मध्यप्रदेश

अस्पतालों की लापरवाही, आयुष्मान कार्ड के बावजूद नवजात के लिए बाहर से मंगवाए 28 हजार रुपए के इंजेक्शन

भोपाल
स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के तमाम दावों के बावजूद अस्पतालों की लापरवाही के मामले सामने आ रहे हैं। ताजा मामला हमीदिया की नई बिल्डिंग में संचालित सुल्तानिया अस्पताल का है, जहां आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद नवजात के परिजनों को महंगे इंजेक्शन बाहर से खरीदने पड़े। नवजात के पिता अशोक प्रजापति के अनुसार, उनकी पत्नी रिंकू प्रजापति ने चार मार्च को सुल्तानिया में बच्चे को जन्म दिया। जन्म के बाद नवजात का हृदय काम नहीं कर रहा था, जिसके कारण उसे आठ दिन तक वेंटिलेटर पर रखा गया। डाॅक्टरों ने बताया कि उसके दिल में छेद है और सर्जरी की आवश्यकता होगी। इसके लिए जेके अस्पताल, एम्स भोपाल, बंसल या रायपुर रेफर करने की बात कही गई। अस्पताल में छह मार्च से इंजेक्शन लगाने की प्रक्रिया शुरू हुई और 28 हजार रुपये के इंजेक्शन बाहर से खरीदने पड़े, जबकि आयुष्मान योजना के तहत इलाज मुफ्त होना चाहिए था।

परिजनों को जबरन इंजेक्शन खरीदने के लिए किया मजबूर
पिता अशोक प्रजापति का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने जबरन कागजों पर साइन करवाकर उन्हें महंगे इंजेक्शन बाहर से खरीदने के लिए मजबूर किया।
इसके अलावा अस्पताल प्रबंधन ने नवजात को बाहर की एंबुलेंस से ले जाने की अनुमति नहीं दी और हमीदिया परिसर की एंबुलेंस से ही ले जाने को कहा गया।
हमीदिया से बाहर जाने के लिए एक एंबुलेंस का किराया 2500 रुपये था, जबकि बाहर की एंबुलेंस से मात्र 1000 रुपये में यह सेवा मिल सकती थी।
मजबूरी में परिजनों को हमीदिया की एंबुलेंस से ही बच्चे को जेके अस्पताल ले जाना पड़ा।

जेके अस्पताल में खुलासा, अधिक इंजेक्शन लगाए गए
डिस्चार्ज के बाद अशोक प्रजापति के आयुष्मान कार्ड से 22 हजार रुपये काट लिए गए। जब वे अपने बच्चे को जेके अस्पताल लेकर पहुंचे।
तो वहां डाक्टरों ने जांच करने के बाद बताया कि नवजात को केवल चार इंजेक्शन ही लगाने थे, लेकिन सुल्तानिया अस्पताल में सात इंजेक्शन लगाए गए।
डाॅक्टरों ने यह भी स्पष्ट किया कि सर्जरी की जरूरत तो होगी, लेकिन इसे बाद में भी कराया जा सकता है।

स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठे सवाल
समाजसेवी मुकेश रघुवंशी ने बताया कि इस मामले ने सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
आयुष्मान योजना के बावजूद मरीजों से इलाज के नाम पर पैसे वसूले जा रहे हैं।
सरकार को इस मामले की जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
ताकि भविष्य में किसी अन्य परिवार को इस तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button