छत्तीसगड़

लोग कथा में आना नहीं चाहते लेकिन क्लब जाना पसंद करतें हैं

रायपुर

श्रीराम कथा आयोजन समिति व मंगलमय परिवार की ओर से आयोजित श्रीराम कथा में संत विजय कौशल महाराज ने बताया कि एक अहंकार सारे सदगुणों को मारने के लिए काफी होता है। कभी-कभी अच्छाई में भी अहंकार आ जाता है। यदि अहंकारी के सामने उनकी सम्मान में ही भाषा नहीं बोले तो वह उखड़ जाता है। रावण व हनुमान संवाद में यह संदर्भ उल्लेखित करते हुए बताया कि रावण के अहंकारी बोल ने उनके तप,पूजा,पाठ,विद्वता सबको खत्म कर दिया। फिर भी हनुमान ने अपनी शिष्टता नहीं खोयी। सत्य मीठा होता है वह तो आपके अहंकारी बोल से कड़वा हो गया। ऐसा व्यक्ति कभी समाज का हित नहीं कर सकता।

बीज कभी मरते नहीं है,अनुकूल मौसम आने पर प्रगट होते है। ठीक उसी प्रकार जो बीज गर्भ में पड़े हैं शुभ हो या अशुभ समय आने पर प्रगट होंगे ही। सत्संग शुभ के बीज डालते हैं,आज नहीं तो कल कभी भी यह याद आयेगी कि कथा में हमने वो बातें सुनी थी और आप शुभ कर लेंगे। हनुमान जी के अट्टहास से लंका में गर्भस्थ महिलाओं के गर्भपात हो गए,यद्यपि गर्भपात को अशुभ माना जाता है लेकिन हनुमान जी का कहना था कि राक्षसी प्रवृत्ति यदि गर्भ में पलते रहते तो भगवान राम को बार-बार लंका आना पड़ता,इसलिए यह काम मैने कर दिया। बुराई रूप बीज कभी न कभी अपराध करा जाते हैं,यदि उम्र के किसी पड़ाव पर संत या साधु का साथ मिल गया तो सुधर जाते हैं।

प्रसंगवश उन्होने बताया कि आज के लोग कथा में आने में भी सोंचते हैं,बच्चों को कथा में नहीं लाते हैं लेकिन अंधेरे की क्लब संस्कृति में जाना पसंद करते हैं। कथा साथ ही चले और साथ ही बना रहे यही जीवन की सार्थकता है। एक पिता का फर्ज होता है कि जीते जी और समय रहते अपने बेटे को धर्म,परोपकार,परमार्थ,समाजसेवा के कार्यों से जोड़ दें। गौशाला,मंदिर,अनाथालय के कार्य से जोड़ दें।

जो राक्षस जीवन पर अपराध करते रहे हैं उन्हे भी मुक्ति की प्रार्थना करना पड़ रहा है। इसलिए कि वे चौबीसों घंटे समाधि भाव में रहते हैं। समाधि भाव का तात्पर्य तीन प्रकार से है एक पूजा-पाठ व जाप दूसरा सुमिरन व तीसरा ध्यान। मतलब अंतर चिंतन में डूबे हुए हैं राक्षस उन्हे तो हनुमान जी का पूंछ और राम जी के बाण दिख रहे हैं। मरते-मरते जो भगवान से साक्षात्कार करा दे।
राजेन्द्र श्रीवास्तव,बृजलाल गोयल,यूपी के पूर्व विधायक बंसल जी,कैलाश अग्रवाल,सुरेन्द्र जैन,जगदीश अग्रवाल,सीताराम अग्रवाल,मनोज गोयल,लड््डूगोपाल अग्रवाल,सुनील रामदास की उपस्थिति प्रमुख रूप से रही।

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