नगरीय विकास, पर्यटन विभाग और पिछड़ा वर्ग के पूंजीगत मद में राज्य बजट की राशि खत्म
भोपाल
लाड़ली बहना योजना, इंदिरा गृह ज्योति योजना, किसानों को सम्मान निधि, गरीबों को मुफ्त अनाज बांटने में राज्य सरकार के बजट से हर साल भारी-भरकम राशि खर्च कर रही राज्य सरकार के तीन बड़े विभागों पर्यटन, नगरीय विकास एवं आवास तथा पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के पास पूंजीगत मद से इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए अब राज्य के बजट में कोई राशि नहीं शेष नहीं रह गई है। वहीं आठ विभाग केवल पीआईयू के जरिए होने वाले निर्माण कार्यों पर 1324 करोड़ खर्च कर सकेंगे।
वित्त विभाग ने 23 विभागों के लिए तीन महीने के लिए खर्च सीमा नये सिरे से तय की है। तीन महीने बाद लोकसभा चुनाव होने हैं और प्रदेश में नगरीय प्रशासन विभाग के अंतर्गत सड़कों के निर्माण, सीवरेज लाइनें, पेयजल लाइनों के निर्माण, रखरखाव के लिए राज्य बजट में आवंटित राशि में कोई राशि शेष नहीं है। वहीं पर्यटन स्थलों पर होने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए राज्य बजट की कोई राशि नहीं है। इन मदों पर राशि की व्यवस्था करने के लिए राज्य सरकार को अनुपूरक बजट लाकर इंतजाम करना होगा। वहीं फरवरी-मार्च में अगले वित्तीय वर्ष के लिए बजट आने पर सभी विभागों की त्रैमासिक खर्च सीमा फिर अलग से तय की जाएगी।
वित्त विभाग ने विभागों के लिए पूंजीगत मदों को लेकर जनवरी से मार्च तक नये सिरे से विभागों की खर्च सीमा तय की है। सरकारी विभागों में हो रहे भवन और अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के कार्य होते रहे इसके लिए आठ विभागों को केवल प्रोजेक्ट इम्प्लीमेंटेशन यूनिट (पीआईयू) के जरिए किए जाने वाले निर्माण कार्यों के लिए 1326 करोड़ रुपए की अनुमति दी गई है। इनमें स्वास्थ्य विभाग को 309 करोड़, स्कूल शिक्षा को 300 करोड़, उच्च शिक्षा को 206 करोड़, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार विभाग को 157 करोड़, चिकित्सा शिक्षा को 109 करोड़, राजस्व विभाग को 86 करोड़, जनजातीय कार्य को 80 करोड़, अनुसूचित जाति कल्याण विभाग को 77 करोड़ रुपए केवल पीआईयू के भुगतान के लिए जनवरी से मार्च के बीच आवंटित किए गए है। पीआईयू इन विभागों में अस्पताल, छात्रावास, स्कूल भवन और अन्य भवन तथा इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रहा है। इस राशि की निकासी पीआईयू सीधे ट्रेजरी से कर सकेगा। विभागों की अनुमति पर ही फायनेंस ने इनके लिए विशेष तौर पर इस बजट का प्रावधान किया है।
अन्य मदों में खर्च कर देते थे विभाग
इस बार वित्त विभाग ने आठ बड़े विभागों को केवल पीआईयू के भुगतान के लिए विशेष उल्लेख करते हुए त्रैमासिक बजट खर्च सीमा तय की है। क्योंकि पीआईयू को भुगतान का उल्लेख नहीं होने पर ये विभाग आवंटित बजट दूसरे मदों में खर्च कर देते थे। अब ऐसा नहीं हो पाएगा।
लोक निर्माण, जलसंसाधन, पीएचई, नर्मदा घाटी के लिए खुला खजाना
जनवरी से मार्च के बीच चार बड़े विभागों के लिए वित्त विभाग ने खजाना खोल दिया है। लोक निर्माण विभाग इस दौरान सर्वाधिक 2055 करोड़ रुपए खर्च कर सकेगा। इसके अलावा जलसंसाधन विभाग 1255 करोड़ रुपए खर्च कर सकेगा। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग तीन महीने में 991 करोड़ रुपए खर्च कर सकेगा। ग्रामीण विकास के लिए 591, नर्मदा घाटी विकास के लिए 807 वन विभग के लिए 439 करोड़ रुपए की खर्च सीमा तय की गई है।
ट्रेजरी से निकाल चुके पूरा बजट
नगरीय विकास एवं आवास विभाग, पर्यटन विभाग और पिछड़ा वर्ग तथा अल्पसंख्यक कल्याण विभाग पूंजीगत मदों के लिए आवंटित राज्य बजट की सारी राशि ट्रेजरी से निकाल चुके है। इनके पास बैंको में ही कुछ राशि बाकी है। इसलिए वित्त विभाग ने इन तीनों विभागों में पूंजीगत मद से राशि निकासी पर पूरी तरह रोक लगा दी है।