छत्तीसगड़

GPM: धान खरीदी केन्द्रों पर किसानों से कराया जा रहा काम

गौरेला.

गौरेला पेण्ड्रा मरवाही में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी विपणन वर्ष 2023-24 में जिले में किसानों के साथ ठगी के नित नए मामले सामने आ रहे हैं। ताजा मामला मरवाही के दानीकुंडी, के बंसीताल गांव स्थित खरीदी केंद्र का है जहां पर किसानो से उनके द्वारा लाए गए धान की तुलाई , बोरा सिलाई, बोरा जमाने, और छल्ली लगवाने का काम कराया जा रहा है। जबकि इन सब कार्यों के लिए ₹9 प्रति क्विंटल की दर से शासन से सहकारी समितियां को भुगतान किया जा रहा है पर समिति के जिम्मेदार अधिकारी किसानों द्वारा स्वेक्षा से किया गया काम बताकर पूरे मामले से पल्ला झाड़ रहे हैं।

दरअसल छत्तीसगढ़ सरकार किसानों का धान खरीदने एवं उसकी व्यवस्था बनाने के लिए सहकारी समितियां को ₹11 प्रति क्विंटल की दर से भुगतान व्यय के रूप में करती है जिसमें सहकारी समितियां को बरसात से बचने के लिए त्रिपाल रस्सी के साथ-साथ चौकीदारी, और किसानों के द्वारा धान खरीदी केंद्र में लाए गए धान के बोरे भर कर देने के बाद से धान को तौलने (तौलाई) बोरा जमाने, बोरा सिलाई और छल्ली लगाने का काम सम्मिलित है पर जिले के धान खरीदी केंद्रों में सहकारी समितियां और उनके प्रबंधक शासन द्वारा मिलने वाले इन पैसे को हजम कर जाते हैं। जब किसान अपना धान लेकर समिति में पहुंचता है तो किसानों के मजदूरों से ही खरीदी केंद्र प्रभारी धान की तूलाई से लेकर छल्ली लगाने तक का काम करवा लेते है,खरीदी केंद्र में पहुंचे किसानो का कहना हैं कि वह धान बेचने के लिए 8 से 12 मजदूर तक लेकर आते हैं जिन्हें ₹200 प्रतिदिन की दर से भुगतान भी किसान ही करता है और यही मजदूर सारा काम करते हैं। समिति के मजदूर तो सिर्फ खाली बोरा देने का ही काम करते हैं  इस तरह प्रति किसान लगभग 2 से ₹3000 हजार रुपए प्रतिदिन की दर से सिर्फ अपने मजदूरों का ही भुगतान करता है जबकि इस कार्य का भुगतान समिति को करना होता है।

धान खरीदी केंद्रों में किसानों का धान सुचारू रूप से खरीदा जाता रहे इसके लिए शासन प्रशासन ने अलग-अलग स्तर और अलग-अलग विभाग के अधिकारियों की तैनाती भी  खरीदी केंद्रों में कर रखी है जिसमें कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ राजस्व विभाग के पटवारी भी सम्मिलित है पर इन सब की आंखों के सामने किसानों से पिछले तीन महीने से लगातार ठगी की जा रही है। खरीदी केंद्र प्रभारी यह जरूर बताते हैं की खरीदी केंद्र में धान की बोरी भरकर देने के बाद सिलाई वजन करने से लेकर बोरा सिलने और छल्ली लगाने तक का सारा काम समिति के पल्लेदारों को करना है जिसके एवज में उन्हें शासन से नौ रुपये प्रति क्विंटल मिलता है पर किसान स्वेक्षा से ही अपने मजदूरों से यह सारा काम करा देता है। खरीदी केंद्र प्रभारी ने सच स्वीकार किया पर कृषि विभाग के नोडल अधिकारी तो किसानों को ही झूठ ठहराने में लग गए, उन्होंने कह दिया कि किसान पत्रकारों को देखकर झूठ बोलते हैं यहां ऐसा कुछ नहीं हो रहा है हालांकि जब उनसे पूछा कि समिति में धान तोलने वाले कितने पल्लेदार हैं। तब उन्होंने बताया कि दो पल्लेदार जबकि खरीदी केंद्र में 10 से ज्यादा किसानों के धान की तौलाई हो रही थी इस पर उनका जवाब गोल-माल रहा।

जिले में धान खरीदी केंद्रों में निगरानी से लेकर कई व्यवस्था बनाने के लिए कई लेयर की व्यवस्था बनाई गई जिसमें अलग-अलग विभागों के विभाग अध्यक्ष की लगातार निगरानी जांच और व्यवस्था बनाने का काम सौंपा गया जिसमें विपणन संघ के अधिकारी राजस्व अधिकारी कृषि विभाग के अधिकारी पीडब्ल्यूडी के अधिकारी सहित कई विभाग के अधिकारी सम्मिलित है पर इन सभी अधिकारियों की नाक के नीचे जिस तरह से किसानों के साथ धान खरीदी के पूरे सीजन में ठगी होती रही है यह पूरे प्रशासनिक व्यवस्था पर सवालिया निशान लगता है।

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