स्वस्थ-जगत

बच्चों में कान संक्रमण के कारण और उपचार

सर्दी में बच्चों को होने वाली गले की खराश का बच्चों के कानों पर भी बुरा असर पड़ता है। इसकी वजह से ठंड में अस्पतालों के ईएनटी डिपार्टमेंट में मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। खासकर, 6 महीने के बच्चों से लेकर 24 महीने तक के बच्चों में एक्यूट ओटाइटिस मीडिया (एओएम) की परेशानी ज्यादा मिलती है। कई बार संक्रमण बढ़ने की वजह से बच्चों के कान के पर्दे तक फटने का डर रहता है।

सफदरजंग अस्पताल में गेस्ट डॉक्टर के तौर पर आने वाले ईएनटी कंसलटेंट सर्जन डॉ. कृष्ण राजभर ने बताया कि सर्दी में छोटे बच्चों में गले का इंफेक्शन बहुत सामान्य होता है, क्योंकि उनमें इस समय बीमारी से लड़ने की क्षमता विकसित हो रही होती है। यही वजह है कि उन्हें संक्रमित बीमारी बहुत ही आसानी से हो जाती है। विशेष रूप से स्कूल जाने वाले बच्चों (5 से 10 साल) में संक्रमित बीमारी होने का डर ज्यादा रहता है। अगर गले के इंफेक्शन पर समय से ध्यान ना दिया जाए तो इससे कान तक संक्रमण फैलने का डर बना रहता है।
  
गले से बैक्टीरिया कान तक पहुंच सकता है

दरअसल, हमारे शरीर में एक यूस्टेशियन ट्यूब होती है, जो गले, कान और मुंह को जोड़ती करता है। इसी ट्यूब के जरिए गले से बैक्टीरिया कान तक पहुंच जाता है और अगर समय से इसका पता नहीं चलता तो कान के पर्दे में छेद होने का डर भी रहता है।

कई बार बड़ा छेद हो जाता है, तो उसे बंद करने के लिए सर्जरी तक करनी पड़ती है। ऐसे में जरूरी है कि गले में इंफेक्शन ठीक किया जाए। उन्होंने बताया कि सर्दियों में एओएम के मामले 30 से 40 फीसदी बढ़ जाते है।

इसके अलावा साइनसाइटिस की समस्या भी ज्यादा देखने को मिलती है। इसके साथ ही प्रदूषण की वजह से एलर्जिक फैरिन्जाइटिस जैसी बैक्टीरियल इंफेक्शन के मामले भी बढ़ जाते हैं।

हवा में घूम रहें हैं वायरस और बैक्टीरिया

मधुकर रेनबो चिल्ड्रन हॉस्पिटल के ईएनटी डिपार्टमेंट के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. अनूप सभरवाल के अनुसार, सर्दी में सांस संबंधित बीमारियों का लगातार फैलना छोटे बच्चों के लिए हानिकारक हो सकता है। सर्दी देर से शुरू होने के बावजूद भी 2023 में बच्चों में कान के संक्रमण में बढ़ोतरी देखी गई।

हवा में सांस संबंधित वायरस के कारण ज्यादातर बच्चे वायरल बुखार से पीड़ित हुए, जिससे कान में संक्रमण होने का खतरा बढ़ा है। वातावरण में वायरस और बैक्टीरिया के कण बच्चों में कान के संक्रमण का मुख्य कारण हैं। बच्चों में कान के पर्दे के पीछे हो रहे संक्रमण में कान में दर्द होना ही इसका लक्षण है।

​ये होते हैं शुरुआती लक्षण

डॉ. अनूप ने बताया कि हम पैरेंट्स को सुझाव देते हैं कि बच्चों में सर्दी, खांसी और कान दर्द जैसे शुरुआती लक्षणों का पता चलने पर सावधानी बरतें ताकि हफ्तों तक रहने वाले संक्रमणों से बचा जा सके।

अगर कान के संक्रमण का इलाज समय पर नहीं किया जाए तो यह कई समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे सुनने की परेशानी, सामाजिक विकास में देरी, कान का पर्दा फटना और संक्रमण का दिमाग तक फैलाना आदि।

घर में भी कर सकते हैं इलाज

डॉक्टर ने बताया कि कान के दर्द और संक्रमण से निपटने के लिए कुछ घरेलू उपचारों पर ध्यान देना जरूरी है। संक्रमित कान में हीट पैड से सिकाई कर असुविधा से छुटकारा पाने में मदद मिल सकती है। हालांकि, यह सलाह दी जाती है कि घरेलू उपचार को अस्थाई रूप में ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
ऐसे रखें बच्चों के कान सुरक्षित

कान में संक्रमण को कैसे टालें?

बच्चों को बार-बार हाथ धोने की आदत डलवाएं, इससे सांस की बीमारियों से बचा जा सकता है।
अपने बच्चे के टीकाकरण की स्थिति के बारे में अपडेट रहें।
स्तनपान आपके बच्चे को कान के संक्रमण सहित विभिन्न बीमारियों से बचा सकता है।
कान में सूजन और संक्रमण से बचने के लिए कान की नियमित सफाई का ध्यान रखें।
सेलाइन नोज ड्रॉप्स और भाप का उपयोग करके अपने बच्चे की नाक को साफ रखने की कोशिश करें।

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