स्वदेशी जागरण मंच ने कहा- ‘मुफ्त बिजली जैसी फ्री सुविधाएं देना अर्थव्यवस्था में कैंसर की तरह है
नई दिल्ली
गरीब की थाली में पुलाव आ गया, लगता है शहर में चुनाव आ गया… एक शायर की ये चंद लाइनें नेताओं के चुनावी वादों पर सटीक बैठती हैं। देश में लोकसभा चुनाव की हलचल के साथ ही नेताओं ने चुनावी रेवड़ी बांटना शुरू कर दिया है। मुफ्त रेवड़ी कल्चर को लेकर देश में एक बार फिर चर्चा गर्म है। RSS से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने कहा- 'मुफ्त बिजली जैसी फ्री सुविधाएं देना अर्थव्यवस्था में कैंसर की तरह है। इसे समाप्त किया जाना चाहिए। मंच ने कहा कि राज्य सरकारें फ्री सुविधाएं देकर संसाधनों का दुरुपयोग करती हैं।' मुफ्त चीजें बांटना हाल ही में भारत की चुनावी राजनीति में एक प्रमुख भूमिका निभा रही हैं। इस तथ्य को जानने के बावजूद कि मुफ्त चीजें सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ डालेंगी, राजनीतिक दल चुनावों से पहले वोटरों को लुभाने के लिए मुफ्त चीजों की घोषणा पूरे कॉन्फिडेंस के साथ कर रहे हैं।
स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने कहा 'विकास के लिए निर्धारित संसाधनों का दुरुपयोग विकास में बाधा बन रहा है और यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जहां तक खर्च का सवाल है राज्य बहुत अनुशासनहीन होते जा रहे हैं।' महाजन ने कहा कि इससे केंद्र और राज्य सरकार पर कर्ज बढ़ रहा है और अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसियों की रेटिंग नीचे आ रही है। उन्होंने कहा, ‘इससे हमारी अर्थव्यवस्था के लिए कम ब्याज दर पर निवेश आकर्षित करना भी मुश्किल हो रहा है। अगर देश को ऊंची ब्याज दर पर कर्ज लेना पड़े तो वह विकास नहीं कर सकता। राज्य सरकारों के अनुशासनहीन खर्च पर पूरी रोक लगानी होगी।
राज्यों को विकास के लिए अधिक संसाधन दिए गए, लेकिन उन्होंने मुफ्त के लिए इन संसाधनों का दुरुपयोग करना चुना। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह एक तरह की संक्रामक बीमारी है, जो अब यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक प्रकार का कैंसर पैदा कर रहा है।
कब शुरू हुआ मुफ्त रेवड़ी कल्चर?
मुफ्त की संस्कृति जिसे तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता ने मुफ्त साड़ी, प्रेशर कुकर, वॉशिंग मशीन, टेलीविजन सेट आदि का वादा करके शुरू किया था। मुफ्त रेवड़ी कल्चर को अन्य राजनीतिक दलों ने भी वोटरों को लुभाने के लिए तेजी से अपनाया। दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने दिल्ली के मतदाताओं को मुफ्त बिजली, पानी, बस यात्रा का वादा करके 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनावों में जीत हासिल करते हुए बढ़त हासिल की। 2021 के केरल विधानसभा चुनाव में भी मुफ्तखोरी का असर दिखा। कहा जाता है कि लोकसभा चुनावों में हार के दो साल बाद, सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सब्सिडी वाले चावल और खाद्य किटों का वादा करते हुए प्रचंड बहुमत के साथ लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए निर्वाचित हुआ है। एक ताजा मामला पंजाब विधानसभा चुनाव का है। जहां आम आदमी पार्टी ने प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की है। इस चुनाव से पहले, आप ने सत्ता में आने पर पंजाब के लोगों को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली और राज्य में 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र की प्रत्येक महिला को 1,000 रुपये प्रति माह देने का वादा किया था।
दिल्ली में सबको फ्री बिजली केजरीवाल ऐलान
लोकसभा चुनाव से पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में सबकी बिजली फ्री करने की घोषणा की है। केजरीवाल ने ऐलान किया है 'दिल्ली सरकार ने नई सौर ऊर्जा नीति, सौर नीति 2024 जारी की है। नई सोलर नीति के तहत जो लोग अपनी छत पर सोलर पैनल लगाएंगे, उनका बिजली बिल शून्य होगा, चाहे वे कितनी भी यूनिट बिजली का उपभोग करें। इससे आप हर महीने 700-900 रुपये कमा सकते हैं।' केजरीवाल ने कहा, 'अब तक 2016 की नीति लागू थी, यह देश की सबसे प्रगतिशील नीति थी। दिल्ली में 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त, 400 तक आधी यूनिट और उससे ऊपर का पूरा बिल वसूला जाता है।' केजरीवाल ने कहा, 'दिल्ली सौर नीति के तहत 500 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाली सरकारी इमारतों पर अगले 3 वर्षों में अनिवार्य रूप से सौर पैनल लगाना होगा।'
हरियाणा में कुंवारों को पेंशन
इस साल देश में लोकसभा चुनाव के अलावा हरियाणा में भी विधानसभा चुनाव हैं। चुनावों से पहले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने विधुर और अविवाहितों को मकर संक्रांति पर एक जनवरी से तीन हजार रुपये प्रति माह पेंशन देने की घोषणा कर दी है। सामाजिक न्याय अधिकारिता, अनुसूचित जातियों एवं पिछड़े वर्ग कल्याण और अंत्योदय (सेवा) विभाग ने कुल 12 हजार 270 विधुर और 2586 अविवाहितों को चिन्हित किया है। प्रथम चरण में नवंबर तक कुल 507 विधुर लाभार्थियों की पहचान की गई थी। सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद पहले चरण में चयनित विधुरों और अविवाहितों को दिसंबर की पेंशन के भुगतान की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। इन सभी को जल्द भुगतान कर दिया जाएगा।
रेवड़ी कल्चर यानी फ्रीबीज क्या है?
सुप्रीम कोर्ट में दिए एक हलफनामे में चुनाव आयोग ने कहा कि भारत में रेवड़ी कल्चर यानी फ्रीबीज की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं है। आयोग ने अपनी दलील में कहा कि प्राकृतिक आपदा या महामारी के दौरान जीवन रक्षक दवाएं, खाना या पैसा मुहैया कराने से लोगों की जान बच सकती है, लेकिन आम दिनों में अगर ये दिए जाएं तो इन्हें फ्रीबीज कहा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में चल रही रेवड़ी कल्चर पर सुनवाई में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को भी एक पक्ष बनाया गया था। RBI के मुताबिक, 'वे योजनाएं जिनसे क्रेडिट कल्चर कमजोर होता है, सब्सिडी की वजह से कीमतें बिगड़ती हैं, प्राइवेट इंवेस्टमेंट में गिरावट आती है और लेबर फोर्स भागीदारी में गिरावट आती है, वे फ्रीबीज होती है।'
रेवड़ी कल्चर पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
चुनावों में फ्री स्कीम्स यानी रेवड़ी कल्चर का मामला सुप्रीम कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त 2022 में इस मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था, 'चुनाव आयोग इस मामले में समय रहते कदम उठाया होता है तो शायद कोई भी राजनीतिक दल ये हिम्मत नहीं करता। लेकिन अब मुफ्त रेवड़ियां बांट कर वोट बटोरना भारत के राजनीतिक दलों का मुख्य हथियार बन गया है। इस मुद्दे को हल करने के लिए विशेषज्ञ कमेटी बनाने की जरूरत है, क्योंकि कोई भी दल इस पर बहस नहीं करना चाहेगा।