकसभा की कुल 27 सीटें हैं. 2019 के चुनाव में बीजेपी ने 19 सीटों पर जीत हासिल की थी. जबकि 8 सीटों पर महागठबंधन ने कब्जा किया था. इनमें 4 सपा और 4 बसपा के खाते में आई थी. आरएलडी को 2014 के चुनाव में सिर्फ 0.9% वोट मिले थे. लेकिन, 2019 के चुनाव में बसपा के भी साथ आने से आरएलडी का वोट प्रतिशत बढ़ गया था और 1.7% वोट शेयर हो गया था. 

 

'बीजेपी ने आरएलडी को दिया ऑफर'

सूत्रों की मानें तो बीजेपी ने यूपी में आरएलडी को चार लोकसभा और एक राज्यसभा की सीट दिए जाने की पेशकश है. चर्चा है कि अगर दोनों के बीच गठबंधन हो जाता है तो यूपी में जो 10 राज्यसभा की सीटें खाली हो रही हैं और जिन पर चुनाव होना है, उसमें एक सीट जयंत को भी दी जा सकती है. दोनों पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व की ओर से बातचीत की जा रही है. जल्द ही सहमति बन सकती है. जयंत भी इंडिया ब्लॉक से लगातार दूरी बनाते दिख रहे हैं. सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी ने आरएलडी को कैराना, बागपत, मथुरा और अमरोहा सीट का ऑफर दिया है. जानकार कहते हैं कि बीजेपी की तरफ से चार सीटों का ऑफर दिया जा रहा है. लेकिन, जीत की संभावना बढ़ सकती है. वहीं, सपा भले सात सीटों का ऑफर दे रही है, लेकिन जीत के चांस कम हैं. इस बार बसपा का भी साथ नहीं है. बसपा अलग चुनाव लड़ रही है और पश्चिमी यूपी में उसका अपना जनाधार है. 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में भी पश्चिमी यूपी में बीजेपी को जबरदस्त फायदा हुआ था. यहां जाट-मुस्लिम समीकरण के बावजूद बीजेपी ने कुल 136 विधानसभा सीटों में से 94 सीटों पर कब्जा किया था. वहीं, पश्चिमी यूपी की 22 जाट बहुल सीटों पर बीजेपी ने 16 पर जीत हासिल की थी. 2009 में जब आरएलडी बीजेपी के साथ थी, तब उसे 5 सीटों पर जीत मिली थी.

यूपी में सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल का कहना है कि गठबंधन को लेकर सब अफवाहें हैं. राष्ट्रीय लोकदल और समाजवादी पार्टी का गठबंधन अटूट है. हमारा उनका विचार मिलता है. हमें पूरा भरोसा है. वह और हम सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे. बीजेपी के पास तोड़ने -फोड़ने के अलावा अफवाह फैलाना के अलावा कुछ नहीं है. सपा महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने भी आरएलडी और बीजेपी के साथ अलायंस की चर्चाओं को अफवाह बताया है.

 

'आंध्र प्रदेश में टीडीपी जल्द बनेगी एनडीए का हिस्सा'

लोकसभा चुनाव से पहले आंध्र प्रदेश में TDP भी एनडीए का हिस्सा बन सकती है. टीडीपी के एक बार फिर एनडीए के आने की चर्चाएं इसलिए तेज हैं, क्योंकि आज यानी बुधवार को पूर्व सीएम और टीडीपी प्रमुख एन चंद्रबाबू नायडू दिल्ली पहुंच रहे हैं और वो बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत अन्य नेताओं से मुलाकात कर सकते हैं. बीजेपी हाईकमान ने नायडु को एनडीए में लाने की जिम्मेदारी जन सेना प्रमुख पवन कल्याण को सौंपी थी. जनसेना पहले से ही एनडीए का हिस्सा है. दो दिन पहले पवन कल्याण अमरावती में एन चंद्रबाबू नायडू के आवास पर मिलने पहुंचे थे. सूत्रों का कहना है कि आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम एन चंद्रबाबू नायडू बुधवार शाम दिल्ली पहुंच रहे हैं. वे सीधे टीडीपी सांसद जयदेव गल्ला का आवास जाएंगे. उसके बाद नायडु के बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत अन्य नेताओं से मिलने की संभावना है. इससे पहले टीडीपी यह साफ कर चुकी है कि वो आगामी आम चुनाव जन सेना के साथ लड़ेगी. 

 

'आंध्र प्रदेश में 2014 में 3 सीटें जीती थी बीजेपी'

2019 के चुनाव में यूपीए और एनडीए को आंध्र प्रदेश में एक भी सीट नहीं मिली थी. राज्य में कुल 25 सीटें हैं. YSRP ने 22 सीटें जीती थीं. टीडीपी को तीन सीटें मिली थीं. 40.19 प्रतिशत वोट हासिल किए थे. जनसेना को 5.87 और बीजेपी को 0.98 फीसदी वोट मिले थे. आंकड़े बताते हैं कि बीजेपी के पास आंध्र प्रदेश में खोने के लिए कुछ नहीं है. बीजेपी गठबंधन में 7 लोकसभा और 25 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. बीजेपी 2014 का लोकसभा चुनाव गठबंधन में 5 सीटों पर लड़ी थी और 3 सीटों पर जीत दर्ज की थी. एनडीए को 19 सीटें मिली थीं. सूत्रों की मानें तो बीजेपी को इस बार अलायंस में 5 सीटे देने पर सहमति बन सकती हैं.  हालांकि, सत्तारूढ़ YSRCP पिछले पांच साल से कई महत्वपूर्ण बिलों पर केंद्र में एनडीए सरकार का समर्थन करती आ रही है. लेकिन आम चुनाव को लेकर अलायंस पर सहमति नहीं बनी है. टीडीपी नेताओं का कहना है कि आंध्र में जमीन पर कमजोर बीजेपी से गठबंधन करने से उन्हें चाहे चुनावी फायदा न हो, लेकिन चुनाव प्रबंधन की दृष्टि से बड़ी मदद मिल जाएगी. इससे केंद्र सरकार का उसके साथ रहने का संदेश भी चला जाएगा.

 

तमिलनाडु में भी बीजेपी ने बढ़ाया कुनबा

दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में भी बीजेपी गठबंधन के लिए सहयोगी दलों की तलाश में है. कर्नाटक में जेडीएस के साथ बीजेपी का गठबंधन हो चुका है. तमिलनाडु में एआईएडीएमके से रिश्ता टूटने के बाद अब बीजेपी वहां छोटे दलों को साथ लाना चाह रही है. केरल में भी बीजेपी की नजरें कई छोटे दलों पर हैं जिनमें से कुछ के साथ उसका विधानसभा चुनाव में गठबंधन हो चुका है. आम चुनाव से पहले बीजेपी ने तमिलनाडु में AIADMK में बड़ी सेंध लगाई है. बुधवार को AIADMK के 15 पूर्व विधायक और एक पूर्व सांसद बीजेपी में शामिल हो गए हैं. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई ने इन नेताओं का स्वागत किया है. अन्नामलाई ने कहा कि ये नेता अनुभव का भंडार लेकर आए हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों को मजबूत करना चाहते हैं. उन्होंने राज्य की सत्तारूढ़ डीएमके और अन्नाद्रमुक पर निशाना साधा. अन्नामलाई ने कहा, विपक्षी दल तमिलनाडु में हो रही घटनाओं को देख रहा है. तमिलनाडु बीजेपी की तरफ देख रहा है. केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा, इतने बड़े स्तर पर नेताओं का बीजेपी में शामिल होना बड़ी है. ये तमिलनाडु जैसे राज्य में मोदी की लोकप्रियता को दर्शाता है. 

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