मध्यप्रदेश

अवैध रूप से संचालित पाए गए बाल गृह के मामले में मुख्य सचिव वीरा राणा ने जवाब नहीं दिया, राष्ट्रीय बाल आयोग भेजेगा रिमाइंडर

भोपाल
देवास जिले के आदिवासी अंचल घुसठ में दिसंबर 2023 में अवैध रूप से संचालित पाए गए बाल गृह के मामले में मुख्य सचिव वीरा राणा ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अभी तक जानकारी नहीं दी है। आयोग ने दो जनवरी को मुख्य सचिव को पत्र लिखकर 10 दिन में जवाब मांगा था। आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगों ने कहा कि जल्द ही मुख्य सचिव को अनुस्मारक भेजेंगे। बता दें कि इस बाल गृह का कही भी पंजीयन नहीं था। यहां 55 बालक और 13 बालिकाएं मिली थीं। बच्चे हिंदू थे। उनसे ईसाई धर्म की प्रार्थना कराई जाती थी। बच्चों ने आयोग को बताया था कि उनसे शौचालय की सफाई तक कराई जाती है। विदेश से धन मिलने के प्रमाण भी बाल आयोग को मिले थे। आयोग ने प्रदेश भर में ऐसी संस्थाओं की पहचान करने के लिए कहा था।
 
आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो और उनकी टीम ने यहां पहुंचकर बच्चों से बातचीत की थी। साथ ही स्कूल के रिकार्ड देखे थे। बच्चों ने आयोग को बताया था कि परिसर में घास काटने से लेकर और झाड़ू-पोंछा तक कराया जाता था। उन्होंने यहां एक और बालगृह की जांच की थी, जिसकी रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं की है।

आयोग ने छह बिंदुओं पर मांगा है जवाब, कार्रवाई के लिए भी कहा था
आयोग ने संस्था के संबंध में पूरी जानकारी, फारेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट (एफसीआरए) पंजीयन सहित छह बिंदुओं पर जवाब मांगा है। मुख्य सचिव से कहा गया था कि बालगृह के हिंदू बच्चों से ईसाई धार्मिक प्रार्थनाएं कराने के कारण संस्था व अधिकारियों के विरुद्ध मप्र धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के अतंर्गत कार्रवाई की जाए। साथ ही प्रदेश भर में बिना पंजीयन चल रही संस्थाओं की पहचान कर उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई करें और आयोग को बताएं।

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