उत्तर प्रदेश

कमला श्रीवास्तव का 93 वर्ष की उम्र में निधन, लोकगीतों के साथ दी अन्तिम विदाई

लखनऊ

लोकगीतों का महत्व समझाने वाली रचनाकार गायिका प्रो. कमला श्रीवास्तव का 92 वर्ष की आयु में निधन होगा। वह पिछले एक वर्ष से बीमार चल थीं। उन्होंने जानकीपुरम स्थित अपने आवास पर अन्तिम सांस ली। लोकगीत और शास्त्रीय संगीत के साथ जीवन गुजारने वाले प्रो. कमला श्रीवास्तव को अन्तिम विदाई लोकगीत निर्गुण और राम धुन के साथ दी गई।

प्रो. कमला श्रीवास्तव का जन्म लखनऊ में एक सितंबर 1933 में हुआ था। शिक्षा पूरी करने के बाद आर्य कन्या कॉलेज मिर्जापुर में भूगोल, संगीत व कला की प्रवक्ता बनी। इसके बाद बाल भारती स्कूल की प्रधानाचार्य रहीं। बाद में भातखण्डे संगीत संस्थान में संगीत शिक्षा की सेवाएं दीं। प्रो. कमला श्रीवास्तव उन चुनिन्दा कलाकार एवं कला शिक्षक में थीं जो शहर में होने वाले अधिकांश आयोजनों का हिस्सा रहती थीं। अन्तिम समय तक उन्होंने संगीत शिक्षा किसी न किसी माध्यम से देना जारी रखा। अन्तिम विदाई में पद्मश्री विद्या विंदु सिंह, यश भारती कुमाऊं कोकीला विमल पंत, यश भारती पद्मा गिडवानी , पद्मश्री अनूप जलोटा सहित अनेकों लोक विधा के शिष्यों अर्चना गुप्ता,सुधा द्विवेदी, मीतू मिश्रा, ज्योति किरन‌ रतन, पूनम श्रीवास्तव, अलका वर्मा, डा. स्मिता मिश्रा, लक्ष्मी जोशी रेनू गौड़, कुसुम वर्मा, इन्दु सारस्वत, रेखा अग्रवाल, कनक श्रीवास्तव, मधु श्रीवास्तव, देवेन्द्र मोदी व अन्य शामिल रहे।

-केजीएमयू को सौंपा शरीर

प्रो. कमला श्रीवास्तव के पुत्र रविश खरे ने बताया कि माता जी एक वर्ष से अस्वस्थ थीं। पिछले महीने दो बार अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां से ठीक होकर आ गई थीं। उन्होंने बताया कि वह मुम्बई में रहते हैं। माता जी को भी मुम्बई ले जाना चाहते थे, लेकिन वह लखनऊ छोड़ने को तैयार नहीं हुईं। रविश ने बताया कि उनकी इच्छा देहदान की थी। इसलिए उनका पार्थिव शरीर केजीएमयू को सौंप दिया गया है।

-ये प्रमुख सम्मान मिले

उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी का लोक संगीत अवार्ड (2001), बेगम अख्तर मानद जन पुरस्कार (1994), संगीत श्री (1998), संगीत साहित्य सम्मान (2000), सरस्वती सम्मान ( 1999) व अन्य।

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