दिग्विजय सिंह का विवादित बोल, कहा – रामलला की मूर्ति बाल स्वरूप की तरह नहीं..
भोपाल
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अयोध्या राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले एक बार फिर विवादित बयान दिया है। उन्होंने रामलला की मूर्ति पर सवाल उठाए हैं।
रामलला की मूर्ति पर विवाद
कांग्रेस नेता ने कहा कि मंदिर में विराजमान रामलला की मूर्ति, बाल स्वरूप की तरह नहीं लग रही है। उन्होंने कहा,
मैं शुरू से कहता आ रहा हूं कि जिस रामलला की मूर्ति को लेकर विवाद हुआ और उसे तोड़ दिया गया, वह कहां है? दूसरी मूर्ति की क्या जरूरत थी? हमारे गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद जी महाराज ने भी सुझाव दिया था कि भगवान राम की मूर्ति स्थापित की जाए। राम जन्मभूमि मंदिर की मूर्ति बाल स्वरूप में होनी चाहिए और माता कौशल्या की गोद में होनी चाहिए, लेकिन मंदिर में जो मूर्ति रखी गई है वह बाल स्वरूप में नहीं दिखती है।
मंदिर के गर्भगृह में रखी गई मूर्ति
बता दें कि 22 जनवरी को अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले, भगवान राम की मूर्ति को गुरुवार को अयोध्या में मंदिर के गर्भगृह के अंदर रखा गया था।
51 इंच लंबी है मूर्ति
कपड़े से ढकी हुई मूर्ति की पहली तस्वीर गुरुवार को गर्भगृह में स्थापना समारोह के दौरान सामने आई थी। 'राम लला' की मूर्ति की नक्काशी कर्नाटक के प्रसिद्ध मूर्तिकार अरुण योगीराज ने की थी। मूर्ति 51 इंच लंबी है और इसका वजन 1.5 टन है। मूर्ति में भगवान राम को पांच साल के बच्चे के रूप में चित्रित किया गया है जो उसी पत्थर से बने कमल पर खड़ा है।
दिग्विजय ने पोस्ट के साथ एक न्यूज वीडियो को भी साझा किया है जिसमें निर्वाणी अखाड़े के महंत धर्मदास नई मूर्ति रखे जाने पर आपत्ति जाहिर की है। धर्मदास ने कहा है कि जिन रामलला विराजमान के हक में कोर्ट का फैसला आया उन्हें ही गर्भगृह में स्थापित करना चाहिए। अयोध्या विवाद में पक्षकार रहे धर्मदास ने कहा कि पुरानी मूर्ति के हक में ही फैसला आया था। उन्होंने कहा कि पुरानी मूर्ति की जगह कोई दूसरी मूर्ति नहीं रख सकता है।
इस बीच, 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर के 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह की तैयारी के लिए गुरुवार को अयोध्या शहर को जीवंत फूलों से सजाया गया है।
कई मशहूर हस्तियों को आमंत्रण
प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को अयोध्या में आयोजित किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'प्राण प्रतिष्ठा' के उपलक्ष्य में अनुष्ठान करेंगे। लक्ष्मीकांत दीक्षित के नेतृत्व में पुजारियों की एक टीम मुख्य अनुष्ठान का नेतृत्व करेगी। समारोह में कई मशहूर हस्तियों और मशहूर हस्तियों को भी आमंत्रित किया गया है।